आपकी कलम
खुद से प्यार करना सीख लें, प्लेजर तभी मिलेगा
Paliwalwaniअरे, अरे…शर्माओ मत। मैं आपकी निजी जरूरतों की बात कर रही हूं। जैसे कि सेक्स। हम सभी ने या तो सेक्स किया है, या सेक्स से हुए हैं। इसका मतलब सेक्स किसी न किसी रूप में हमारी जिंदगी से जुड़ा हुआ है। लेकिन अम्मा के सामने सेक्स की बात कर दो, हाय राम, बेहया, निर्लज्ज , छी: जैसे शब्दों के बाण आपको चुटकी में घायल कर देंगे।
बात ना करने के पीछे रीजन दिया जाता है कि ये जरूरतें प्राइवेट और स्पेशल होती हैं। तो क्या बात नहीं करनी चाहिए? लेकिन स्पेशल चीजों की देखभाल भी तो जरूरी है। और देखभाल तभी हो पाएगी जब आप उनकी बात करेंगे। पर अम्मा को तो क्लैटोरस के बारे में पता ही नहीं था। पता नहीं उनको ऑरगेजम मिला भी कि नहीं। और तो और अम्मा स्कूल से आगे कभी गई ही नहीं।
पर हम और हमारे जेनरेशन की लड़कियां कॉलेज जा रही हैं, जॉब कर रही हैं। स्कूल से कॉलेज तो चले गए, पर सेक्स की एबीसीडी से हमारी गाड़ी आगे बढ़ ही नहीं पाई। मेरे साथ यही हुआ था। जब मैं रिलेशनशिप में घुसी तब पता चला कि सेक्स बच्चे पैदा करने के अलावा भी मायने रखता है। प्लेजर मिलता है, इंटिमेसी बढ़ती है। पर क्या करना है, कैसे करना है, इसका जरा सा भी आइडिया नहीं था। मैंने तो सब कुछ अपने बॉयफ्रेंड पर ही छोड़ दिया था। और हुआ यही कि मुझे अपने प्लेजर के बारे में कुछ पता ही नहीं चला। मुझे वही प्लेजर मिलता था जो वो मुझे देता था।
कई रिलेशनशिप से गुजरने के बाद एक महिला मिली जो सेक्स एजुकेटर थी। मैं हैरान रह गई। ये भी कोई प्रोफेशन होता है? उन्होंने मुझे समझाया कि सेक्स एक आर्ट है, कला है। और हमारी धरती भारतमाता कामसूत्र की जननी है। जहां विश्व का पहला ग्रंथ प्लेजर पर लिखा गया। बस, उसी दिन से प्लेजर की भारी उड़ान भरी मैंने। पहले खुद को समझा, खुद की बॉडी को अपनाया, पूरे प्लेजर को जाना, फिर अपने पार्टनर का बताया, उससे प्लेजर पाया और अब मैं लोगों को गाइड करती हूं उनकी सेक्शुअल समस्याओं को लेकर। मेरा मानना है, प्लेजर सबका जन्मसिद्ध अधिकार है। लेकिन सेक्स को जानने से पहले अपनी बॉडी को जान लेना जरूरी है, तभी तो खुद से प्यार कर पाओगे, तभी किसी और को करोगे।
मैं बात कर रही हूं मास्टरबेशन के बारे में।
मास्टरबेशन मैं सिंपल शब्दों में समझाऊं तो अपनी बॉडी को छूना और छूने से प्लेजर फील करना। यह आपकी खुद की बॉडी है। अगर आप इस बॉडी को छू लेंगे और आपको अच्छा लग रहा है तो इसमें गलत क्या है? प्राइवेट पार्ट्स में काफी सारी नर्व एंडिंग होती हैं। इसको छूने से, इसको स्टीमूलेट करने से प्लेजर फील होता है। ये प्लेजर बायलॉजिकल है और स्वाभाविक है। तो मास्टरबेशन बायलॉजिकल और स्वाभाविक है। यहां तक देखा गया है कि एनिमल्स भी मास्टरबेशन करते हैं। तो हम क्यों इतना हिचकते हैं। हमारे लिए सेक्स सिर्फ बच्चा पैदा करने का एक माध्यम नहीं है। हमारे लिए सेक्स एक क्लोजनेस, एक प्लेजर का भी माध्यम है। और मास्टरबेशन जो है, आप अपने बॉडी को सेक्शुअली फील कर पा रहे हैं। ये सेल्फ प्लेजर का एक ऐसा तरीका है जो आपको अपनी बॉडी को जानने और समझने में मदद करता है। मास्टरबेशन करने से आप बिलकुल रिलेक्स और हैपी फील करते हैं।
एक रिसर्च के मुताबिक 90 प्रतिशत मर्द और 80 प्रतिशत महिलाएं मास्टरबेट कर चुकी हैं अपनी लाइफ में कभी न कभी। तो ये एक ओपेन सीक्रेट है। आपको लग रहा है कि कहीं मैं मैस्टरबैशन कर रहा हूं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बहुत सारे लोग हैं जो मास्टरबेशन करते हैं, कर रहे हैं और कर चुके हैं? मास्टरबेशन सेक्शुअल नीड को पूरा करने का एक बहुत बढ़िया तरीका है।
मास्टरबेशन जरूरी क्यों है?
आप कहेंगे, मस्टरबेशन करना ही क्यों है? तो देखिए, हमारे शरीर की अलग-अलग जरूरतें होंगी। जैसे मेंटल हेल्थ को सही बनाए रखने के लिए आपका रिलेक्स रहना जरूरी है। स्ट्रेस फ्री रहना जरूरी है। फिजिकल हेल्थ को बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज, सही डाइट, मल्टिविटामिन, मिनरल्स की जरूरत होती है। ठीक इसी तरह हमारा सेक्शुअल हेल्थ भी होता है। और सेक्शुअल हेल्थ के लिए टच और ऑर्गेजम जरूरी होता है। ऑर्गेजम के दो तरीके हैं- पहला, आपका पार्टनर हो जिसके साथ आप सेक्स कर सकते हैं, या दूसरा मास्टरबेशन। मास्टरबेशन सेक्शुअल हेल्थ को बनाए रखने के लिए काफी जरूरी होता है। ये एक तरह से हमारे यौनांगों की एक्सरसाइज होती है। चाहे वो मर्द हों या महिलाएं। और यौनांग की एक्सरसाइज होने से हमारे यौनांग स्वस्थ रहते हैं, चालू रहते हैं और खुश रहते हैं।
मास्टरबेशन से जुड़े कुछ मिथ्स और फैक्ट्स
तो आइए, जानते हैं मास्टरबेशन से जुड़े कुछ मिथ्स और फैक्ट्स कि इतनी सारी बेनिफिट्स होने के बाद भी क्यों हम मास्टरबेशन से डरते हैं और खफा रहते हैं। क्या चीजें हैं जो रोग बन रही हैं? भावि दिल्ली में रहने वाली 38 वर्षीय इवेंट क्रिएटर हैं और एक मां हैं। भावि से मास्टरबेशन और बॉडी को लेकर और फीमेल बॉडीज को लेकर जो स्टीगमा और टैबूज हैं उसके बारे में बात की।
भावि कहती हैं, 'हर लड़की शारीरिक बदलावों से गुजरती है और ज्यादातर परिवारों में लड़कियों की शारीरिक बदलावों की बात नहीं की जाती और इसे गंदे तरीके से देखा जाता है। हमेशा से हमारे नीचे वाले एरिया को अजीब-अजीब नामों से बुलाया गया है। जैसे कि शुशू, मीनी, नुनू, छोटी, पेशाब का रास्ता। ऐसे ही जब मैं बड़ी हुई, तो मुझे भी अपने बॉडी में होने वाले चेंजेज की वजह से अपने आप से घृणा होने लगी। जैसे ब्रेस्ट ग्रो होना। जब पीरियड्स स्टार्ट हुए, मुझे काफी समय लग गया ये जानने में कि ये सब नॉर्मल चेंजेज हैं।'
भावि के साथ जो हुआ या भावि ने जो महसूस किया वो इंडिया में तकरीबन हर औरत का इस तरह का एक्सपीरियंस रह चुका है। और यही सबसे बड़ा मिथ है कि औरतें अपने आपको सेक्शुअली एक्सप्लोर नहीं कर सकतीं। अगर ये करती हैं तो वो सिलेक्ट मानी जा सकती हैं, या उनको बुरी कैरेक्टर वाला कहा जा सकता है। वो गुड गर्ल नहीं हैं। और इसी वजह से ये मिथ बना कि औरतें मास्टरबेट नहीं करती हैं।
सेक्शुअल इच्छाएं औरतों में भी उतनी ही होती हैं जितनी आदमियों में। इसलिए औरतें भी अगर खुद को सटीस्फाय करने के लिए मास्टरबेट करती हैं तो गलत नहीं है। मास्टरबेशन के लिए महिलाएं अपने हाथों या किसी सेक्स टॉय को यूज कर सकती हैं। इसकी मदद से उनको ऑर्गेजम फील होता है। इस ऑर्गेजम की वजह से उनके दिमाग में हैपी हॉर्मोन रीलीज होते हैं और ये हॉर्मोन्स आपके बिगड़े हुए हेल्थ को ठीक करते हैं और कुछ ही देर में खुशनुमा और हरा-भरा बना देते हैं। मुझे याद है एक किस्सा जहां एक बहुत बड़े कोच थे। उनके पास एक महिला क्लाइंट आईं। उन्हें दिन-रात माइग्रेन की शिकायत थी, बीपी बढ़ गया था। बॉडी में बहुत सारी प्रॉब्लम शुरू हो गई थी हेल्थ को लेकर। जब उन महिला से इन कोच ने बात की, और डिटेल में बात की तो ये पता चला कि उस महिला की जो मैरेज है, वो सेक्सलेस मैरेज है। उन्होंने मैरेज में बहुत सालों से सेक्स नहीं किया। तो इन कोच ने उनको एक सलाह दी कि आप एक सेक्स टॉय खरीदिए और अपने प्राइवेट बॉडी को स्टीमुलेट कीजिए। आप जानते हैं, जब उन्होंने ऐसा किया, उन महिला की सारी तकलीफें, शिकायतें, हेल्थ रिलेटेड प्रॉब्लम्स दूर हो गईं। उनका माइग्रेन खतम हो गया। तो आप देख रहे हैं कि कैसे मास्टरबेशन एक हेल्दी तरीका है, आप अपने बॉडी को स्वस्थ रख सकते हैं।
दूसरा, मिथ मास्टरबेशन करने से आंखों की रोशनी घटती है। सरासर झूठ है। मास्टरबेशन सेक्स की तरह है। बस आप किसी पार्टनर की बजाय अकेले की खुशी हासिल करते हैं। इसका आपकी आंखों की रोशनी से कोई लेना-देना नहीं है।
मिथ नंबर तीन-शादीशुदा लोग मास्टरबेट नहीं करते। मेरे पास कई ऐसा कपल्स आते हैं, मर्द भी आते हैं जो कहते हैं कि हम अपनी वाइफ के साथ तो सेक्स कर रहे हैं पर हमें असली मजा मास्टरबेशन करके आता है। तो इसमें कुछ गलत नहीं है। क्योंकि आप अपनी ही बॉडी के साथ इम्प्लीमेंट हो रहे हैं। अब क्यों न करें। शादी का मतलब ये नहीं होता है कि कपल रोज सेक्स करे। पर कई बार दोनों ही पार्टनर की सेक्स ट्राई यानी कि सेक्स करने की इच्छा एक समान नहीं होती। पार्टनर को फोर्स करने से बेहतर है कि खुद ही सटिस्फाई कर लें। ऐसा भी कहा जाता है कि पीरियड्स के दौरान मास्टरबेशन करना अनहेल्दी होता है। लेकिन असल में कई रिसर्च में ये साबित हुआ है कि मास्टरबेशन पीरियड क्रैम्प्स को कम करता है और महिला को रिलेक्स्ड फील करता है।
कई लोगों का मानना होता है, मास्टरबेशन करने से बॉडी की ग्रोथ न रुक जाए, या मेरा लिंग छोटा न हो जाए। ऐसा बिलकुल नहीं है। हेल्थ के पॉइंट ऑफ व्यू से देखें तो मास्टरबेशन के फायदे ही फायदे हैं। इसको करने से कोई नुकसान नहीं होगा। जहां तक बात है कि पहले मेरा सीमेन न खत्म नहीं हो जाए, या मैं इनफर्टाइल न हो जाऊं। ऐसी कोई बात नहीं है। आपका सीमेन जो है बार-बार बॉडी में रीक्रिएट होता है। तो सीमेन कोई फिक्स्ड स्टॉक नहीं है जो खत्म हो जाएगा। सीमेन जाएगा, और अंदर बॉडी में सीमेन बनेगा। मास्टरबेशन से कोई भी बांझपन या इनफर्टाइल से रिलेटेड शिकायत नहीं होगी। जैसे सेक्स करने से बांझपन नहीं होता, वैसे मास्टरबेशन करने से बांझपन नहीं होता। क्योंकि ये आपके इंटरनल सेक्स ऑर्गेन्स को अफेक्ट नहीं करता, इसलिए बांझपन का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
किसी भी चीज की लत नुकसानदायक होगी। देखिए, सेक्शुअली एक्साइटेड फील होने पर और कभी-कभार मास्टरबेशन करने में कोई बुराई नहीं है। चाहे वह दिन में एक बार या दो बार ही क्यों न हो। इससे आपकी बॉडी को कोई नुकसान नहीं होता। लेकिन अगर इसकी लत लग जाए। मतलब कि आप मास्टरबेशन किए बिना रह नहीं पा रहे हैं। उसके लिए आपके काम पर असर पड़ रहा है, आपके रिश्तों पर असर पड़ रहा है। जैसे कि आप ऑफिस नहीं जा रहे हैं। आप पढ़ाई नहीं कर रहे हैं और दिन-रात मास्टरबेशन करने में लगे हुए हैं तो ये प्रॉब्लम बन सकती है। अगर मास्टरबेशन की आदत आपको अपनी जिंदगी में जो भी आपकी जिम्मेदारियां हैं, जो भी आपके काम हैं, जो भी आपके गोल्स हैं, उससे अगर ये एक्टिविटी आपको दूर कर रही है तो फिर प्रॉब्लम है।
जैसे कि मेरे पास एक बच्चा आया था जो कि एनडीए की तैयारी कर रहा था। उसने कहा, मुझे इतनी आदत लग गई है मास्टरबेशन की कि मैं पढ़ाई पे ध्यान नहीं दे रहा हूं, बस मास्टरबेशन किए जा रहा हूं। दिन में 15 से 16 बार मास्टरबेशन किए जा रहा हूं। तो ये एक प्रॉब्लम है। अगर आप ऐसी किसी समस्या के शिकार हैं तो काउंसलर से हेल्प लीजिए। सेक्स काउंसरलर से हेल्प लीजिए, गाइडेंस लीजिए और इन चीजों पर कंट्रोल वापस ला पाएंगे। लेकिन अन्यथा ही सुनी-सुनाई बातों पर बिलीव करके मास्टरबेशन नहीं करना है, ये शेमफुल है, ये गलत है। इससे इतनी सारी हानियां होती हैं, ऐसा कुछ भी नहीं है। मास्टरबेशन एक सेफ, हेल्दी और प्लेजेबल एक्ट है।