राजस्थान
राजस्थान बीजेपी की 'अंतर्कलह' पर आलाकमान सख्त : दर्जनभर से अधिक नेता दिल्ली तलब
तिलक माथुर-
कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के मामले में विधानसभा अध्यक्ष व राज्यपाल को ज्ञापन देने गए प्रतिनिधिमंडल में वसुंधरा राजे का शामिल नहीं होना बना चर्चा का विषय
केकड़ी-राजस्थान
राजस्थान बीजेपी में गुटबाजी को लेकर आलाकमान बेहद चिंतित है। यही वजह है कि आज अचानक राजस्थान बीजेपी के कोर ग्रुप की बैठक दिल्ली बुलाई गई है जिसमें राजस्थान के करीब एक दर्जन से अधिक नेता दिल्ली तलब किये गए हैं। अचानक बुलाई गई बैठक में किन मुद्दों पर चर्चा होगी कोर ग्रुप के सदस्यों को भी इसकी जानकारी नहीं। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में बीजेपी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है।
हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी व राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलने गए प्रतिनिधिमंडल में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को शामिल नहीं किया गया था। हालांकि, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि अचानक कार्यक्रम बना, लेकिन जानकारों का कहना है कि पूनिया-शेखावत गुट वसुंधरा राजे से दूरी बनाकर चल रहा है। यही कारण है कि पूर्व सीएम राजे की देवदर्शन यात्रा से पूनिया ने दूरी बना ली थी। बीकानेर में वसुंधरा राजे की जनसभा से संगठन ने दूरी बनाए रखी। विवाद बढ़ने पर प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि कोई व्यक्ति रैली निकाल सकता है।
बता दें, वसुंधरा समर्थक लगातार राजे से सीएम फेस घोषित करने की मांग कर रहे है। कहा जाता है कि जहां चार बर्तन होंगे तो वो खड़केंगे भी। राजस्थान में कांग्रेस के कुनबे के बर्तनों की खड़खड़ाहट तो पिछले करीब सवा दो साल से सुनाई दे ही रही थी। लेकिन अब यहां बीजेपी में भी इसी तरह की आवाज सुनाई देने लगी है। वसुंधरा राजे गुट और पार्टी के प्रदेश मुखिया सतीश पूनिया खेमे के बीच परस्पर खींचतान वैसे तो कोई नई बात नहीं है। लेकिन जैसे जैसे राजस्थान में चुनावी गतिविधियां तेज हो रही हैं गुटबाजी भी बढ़ती दिख रही है। ऐसे में पार्टी के केंद्रीय नेता अब राजस्थान में नेताओं को एक जाजम पर बैठाने की कोशिश में जुट गए है। इस बैठक में कोर ग्रुप के नेता पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिह राठौड़, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर, प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, ओम प्रकाश माथुर, अलका गुर्जर, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी और अर्जुन राम मेघवाल के शामिल होने के आसार है। इस बैठक की नौबत क्यों आई? ये एक बड़ा सवाल है। दरअसल राजस्थान में कांग्रेस के विधायकों के 25 दिसंबर को विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे गए इस्तीफों को लेकर बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी व राज्यपाल कलराज मिश्र को ज्ञापन देने गया था। इस प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई खुद प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया कर रहे थे। प्रतिनिधिमंडल में दूसरे कई नेता शामिल थे लेकिन पूर्व सीएम वसुंधरा राजे इस दौरान नदारद थीं। ऐसा भी नहीं कि वसुंधरा उस दिन जयपुर में नहीं थीं, क्योंकि सुबह वो जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर में दर्शन के लिए गईं थी और उसके बाद मोती डूंगरी गणेश मंदिर में पूजा अर्चना के लिए पहुंची थीं।
वसुंधरा का सरकारी मकान विधानसभा अध्यक्ष के सरकारी मकान के ठीक सामने है, लेकिन वसुंधरा राजे शहर में होने के बावजूद इस प्रतिनिधिमंडल के साथ नहीं थीं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रदेश अध्यक्ष ने वसुंधरा राजे को संदेश नहीं भेजा या उन्हें सूचना दिए जाने के बाद भी वो इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं बनीं। राजभवन के बाहर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया समेत दूसरे कई नेताओं से वसुंधरा राजे की गैर हाजिरी को लेकर मीडिया ने सवाल किए, लेकिन बीजेपी के नेता इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। वसुंधरा की इस कार्यक्रम से अनुपस्थिति की वजह चाहे कुछ भी रही हो, लेकिन इससे एक बात तो साफ हो गई कि राजस्थान बीजेपी में जबरदस्त अंतर्कलह है।
इन सबके बीच पीएम नरेंद्र मोदी की एक नवंबर को राजस्थान के बांसवाड़ा में यात्रा है। पीएम की यात्रा से पहले बीजेपी में सब कुछ ठीक करने के मकसद से ही पार्टी आलाकमान ने राजस्थान बीजेपी नेताओं को दिल्ली तलब करने का फैसला किया है। राजस्थान बीजेपी के वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश माथुर भी इस कोर कमेटी में शामिल है। वो पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में शामिल होकर दिल्ली से जयपुर पहुंचे थे। उन्होंने सोचा था कि दीपावली पर अपने गांव पाली में रहेंगे। लेकिन इससे पहले ओम माथुर पाली रवाना होते उन्हें शुक्रवार को फिर से दिल्ली पहुंचने का संदेश मिल गया।
जब इस बारे में मीडिया ने माथुर से पूछा तो उन्होंने कहा कोर कमेटी की बैठक अचानक बुलाई गई है तो निश्चित रूप से कोई महत्वपूर्ण मुद्दा होगा। माथुर का ये कहना इस बात का पर्याप्त प्रमाण है कि शुक्रवार की बैठक आनन फानन में बुलाई गई है। पार्टी के राष्ट्रीय नेता राजस्थान के नेताओं की जमकर क्लास लेने वाले हैं। वैसे आपसी खींचतान और पीएम के एक नवंबर के प्रस्तावित दौरे के अलावा खुद प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का अध्यक्षीय कार्यकाल भी इस कोर कमेटी की बैठक का एक प्रमुख एजेंडा होगा। पूनिया का राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर समय पूरा हो चुका है, लेकिन माना जा रहा है कि उन्हें अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव तक इस पद पर बनाए रखा जाएगा।
इस पर भी कोर कमेटी की बैठक में चर्चा होगी। लेकिन इतना तय है कि कोर कमेटी की बैठक में शामिल हो रहे राजस्थान बीजेपी के सभी नेताओं को साफ तौर पर ताकीद की जाएगी कि वो एकजुट हो जाएं और सामूहिक रूप से चुनावी तैयारी में जुट जाएं। अपनी अपनी ढपली और अपना अपना राग की रोज सुनाई देने वाली चर्चा अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
● तिलक माथुर 9251022331