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अब जिला हुआ बर्बाद तुम्हारे जुमलो से फिर नहीं चलेगी राज चुनावी जुमलो से
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अब जिला हुआ बर्बाद तुम्हारे जुमलो से फिर नहीं चलेगी राज चुनावी जुमलो से तुम करके भाषण बजवाते हो ताली क्यूं कैसे होगा उद्धार जिले के जुमलो से!
आज की बात खरी -खरी
मनोज जायसवाल...✍️
सिंगरौली.
सिंगरौली जिले के माडा थाना क्षेत्र के अमिलिया घाटी बीते दिनों अड़ानी कंपनी के हाईवे की चपेट मैं आ जाने से बाइक पर सवार दो व्यक्तियों की मौके पर मौत हो गई थी जहां अज्ञात आक्रोशित भीड़ ने आठ गाड़ियों में आगजनी का माहौल बना दिया, घटना के तीसरे दिन प्रभारी मंत्री संपत्तियां यूके शोकाकुल परिवार के घर पहुंच कर शोक संवेदना व्यक्ति की साथ ही उनके छायाचित्र पर पुष्प अर्पित का श्रद्धांजलि दी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया वही दोनों परिवार जनों को राहत राशि के रूप दो-दो लाख रुपए का चेक दी, एक परिवार में एक लोगों की नौकरी!
मंत्री जी के कथनी और सरकार के चुने जनप्रतिनिधि साथ ही प्रशासन की जिम्मेदार अधिकारी की करनी स्पष्ट आप लोगों से छुपा नहीं है!
एक नज़र इधर भी...
प्रभारी मंत्री मीडिया से बातचीत के दौरान खुद बोल रही हैं लोकल फॉर बोकल देश के प्रधानमंत्री जी का हमेशा मंसा रहती है जो ऐसे दुखी परिवार हैं जो वंचित शोषित है उन्हें फ्रंट लाइन पर लाकर उनके साथ न्याय हो सबका साथ सबका विकास सबका प्रयास का मूल मंत्र लेकर काम करती है सरकार लेकिन सरकार के विधायक सांसद जिला के आला अधिकारियों सहित अपनों को सवाल के घेरे में लाकर खड़ा कर दिए हैं, जिले की आबादी लगभग 14 लाख से ऊपर है, लेकिन आज भी यहां के युवा वर्ग बढ़ती बेरोजगारी से त्रस्त है!
बेरोजगारी से जूझ रहे युवाओं के पास विकल्प क्या है बताएं जनप्रतिनिधि, जवाब उन विधायक सांसद को साथ ही साथ जिले के जिम्मेदार अधिकारी को देना चाहिए बढ़ती बेरोजगारी शिक्षित युवाओं को दीमक की तरह चाटती जा रही है जनसंख्या अनुसार रोजगार के अवसर जितने सृजित किए जानें की आवश्यकता है उतने नहीं हो पा रहे हैं ऐसी शिक्षा ग्रहण करने का क्या औचित्य जो युवाओं को नशे की गर्त में धकेल कर अपराधी बनने के लिए मजबूर कर रही हो.
जनता के वोट से चुने गए जनप्रतिनिधि और साथ ही प्रशासन के जिला के जिम्मेदार अधिकारियों को सबक अमिलिया अग्निकांड से ले लेनी चाहिए कंपनी की दलाली छोड़कर शिक्षित बेरोजगार युवाओं के हित में आकर खड़ा होने की जरूरत है भयावह बेरोजगारी की वजह एवं कंपनी के प्रति स्थानीय युवाओं में आग देखने को मिला, बेरोजगार सिर्फ पत्थरबाजी करने के लिए ही मजबूर नहीं बल्कि नशे की लत में फंसकर अपने भविष्य से भी खिलवाड़ करता जा रहा है चुनावी समर में बेरोजगारी को खत्म करने का एजेंडा हर राजनीतिक दल के मेनिफेस्टो में शामिल होता है चुनावो के बाद कोई भी राजनीतिक दल अब तक युवाओं से किए गए वादों पर खरा नहीं उतर पाया है! अब ऐसे में हम स्थानीय जागरूक जनता को सोचनें की जरूरत है!