आपकी कलम

मुनव्वर राणा के कुछ मशहूर शेर

Paliwalwani
मुनव्वर राणा के कुछ मशहूर शेर
मुनव्वर राणा के कुछ मशहूर शेर

1. तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है. 

2. आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए.

3. अपनी फजा से अपने जमानों से कट गया 
पत्‍थर खुदा हुआ तो चट्टानों से कट गया. 

4. बदन चुरा के न चल ऐ कयामते गुजरां
किसी-किसी को तो हम आंख उठा के देखते हैं. 

5. झुक के मिलते हैं बुजुर्गों से हमारे बच्चे
फूल पर बाग की मिट्टी का असर होता है. 

6. कोई दुख हो, कभी कहना नहीं पड़ता उससे 
वो  जरूरत हो तलबगार से पहचानता है. 

7. एक क़िस्से की तरह वो तो मुझे भूल गया
इक कहानी की तरह वो है मगर याद मुझे.

8.  भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है
मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है.

9 हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते है.

10. अँधेरे और उजाले की कहानी सिर्फ़ इतनी है
जहाँ महबूब रहता है वहीं महताब रहता है.

11. किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई.

12. मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता
अब इस से ज़यादा मैं तेरा हो नहीं सकता.

13. वो बिछड़ कर भी कहाँ मुझ से जुदा होता है
रेत पर ओस से इक नाम लिखा होता है.

14. मैं भुलाना भी नहीं चाहता इस को लेकिन
मुस्तक़िल ज़ख़्म का रहना भी बुरा होता है.

15. ये हिज्र का रस्ता है ढलानें नहीं होतीं
सहरा में चराग़ों की दुकानें नहीं होतीं.

16. नये कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता है
परिंदों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है.

17. मोहाजिरो यही तारीख है मकानों की
बनाने वाला हमेशा बरामदों में रहा.

18. तुझसे बिछड़ा तो पसंद आ गयी बे-तरतीबी
इससे पहले मेरा कमरा भी ग़ज़ल जैसा था.

19. तुझे अकेले पढूँ कोई हम-सबक न रहे
मैं चाहता हूँ कि तुझ पर किसी का हक न रहे.

20. सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं
हम तो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं.

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