आपकी कलम

कांग्रेस ने बदली रणनीति : अटैक-डिफेंस-अटैक को छोड़कर कांग्रेस अब डिफेंस-अटैक-डिफेंस मोड में...आनन्द पुरोहित

आनन्द पुरोहित
कांग्रेस ने बदली रणनीति : अटैक-डिफेंस-अटैक को छोड़कर कांग्रेस अब डिफेंस-अटैक-डिफेंस मोड में...आनन्द पुरोहित
कांग्रेस ने बदली रणनीति : अटैक-डिफेंस-अटैक को छोड़कर कांग्रेस अब डिफेंस-अटैक-डिफेंस मोड में...आनन्द पुरोहित

कमलनाथ का जबरदस्त माइंड गेम

आनन्द पुरोहित...

  • हले नवरात्र को कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी। श्राद्ध पक्ष अमावस काल समाप्ति पश्चात एकम नवरात्र को शुभ घड़ी शुभाशुभ योग में वैदिक पंचांग के अनुसार सुबह नौ बजकर नौ मिनट पर कांग्रेस ने चुनावी रणभूमि में सिर्फ अपने प्रत्याशी ही नहीं उतारे हैं, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव समर के लिए अपनी रणनीति भी जाहिर कर दी है । अभी तक कांग्रेस... अटैक डिफेंस अटैक... की रणनीति पर चल रही थी अब उसने इस विधानसभा चुनाव समर में... डिफेंस अटैक डिफेंस... की रणनीति अपनाई है।... हालांकि इसकी झलक मंडला में दिखाई दे गईं थीं और इस पर मोहर वचन पत्र जारी करने के साथ ही लग गई।

अपनी पन्द्रह माह की सरकार असमय गिर जाने की टीस से पीड़ित सभी कांग्रेसी कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार जाने के बाद से ही लगातार भाजपाईयों पर बयानबाजी कर हमलावर हों रहें थे,.. ज्योतिरादित्य सिंधिया के पाला बदलने से बनीं इस अप्रत्याशित स्थिति से "शाक्ड" थे, कभी सिंधिया को तो कभी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लेकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स सहित सार्वजनिक मंचों से भी, सिर्फ और सिर्फ शब्द बाणों से अटैक कर रहे थे ... परन्तु इससे भाजपा सहित प्रदेश वासियों पर कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था।... इसी बीच राहुल गांधी की पदयात्रा ने थोड़ा माहौल बदला और मध्यप्रदेश के कांग्रेसियों को हताशा से निकाल उनमें आत्मविश्वास जगा फिर सरकार बनाने हेतु उत्साहित किया।

पन्द्रह माह में गिरी सरकार की हताशा उम्मीद में बदलने लगी, लेकिन शब्दों में वहीं शाक्ड अटैक का भाव रहा... जिसका लगातार नुकसान ही कांग्रेसियों को हो रहा था। मुख्यमंत्री चौहान सहित अन्य भाजपाई नेता उनके बयानों को तुरंत काट पुलिस, न्यायालय कार्रवाई तक की स्थिति में आ रहे थे, कांग्रेसी अपने लापरवाही पूर्वक किए जा रहे बयानी अटैक के बाद डिफेंस के लिए ही मजबूर हो आम जनता के बीच मजाक बन खुद को ही कटघरे में खड़ा कर रहे थे। तभी मनासा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक अव्यावहारिक बयान पर कमलनाथ के चुप्पी कमेंट ने माहौल में बदलाव शुरू किया और ... शायद उस बयान के बाद ही कांग्रेस की रणनीति के बदलने की शुरुआत भी हुई, जो कि प्रत्याशियों की जारी सूची और वचन पत्र के साथ जग जाहिर हो गई।

मनासा की एक जनसभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को ...ऐ कमलनाथ और तू तुकारे से संबोधित किया ....जिसका विडियो सोशल साइट्स पर जमकर वायरल हुआ, परन्तु कमलनाथ ने धैर्य और शालीनता का परिचय देते शिवराज सिंह चौहान के उस बयान पर संयम रख कोई गैर जरूरी कमेंट नहीं किया।... सोच में आएं इस बदलाव का असर आगामी विधानसभा चुनाव की उनकी रणनीति पर पड़ा। लेकिन इस एक पलट बयानबाजी की शुरुआती चुप्पी ने फिर से सरकार बनाने के आत्मविश्वास भरे बड़बोले पन पूरी तरह रोक नहीं लगाई थी, अफसरों को धमकाने के साथ... ये करेंगे वो करेंगे, तुम्हारे पास दस माह है, बारह माह है... फिर हम आ रहे जैसे बोलवचनो के साथ ही, प्रत्याशी घोषित चार छः माह पहले ही कर देंगे का बड़बोलापन अन्य कांग्रेसी नेताओं का जारी रहा।... भाजपाईयों को कांग्रेसी नेताओं की ऐसी बयानबाजी से कुछ फर्क नहीं पड़ रहा... वे इसे उनकी झटपटाहट मानते रहें और मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान अपनी लाड़ली योजनाओं को लागू करते रहे।

उधर अति आत्मविश्वास से "अटैकिंग मोड" में चल रहे कमलनाथ ने भी फिर अपनी सरकार बनने के बाद महिलाओं को पच्चीस सौ देने, गैंस सिलेंडर पांच सौ में और बिजली सौ युनिट माफ दौ सौ हाफ की घोषणा कर दी। भाजपाईयों ने कांग्रेसियों द्वारा नेताओं पर शब्दों के अटैकिंग बयानों से अलग कांग्रेस चीफ के इस बयान को हाथोंहाथ लिया... और तुरन्त डुबते शिवराज सिंह चौहान को तारने वाली उनकी सबसे लोकप्रिय योजना लाड़ली बहना ने मूर्त रूप ले लिया। ...कमलनाथ के छोड़े तीर को शिवराज ने अपना हथियार बना लोकप्रियता का परचम लहराना शुरू कर दिया और लाड़ली बहना की राशि बढ़ाने की घोषणा कर दी। 

कमलनाथ को मुख्यमंत्री सहित भाजपा की नीति समझ में आ गई और वे अटैक छोड़ डिफेंस मोड अपनाने में आ संयमितता के साथ सिर्फ चुनावी रूटीन पर अपना ध्यान केंद्रित कर आचार संहिता का इंतजार करने लगे। कह सकते है कि शायद उस वक्त ही उन्होंने अपनी रणनीति बदल ली। इसी दरम्यान भाजपा ने अपने प्रत्याशी भी घोषित किए और कमलनाथ सहित कांग्रेस पर लगातार कटाक्ष करते रहे, कि छः महीने पहले तैयार करने वाले अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाए ... परन्तु कमलनाथ ने इसका कोई जवाब नहीं दिया ... पत्रकारों के जरिए भी कुरेदे जाने पर इंतजार का कहते रहे, बहाना श्राद्ध पक्ष का मिल गया था। तभी चुनाव तारीख घोषित होने के साथ आचार संहिता लागू हो गई और कमलनाथ राहत की सांस लेते अपनी इस बदली रणनीति को अंजाम देने के मौके का इंतजार करने लगे। 

समयचक्र ने अनुकूल चलते उन्हें यह मौका भी तुरंत दे दिया जब देश में कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय चेहरे प्रियंका गांधी को मंडला की एक जनसभा में मध्यप्रदेश के मतदाताओं से रूबरू होना था।... खुशमिजाज हरफनमौला कांग्रेस की जनप्रिय नेत्री जब मंडला में मुस्कुराते उपस्थित जनसमूह से बातचीत कर बतियाते उन्हें संबोधित कर रही थी कि इसी बीच... कमलनाथ ने अप्रत्याशित रूप से प्रोटोकॉल का उल्लघंन करते उनको उनके संबोधन से बीच में ही रोक कांग्रेस सरकार बनने के बाद के एक जन हितैषी फैसले की घोषणा करने हेतु आग्रह के साथ समझाया।... जिसे लाइव देख रहे मध्यप्रदेश ही नहीं दुनियाभर के व्यूअर ने देखा।

शायद किसी राष्ट्रीय स्तर के जननेता को उसके भाषण को रोक एक नये मुद्दे पर बात कहने का यह अपने आप में पहला ही मौका रहा है।... प्रियंका गांधी ने भी कमलनाथ की बात सुन समझ तुरंत मध्यप्रदेश में छात्र-छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ वर्ग वार पांच सौ से पन्द्रह सौ की घोषणा कांग्रेस सरकार बनने पर देने की कर दी। 

जनसभा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी दूसरे दिन अखबारों की हेडलाइन यही रही बेबसाइटो पोर्टलो पर धड़ाधड़ इस घोषणा के "इम्पेकट और इफेक्ट" पर आर्टिकल, एनालिसिस पोस्ट होने लगे... मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अरबों खरबों की लाडली बहना योजना को इस लाखों की योजना से पटखनी देना बताया जाने लगा।... तीन-तीन किश्तों के ट्रांसफर के बाद लाड़ली बहना योजना से जितनी लोकप्रियता शिवराज सरकार को नहीं मिली उससे कहीं ज्यादा इस छात्र-छात्राओं के लिए योजना की घोषणा मात्र से संभावित कमलनाथ सरकार लोकप्रिय हो गई।... अपने अटैकिंग मोड में चलते यदि यही बात कमलनाथ पहले कह देते तो शिवराज सरकार इसकी भी घोषणा पहले ही कर देती।

मंच पर प्रियंका गांधी को भाषण के बीच रोक कमलनाथ द्वारा बतलाने और कांग्रेस द्वारा संयमितता के साथ प्रत्याशी सूची जारी करने से एक बात और स्पष्ट दिखाई देती है कि कमलनाथ भाजपा की नीति को समझ अपनी रणनीति बदल चुके हैं, अमूमन बड़े नेताओं की भाषण स्क्रिप्ट पहले से ही तय होती है इस तरह उसमें परिवर्तन से यह भी स्पष्ट हुआ कि कमलनाथ प्रदेश चुनाव को किस तरह से मैनेज करने और जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं, तथा कब क्या और कैसे करना है इसके लिए वे रणनीति बना सारे सूत्र अपने हाथ में रखे हुए हैं। 

चूंकि आचार संहिता लागू हो चुकी है इसलिए मुख्यमंत्री तो ऐसी कोई योजना अमल में ला नहीं सकते उधर भाजपा इसकी काट ढूंढने की जुगत भिड़ा रहीं हैं लेकिन वह भी सिर्फ घोषणा भर कर पाएगी अभी। अटैक के बाद डिफेंस को छोड़, डिफेंस के साथ अटैक की इस रणनीति ने भाजपा द्वारा प्रदेश में मतदाताओं के बीच मजाक बनती कांग्रेस को अब अपनी सोच बदल मतदाताओं ने सरकार बनाने और जनहित में चलाने के प्रति धीर गंभीर रूप में स्वीकार कर लिया है... बस अब मतदान तक के आने वाले समय तक यदि कांग्रेस विशेषकर कमलनाथ, इसी तरह "डिफेंस अटैक डिफेंस" के मोड में रहते हैं, और अपने सहयोगी नेताओं सहित अति उत्साही प्रवक्ताओं को संयमित बयान बाजी तक सीमित रख पाते है...मध्यप्रदेश में कांग्रेस उनके नेतृत्व में फिर से साढ़े तीन वर्ष पूर्व की स्थिति में आ सकती है.

मतलब सरकार बना सकती है...नहीं तो अपने गैर वाजिब सिर्फ अटैकिंग बयानो पर अपने आप को ही बचाने में ही लगें रहना कांग्रेसी की नियती बनी रहेगी.... भाजपा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, वोट डल जाएंगे और कांग्रेसी डिफेंस डिफेंस खेलते रह जाएंगे सरकार फिर बीजेपी बना लेगी। प्रत्याशी सूची और वचन पत्र जारी होने के बाद अब जिस स्थिति में कांग्रेस है यदि उसे उसमें ही रहते उससे बेहतर कुछ करना है तो उन्हें यही डिफेंस अटैक डिफेंस नीति अपनानी पड़ेगी।

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