उत्तर प्रदेश
होली पर इस खास जुलूस में तैनात रहेंगे 100 मजिस्ट्रेट, रास्ते की मस्जिदों को तिरपाल से ढका, नवाब से जुड़ा है इतिहास
PALIWALWANI
Uttarpradesh News: होली पर उत्तर प्रदेश में सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। राज्य के शाहजहांपुर जिले में हर साल होली के दिन ‘लाट साहब’ का जुलूस निकाला जाता है। शाहजहांपुर में निकाले जाने वाले इस खास जुलूस के लिए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए हैं। ‘लाट साहब’ होली जुलूस के मार्ग पर स्थित मस्जिदों को तिरपाल से ढक दिया गया है और रंगों के त्योहार से पहले कड़े सुरक्षा उपाय किए गए हैं। होली वाले दिन जुमे की नमाज के चलते प्रशासन कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता है।
18वीं शताब्दी में हुई परंपरा की शुरुआत – न्यूज एजेंसी भाषा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यह परंपरा 18वीं शताब्दी से जुड़ी है, जिसमें शाहजहांपुर शहर में होली की शुरुआत एक बैलगाड़ी पर बैठे ‘लाट साहब’ (एक ब्रिटिश लॉर्ड) का वेश धारण किए हुए एक व्यक्ति पर जूते फेंकने से होती है। प्रशासन ने इस बार लाट साहब जुलूस मार्ग पर बैरिकेड के अलावा कई सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।
जुलूस मार्ग को तीन जोन और आठ सेक्टर में बांटा गया – पुलिस अधीक्षक राजेश एस ने बताया, “होली पर कुल 18 जुलूस शहर में निकलते हैं जिसमें दो जुलूस प्रमुख होते हैं। इन जुलूस में सुरक्षा के लिए बड़े लाट साहब के जुलूस को तीन जोन तथा आठ सेक्टर में बांटा गया है जिनमें लगभग 100 मजिस्ट्रेट की ड्यूटी लगाई गई है।”
उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा एहियात के तौर पर 2423 लोगों पर कार्रवाई की गई है। दोनों जुलूस की सुरक्षा में 10 CO व 250 SI सहित करीब 1500 पुलिसकर्मी लगाए गए हैं। जुलूस मार्ग पर PAC की दो कंपनियां भी तैनात रहेंगी। राजेश ने कहा, “किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी। होली का त्यौहार लोग सद्भाव के साथ मनाएं । हंगामा करने वालों पर पुलिस की नजर रहेगी ।”
20 मस्जिदों को तिरपाल डालकर ढका गया
नगर आयुक्त विपिन कुमार मिश्रा ने बताया कि लाट साहब जुलूस मार्ग पर करीब 350 कैमरे तथा स्टिल कैमरे लगवाए हैं। जुलूस मार्ग पर पड़ने वाली लगभग 20 मस्जिदों को तिरपाल डालकर ढक दिया गया है ताकि उन पर रंग ना पड़े। इसके अलावा मस्जिद और बिजली के ट्रांसफार्मर के पास अवरोधक लगाए गए हैं।
विपिन कुमार मिश्रा ने बताया, “जुलूस के आगे तथा पीछे दो ट्रैक्टर ट्रॉली चलेंगी जो रोड पर पड़े हुए जूता चप्पल तथा फटे कपड़े उठाएंगी। 16 पुलिस पिकेट पॉइंट के पास स्टिल कैमरा धारी भी मौजूद रहेंगे जो पूरे जुलूस की वीडियो ग्राफी करेंगे जिसे लाइव देखा जा सकेगा।”
कैसे हुई इस जुलूस की शुरुआत?
न्यूज एजेंसी ‘भाषा’ से बातचीत में स्वामी सुकदेवानंद कॉलेज के इतिहासकार डॉक्टर विकास खुराना ने बताया कि शाहजहांपुर में रहने वाले नवाब अब्दुल्ला खान नाराज होकर फर्रुखाबाद चले गए थे और बाद में 1728 में जब यह शाहजहांपुर वापस आए तो उस दिन होली का त्योहार था, तब उन्होंने शहर में घूम-घूम कर सभी लोगों के साथ होली खेली।
इतिहासकार डॉक्टर विकास खुराना ने बताया कि बाद में यह हर साल का क्रम बन गया जिसके बाद 1930 में यह जुलूस ऊंट गाड़ी पर निकलने लगा और इसके बाद से इसका स्वरूप बिगड़ता चला गया। उन्होंने बताया कि 1990 के दशक में इस जुलूस को रोकने के लिए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई जिसमें कोर्ट ने इसे पुरानी परंपरा मानते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
कोतवाल रिश्वत में देता है शराब की बोतल
जुलूस के एक आयोजक मंडल के हरनाम कटिहार ने बताया, “लाट साहब का यह जुलूस कुंचा लाला से शुरू होकर फूलमती मंदिर पर जाता है जहां फूलमती मंदिर में लाट साहब पूजा अर्चना करते हैं। इसके बाद जुलूस कोतवाली में पहुंचता है। कोतवाली में कोतवाल से पूरे साल में हुए अपराधों का ब्योरा मांगते हैं। इसके बाद कोतवाल उन्हें बतौर रिश्वत एक शराब की बोतल तथा कुछ नकद धनराशि प्रदान करते हैं।”