धर्मशास्त्र

हस्तरेखा शास्त्र : जिनके हाथ में होता ऐसा गुरु वलय, वह अकूत धन- दौलत छोड़ कर बन जाते हैं सन्यासी

Paliwalwani
हस्तरेखा शास्त्र : जिनके हाथ में होता ऐसा गुरु वलय, वह अकूत धन- दौलत छोड़ कर बन जाते हैं सन्यासी
हस्तरेखा शास्त्र : जिनके हाथ में होता ऐसा गुरु वलय, वह अकूत धन- दौलत छोड़ कर बन जाते हैं सन्यासी

वैदिक ज्योतिष में जैसे मनुष्य की कुंडली में स्थित ग्रहों का विश्लेषण करके उसके नेचर और भविष्य के बारे में बताया जाता है। वैसे ही हस्तरेखा शास्त्र में व्यक्ति की हथेली को पढ़कर उसके व्यक्तित्व और जीवन के बारे में बताया जाता है। हथेली में कई प्रकार की रेखाएं होती हैं, जैसे- धन रेखा, जीवन रेखा, मकर रेखा, विवाह रेखा आदि। ऐसे ही हथेली में रेखाओं के साथ- साथ वलय भी होते हैं। वलय मतलब एक प्रकार का घेरा। आज हम बात करने जा रहे हैं, गुरु वलय के बारे में। यह वलय गुरु पर्वत को घेरे हुए होता है। आपने देखा होगा कुछ लोग अकूत संपत्ति के मालिक होते हुए भी सन्यासी का जीवन जीना पसंद करते हैं। उनके हाथ यही गुरु वलय होता है।

जानिए कहा होता है गुरु वलय:

गुरु पर्वत को घेरते हुए या बांधते हुई जो रेखा होती है, गुरु वलय कहलाती है। यदि किसी व्यक्ति के हाथ में गुरु वलय है तो वह आध्यात्मिक और धार्मिक प्रवृत्ति का होता है। वह अपने धर्म का प्रबल समर्थक और ईश्वर की उपस्थिति को मानने वाला होता है और वह पूरी तरह से भगवान की भक्ति में रम जाता है।

सन्यासी बनते हैं ऐसे लोग:

हस्तरेखा शास्त्र अनुसार गुरु पर्वत भी अच्छी स्थिति में है और साथ में गुरु वलय भी है तो यह व्यक्ति को आध्यात्मिकता में ऊंचाइयों पर ले जाता है। ऐसे लोगों को आध्यात्म में सौ फीसदी सफलता मिलती है। कई व्यक्ति के हाथ में दो वलय बनते हैं तो ऐसा व्यक्ति ईश्वर की उपस्थिति को मानता है। इस तरह के व्यक्ति सन्यासी हो सकते हैं। गुरु वलय प्रचुर धन की सूचना भी देता है। 

कोई रेखा शुक्र पर्वत तक जाए तो:

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार यदि गुरु पर्वत से कोई रेखा शुक्र पर्वत तक खड़ी हो तो ऐसा व्यक्ति धन-दौलत तो खूब कमाता है, लेकिन आखिर में सब मोह- माया छोड़कर  सन्यासी हो जाता है। उसे भौतिकता से कोई लगाव नहीं होता। उसका मानना होता है। ये सब कुछ बेकार की चीजें हैं और अंतिम सत्य ईश्वर है।

मनुष्य जाता है सिद्धि की ओर:

यदि शनि पर्वत पर त्रिभुज भी मिलता है तो व्यक्ति सिद्धि की ओर जाता है और वह एकांत में बैठकर तपस्या करता है। गुरु पर्वत पर वलय वाले व्यक्ति उच्च पद पाने वाले होते हैं। ये समाज सेवा भी बढ़कर करते हैं। साथ ही ये लोग सामाजिक कार्यक्रमों में खूब धन में देते हैं। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार ईमानदार लोगों के हाथों में ही यह वलय मिलता है। यदि व्यक्ति के हाथ में टूटा हुआ अथवा अधूरा वलय बनता है तो ऐसे व्यक्ति को धन एकत्र करने में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। 

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