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Car Insurance Renewal: कार इंश्योरेंस रिन्यू कराते समय रखे बातों का ध्यान, वरना आपको हो सकता है नुकसान
Paliwalwaniकार बीमा पॉलिसी के प्रीमियम को प्रभावित करने वाले कई फैक्टर हैं, लेकिन पॉलिसी का चुनाव या रिन्यूअल करते समय केवल प्रीमियम पर ही ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए. मोटर इंश्योरेंस एक्ट के अनुसार, भारत में थर्ड-पार्टी मोटर इंश्योरेंस कवर होना जरूरी है. हालांकि, यह एकमात्र कवर नहीं है जो आपको अपनी कार के लिए रखना चाहिए. आमतौर पर पहली मोटर बीमा पॉलिसी कार डीलर से मिलती है, जिसे जल्दबाजी में खरीदा जाता है. हालांकि, पहले रिन्यूअल के दौरान ज्यादातर पॉलिसीधारक अपनी जरूरतों को समझते हैं और इस आधार पर एक सही पॉलिसी का चुनाव करते हैं. कार बीमा पॉलिसी का चयन या रिन्यूअल करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है, जिसके बारे में हमने यहां आपको बताया है.
नो क्लेम बोनस (NCB) : Car Insurance Renewal
एनसीबी एक डिस्काउंट है जो आम तौर पर देय प्रीमियम पर 20 से 50 प्रतिशत तक होती है. इसका दावा पॉलिसी खरीदते समय नहीं किया जा सकता, बल्कि क्लेम-फ्री रिकॉर्ड बनाए रखकर इसके लिए दावा किया जा सकता है. यह बीमाकर्ता द्वारा पॉलिसीधारक को दी जाने वाली छूट है, जो केवल पॉलिसी के रिन्यूअल पर उपलब्ध होती है. अगर पॉलिसी के तहत आपने पिछले वर्ष में कोई दावा नहीं किया है, तो आप नो क्लेम बोनस के पात्र हैं. जब पॉलिसीधारक द्वारा नई कॉम्प्रिहेंसिव मोटर बीमा पॉलिसी खरीदी जाती है, तो वह आमतौर पर भुगतान किए गए प्रीमियम पर किसी भी एनसीबी छूट के लिए पात्र नहीं होता है. पॉलिसी के पहले रिन्यूअल पर एक पॉलिसीधारक आम तौर पर 20 प्रतिशत के नो क्लेम बोनस का हकदार होता है, हालांकि कि इसके लिए शर्त यह है कि पिछले वर्ष के दौरान कोई दावा न किया गया हो. प्रत्येक क्लेम-फ्री वर्ष के साथ, यह डिस्काउंट 5 क्लेम-फ्री वर्षों के अंत में लगातार बढ़कर अधिकतम 50 प्रतिशत तक जाता है.
ध्यान दें कि, NCB पॉलिसीधारक से संबंधित है न कि कार से. इसलिए, अगर आप पॉलिसी के रिन्यूअल के समय किसी अन्य बीमाकर्ता के पास जाते हैं या अगर आप अपनी मौजूदा कार को बदलकर एक नई कार खरीदते हैं, तो आप अपना एनसीबी बरकरार रख सकते हैं.
ओन डैमेज प्रीमियम (OD) : Car Insurance Renewal
कार बीमा खरीदते समय, पॉलिसीधारकों को 2 विकल्पों में से किसी एक को चुनना होता है. ये दो विकल्प हैं – लिमिटेड कवर प्लान या एक व्यापक कार इंश्योरेंस कवरेज. लिमिटेड कवर प्लान केवल लायबिलिटी-ओनली प्लान या थर्ड-पार्टी लायबिलिटी बीमा है. इसका नुकसान यह है कि इसमें केवल थर्ड पार्टी की लायबिलिटी को कवर किया जाता है और कार मालिक को दुर्घटना की वजह से होने वाली लीगल लायबिलिटी से बचाता है, वहीं यह बीमित वाहन को डैमेज प्रोटेक्शन प्रदान नहीं करता है. कार बीमा में ओन डैमेज कवर, थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के विपरीत बीमित वाहन को नुकसान से बचाता है. केवल व्हीकल को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए जो पॉलिसी खरीदी जाती है, उसे ओन डैमेज (Own Damage Policy) कहा जाता है.
इसमें बीमा कंपनी कार को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा देती है. कुछ कंपनियां इसे सेल्फ-डैमेज बीमा भी कहती हैं. इस कवर में विशेष रूप से दो कवरेज शामिल हैं, दुर्घटना या चोरी में बीमित वाहन को नुकसान और वाहन का कुल नुकसान. हालांकि भारत में थर्ड-पार्टी लायबिलिटी इंश्योरेंस अनिवार्य है, वहीं ओन डैमेज कवर को अनिवार्य नहीं किया गया है. हालांकि, यह एक बहुत ही उपयोगी कवर प्लान है. ओन डैमेज कवर एक्सिडेंटल डैमेज, रेल, सड़क, चोरी और तोड़फोड़, प्राकृतिक आपदाओं जैसे तूफान, भूस्खलन, बाढ़, मानव निर्मित आपदाओं जैसे दंगे, हड़ताल, मालिक या ड्राइवर को व्यक्तिगत दुर्घटना कवर के लिए कवरेज प्रदान करता है.
व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा : Car Insurance Renewal
कार दुर्घटना में गाड़ी चलाने वाले को हुई शारीरिक क्षति के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा काम आता है. इसमें चालक और सामने वाली सीट पर बैठे दूसरे व्यक्ति के अलावा अन्य पैसेंजर्स को भी शामिल किया जा सकता है. हादसे में अगर कार मालिक की मौत हो जाती है या स्थायी विकलांगता की स्थिति में उसे/ परिवार वालों को मुआवजा मिलता है.
भारत में मोटर इंश्योरेंस के साथ व्हीकल ओनर/ड्राइवर और साथ में बैठे व्यक्ति के लिए न्यूनतम 15 लाख का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा लेना अनिवार्य है. IRDAI ने 1 जनवरी 2019 से पर्सनल एक्सीडेंट कवर को मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी से अलग कर दिया है. यानी वाहन मालिक चाहे तो कार खरीदते वक्त मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी+ पर्सनल एक्सीडेंट कवर दोनों ले सकता है. या फिर जनरल पर्सनल एक्सीडेंट प्रॉडक्ट के तौर पर पर्सनल एक्सीडेंट कवर को अलग से किसी अन्य इंश्योरर से ले सकता है. ऐसे में अगर किसी ने पहले से ही 15 लाख या इससे ज्यादा का पर्सनल एक्सीडेंट कवर लिया हुआ है तो उसे मोटर इंश्योरेंस के तहत कंपल्सरी पर्सनल कवर लेने की जरूरत नहीं है.
प्रीमियम : Car Insurance Renewal
पॉलिसीधारक द्वारा कंपनी को भुगतान किए गए बीमा प्रीमियम की राशि कई फैक्टर पर निर्भर करती है, जैसे कि पॉलिसी का प्रकार, टेन्योर, बीमा राशि, कवरेज का प्रकार, कार का प्रकार, वह इलाका जहां पॉलिसीधारक रहता है आदि. किसी इवेंट या क्लेम से जुड़ा जोखिम जितना ज्यादा होता है, बीमा प्रीमियम उतना ही महंगा होता जाता है. एंटी थेफ्ट डिवाइसेज और दूसरे सेफ्टी फीचर्स जैसे एयर बैग या एंट्री ब्रेकिंग सिस्टम मुसाफिर और कार की सुरक्षा को बढ़ाते हैं. इसलिए इनकी कार में मौजूदगी से आपका सालाना प्रीमियम कम हो सकता है. इसके साथ ये फीचर आपके कार के चोरी होने की संभावना को कम करते हैं और दुर्घटना से जुड़े जोखिम को भी पर्याप्त स्तर पर घटाते हैं.
कार इंश्योरेंस लेने वाले ग्राहक अपने बीमाकर्ता से NCB का फायदा नहीं लेते हैं. कई बार आप इंश्योरेंस रिन्यू करते समय अपने बीमाकर्ता को बदलने का फैसला भी ले सकते हैं. ऐसे मामलों में नया बीमाकर्ता आपको यह नहीं बताता कि आपको NCB मिल सकता है, अगर आपका कार इंश्योरेंस उनके द्वारा नहीं भी किया गया है. यह ध्यान रखें कि अगर आपने पिछले साल में इंश्योरेंस क्लेम नहीं किया है, तो आप NCB लेने के योग्य हैं. कार मालिकों के लिए पार्किंग एक बड़ी चिंता है. जगह के घटने और वाहनों की बढ़ती संख्या ने इस मुश्किल को बढ़ाया है. कारों को रोड पर पार्क किया जा रहा है जिससे डैमेज का खतरे में इजाफा हो रहा है. ऐसी स्थिति में, अगर आपके पास गैरेज है, तो आप बीमा कंपनी के साथ डिस्काउंट के लिए बातचीत कर सकते हैं.