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पत्नी के अत्याचार से पति का 21 किलो वजन हुआ कम, क्रूरता के आधार पर तलाक हुआ मंजूर
Paliwalwaniपंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पत्नी की क्रूरता के आधार पर दिव्यांग व्यक्ति को तलाक मंजूर करने के फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. करीब 50 फीसदी हियरिंग लॉस की समस्या से गुजरने के कारण हियरिंग ऐड (श्रवण यंत्र) पहनने वाले व्यक्ति ने दावा किया था कि पत्नी की क्रूरता के कारण उसका वजन 74 किलोग्राम से घटकर 53 किलोग्राम रह गया है. फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ व्यक्ति की पत्नी की अपील खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने इस तथ्य पर भरोसा जताया कि महिला ने अपने पति और उसके परिजनों के खिलाफ जितनी भी आपराधिक शिकायतें दर्ज कराई हैं, वे सभी झूठी साबित हुई हैं और यह मानसिक संताप की श्रेणी में आता है.
न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति अर्चना पुरी की बेंच ने हिसार की महिला द्वारा दायर अपील खारिज कर दी. महिला ने परिवार अदालत के 27 अगस्त 2019 के उस आदेश को निरस्त करने के लिए अपील दायर की थी जिसमें निचली अदालत ने उसके पति की याचिका स्वीकार करते हुए तलाक के अनुरोध को मंजूर कर लिया था. दोनों की शादी अप्रैल 2012 में हुई थी और उनकी एक बेटी भी है, जो पिता के साथ रहती है. व्यक्ति बैंक में काम करता है, जबकि महिला हिसार के एक निजी स्कूल में पढ़ाती है.
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हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘इस बात को ध्यान में रखते हुए कि अपीलकर्ता शिक्षित महिला है और निश्चित तौर पर वह 2013 और 2019 में दर्ज अपनी आपराधिक शिकायतों के गंभीर परिणामों से अवगत होगी. इतना ही नहीं, व्यक्ति अपनी पत्नी के 2016 में ससुराल छोड़कर जाने के बाद भी तीन साल की बेटी की देखभाल करता रहा. ये सारी बातें मानसिक संताप की श्रेणी में आती हैं.’
महिला ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दलील दी
व्यक्ति ने पत्नी के खिलाफ क्रूरता का आरोप लगाते हुए कोर्ट के समक्ष दावा किया था कि शादी के समय उसका वजन 74 किलोग्राम था, लेकिन अब यह घटकर 53 किलोग्राम रह गया है. महिला ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दलील दी थी कि उसके पति और ससुराल वालों ने शादी के छह माह बाद से ही दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को यह पता चला था कि महिला 2016 में ससुराल छोड़कर चली गयी थी. उसने अपनी बच्ची को भी छोड़ दिया था और उसके बाद उसने कभी मिलने का प्रयास भी नहीं किया. दहेज के लिए उत्पीड़न की बात तो दूर, ससुराल वालों ने उस महिला की उच्च शिक्षा के लिए खर्च भी उठाया था.