धर्मशास्त्र
योगिनी एकादशी का व्रत करना 88 हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर
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- स्कंद पुराण के मुताबिक आषाढ़ महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी के दिन योगिनी एकादशी व्रत करने का विधान है. योगिनी एकादशी तीनों लोकों में प्रसिद्ध है.
- इस बार 5 जुलाई को एकादशी तिथि है, इसी दिन व्रत भी किया जाएगा. क्योंकि धर्मसिंधु ग्रंथ में बताया गया है कि जब एकादशी और द्वादशी तिथि साथ रहे तो ये व्रत करना चाहिए.
- इस दिन विष्णुजी की पूजा की जाती है. योगिनी एकादशी व्रत के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का भी विशेष महत्व है.
- इस व्रत से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं. पद्म पुराण के मुताबिक योगिनी एकादशी समस्त पापों का नाश करने वाली है और जीवन में समृद्धि और आनन्द की प्राप्ति होती है.
- इस दिन व्रत करने से हर तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियां खत्म होती है. इससे रूप, गुण और यश भी बढ़ता है.
- ध्यान रहे कि इस दिन में योगिनी एकादशी की कथा भी जरूर सुननी चाहिए. इस दिन दान कर्म करना भी बहुत कल्याणकारी रहता है.
- यह माना जाता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करना 88 हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर है.
- इस दिन नहाकर साफ कपड़े पहनें. फिर भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगाजल से नहलाकर, चंदन, रोली, धूप, दीप, पुष्प से पूजन और आरती करें.
- पूजन के बाद जरूरतमंद लोगों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें. अगले दिन सूर्योदय के समय ईष्ट देव को भोग लगाकर, दीप जलाकर और प्रसाद का वितरण कर व्रत खोलें.
- एकादशी का व्रत रखने वाले उपासक को अपना मन स्थिर एवं शांत रखना चाहिए.
- किसी भी प्रकार की द्वेष भावना या क्रोध मन में न लाएं.
- दूसरों की निंदा न करें.
- भूखे को अन्न तथा प्यासे को जल पिलाना चाहिए.
- एकादशी पर रात्रि जागरण का बड़ा महत्व है.
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