धर्मशास्त्र
शुभ विवाह लग्न : इन शुभ लग्नों और मुहूर्तों में करें शादी, कभी नहीं होगा पारिवारिक क्लेश
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शुभ विवाह लग्न : हर कोई चाहता है उनका आने वाला वैवाहिक जीवन सुखमय रहने के साथ-साथ पारिवारिक क्लेश से दूर रहे। यदि आप भी शादी के बंधन में बंधने वाले हैं या शादी के लिए शुभ लग्न (Shubh Lagna) निकलवा रहे हैं तो चलिए आज ज्योतिषचार्यों से जानते हैं कि विवाह का सबसे शुभ लग्न और मुहूर्त कौन से होते हैं।
क्या होते हैं शुद्ध मुहूर्त (What is Shudha Muhurat) Subh vivah mahurat
ज्योतिषाचार्य के अनुसार वैसे तो विवाह के लिए कई मुहूर्त होते हैं लेकिन सफल जीवन के लिए हमेशा लोगों द्वारा शुद्ध मुहूर्त (Shudhha Muhurat) में विवाह को देखने के लिए कहा जाता है।
कौन से होते हैं दोष (Vivah Dosh Kya Hote Hain) Subh vivah mahurat
ज्योतिषाचार्य की मानें तो मृत्यु बाण दोष , सूर्य वेद दोष (Surya Ved Dosh), भौम युति दो , बौद्ध दोष आदि सहित 10 प्रकार के दोष होते हैं जिनमें विवाह करना सही माना जाता है। इसलिए विवाह के लिए हमेशा इन दोषों से रहित मुहूर्त देखे जाते हैं।
किसे कहते हैं मुहूर्त (What is Muhurat) Subh vivah mahurat
सनातन धर्म में ज्योतिष विद्या का बहुत महत्व है। हम हर शुभ कार्य को एक विशेष समय पर करते हैं। वह विशेष समय हमारे ऋषि मुनियों द्वारा शोधित समय काल होता है, जिसे हम मुहूर्त कहते हैं। इसी तरह विवाह के लिए भी हमारे ऋषियों ने समय की गणना की है। मुहूर्त के बारे में मुहूर्त चिंतामणि, मुहूर्त गणपति (Muhurat Ganpati), मुहूर्त सागर (Muhurat Sagar), मानसागरी आदि ग्रंथों में बताया गया है।
विवाह के लिए सबसे शुभ लग्न Subh vivah Lagn
विवाह के शुभ लग्न की बात करें तो सूर्य देव मेष (Mesh), वृष(Vrish), मिथुन( Mithun), वृश्चिक (Vrishchik), मकर (Makar) एवं कुंभ (Kumbh) राशि में होना चाहिए। परंतु इस समय काल में भी शुक्र (Shukra Ast) और गुरु अस्त (Guru Ast) नहीं होने चाहिए।
इस दौरान विवाह होते हैं वर्जित Subh vivah mahurat
विवाह के न होने वाले समय की बात करें तो कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की परिवा तक इन 5 दिनों में विवाह नहीं किया जाता है।
कौन से नक्षत्र होते हैं शुभ (Vivah Shubh Nakshatra)
अगर हम नक्षत्र पर ध्यान दें तो रोहिणी (Rohini) , मृगशिरा (Mragshira) , मघा, उत्तराफाल्गुनी, स्वाति, अनुराधा, मूल, उत्तर, भाद्रपद एवं रेवती तथा कात्यायन पद्धति के अनुसार अश्वनी, हस्त, चित्रा, श्रवण एवं धनिष्ठा नक्षत्र में विवाह किया जा सकता है। इस प्रकार देवशयन की समयावधि में गुरु या शुक्र के अस्त होने पर कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की परिवा तक विवाह संबंध नहीं किए जाते हैं।
क्या होता है देव शयन (Kya Hota Hais Dev Shayan) Subh vivah mahurat
देव शयन का अर्थ है भगवान विष्णु के सोने का समय। इस समय को चौमासा भी कहते हैं। कहा जाता है कि भगवान इन 4 महीनों में पाताल लोक में बलि के द्वार पर विश्राम करते हैं। यह समय अषाढ शुक्ल पक्ष की एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तक का है। भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को क्षीरसागर लौटते हैं। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी एकादशी भी कहते हैं। इस समय के अंतराल में विवाह आदि शुभ कार्यों के मुहूर्त पूरी तरह से बंद रहते हैं।