उत्तर प्रदेश

ठोस आधार बगैर आरोपी को हिरासत में लेना मूल अधिकारों का हनन : इलाहाबाद हाईकोर्ट

Paliwalwani
ठोस आधार बगैर आरोपी को हिरासत में लेना मूल अधिकारों का हनन : इलाहाबाद हाईकोर्ट
ठोस आधार बगैर आरोपी को हिरासत में लेना मूल अधिकारों का हनन : इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज :

ठोस आधार बगैर आरोपी को हिरासत में लेना मूल अधिकारों का हनन, हत्या आरोपी की जमानत अर्जी स्वीकारते हुए हाईकोर्ट ने की टिप्पणी. कहा मानवाधिकार के प्रति कुछ वर्षों से लोगों में सतर्कता बढ़ी है, जेल में बंद व्यक्ति की स्वतंत्रता और समाज के हित के बीच संतुलन बनाए रखने की समझ की आवश्यकता है.

यह विचार करना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है, जब तक कोई मजबूत आधार न हो, जैसे कि अभियुक्त के भागने की संभावना, उसके द्वारा सबूतों से छेड़छाड़ करने या मामले के गवाह या पीड़ित को धमकी देने की संभावनाएं न हो, तब तक किसी अभियुक्त को हिरासत में लेने से बचना चाहिए. अनावश्यक हिरासत में लेना संविधान के अनुच्छेद  21 के तहत हर व्यक्ति को मिले जीवन और दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का उल्लंघन है.

याची गागलहेडी, सहारनपुर के अर्पित शर्मा की जमानत अर्जी. कोर्ट ने राजस्थान बनाम बालचंद उर्फ बलिएय 1978 के आदेश का भी हवाला दिया. कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद, कोर्ट ने कहा किसी व्यक्ति की हिरासत उसके जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को प्रभावित करती है. हिरासत का मुख्य उद्देश्य बिना किसी असुविधा के मुकदमे के लिए आरोपी की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित करना है.जस्टिस गौतम चौधरी की सिंगल बेंच में हुई सुनवाई.

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News
Trending News