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हरियाणा जिला परिषद चुनाव में AAP की धमाकेदार एंट्री : गृहमंत्री अनिल विज के गढ़ में भी कब्जा : बीजेपी के लिए खतरे की घंटी

Paliwalwani
हरियाणा जिला परिषद चुनाव में AAP की धमाकेदार एंट्री : गृहमंत्री अनिल विज के गढ़ में भी कब्जा : बीजेपी के लिए खतरे की घंटी
हरियाणा जिला परिषद चुनाव में AAP की धमाकेदार एंट्री : गृहमंत्री अनिल विज के गढ़ में भी कब्जा : बीजेपी के लिए खतरे की घंटी

हरियाणा : जिला परिषद चुनाव में कई इलाकों में AAP की धमाकेदार एंट्री, अनिल विज के गढ़ में भी कब्जा हरियाणा में कुल 22 जिला परिषद हैं, जिसमें सदस्यों की संख्या 411 है। इस चुनाव में बीजेपी ने 102 प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें से 22 जीते हैं। वहीं आम आदमी पार्टी ने कुल 100 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जहां उसने 15 पर बाजी मारी।

आम आदमी पार्टी अब दिल्ली और पंजाब के अलावा अन्य राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत कर रही। इसका उदाहरण हरियाणा के जिला परिषद चुनावों में दिख गया। वहां पर केजरीवाल की पार्टी ने शानदार एंट्री की और कई दलों को पछाड़ दिया। वैसे इस चुनाव में वो बीजेपी से थोड़ा पीछे रह गई, लेकिन इसे 2024 के चुनाव में खतरे की घंटी माना जा रहा है। हरियाणा के बाद अब सभी की नजरें गुजरात विधानसभा और दिल्ली नगर निगम चुनाव पर हैं, जहां AAP ने पूरी ताकत झोंक रखी।

हरियाणा में कुल 22 जिला परिषद हैं, जिसमें सदस्यों की संख्या 411 है। ये सदस्य ही परिषदों के प्रमुखों का चुनाव करते हैं। बात करें नतीजों की तो बीजेपी ने अंबाला, यमुनानगर, गुरुग्राम समेत 7 जिलों में अपने सिंबल पर 102 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था। जिसमें से सिर्फ 22 पर ही उसके प्रत्याशी जीते। पंचकूला में भी हाल चिंताजनक रहा, क्योंकि वहां की 10 सीटों पर पार्टी हार गई। वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी ने 15 सीटों पर जीत हासिल की। इस चुनाव के जरिए उसने ये साबित कर दिया कि उसकी पकड़ सिरसा, अंबाला, यमुनानगर और जींद जैसे इलाकों में है। पार्टी के मुताबिक उसने 100 प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा अंबाला कैंट की हो रही। ये राज्य के गृहमंत्री अनिल विज का इलाका है, यहां पर बीजेपी को मजबूत होना चाहिए था, लेकिन AAP ने बाजी मार ली।

कांग्रेस ने इस चुनाव में अपने सिंबल पर किसी को नहीं उतारा था, ऐसे में वो शुरू से ही रेस से बाहर है। उसके अलावा इंडियन नेशनल लोकदल ने 72 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें से 14 पर वो जीती। ऐसे में देखा जाए तो अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में AAP ने इतनी पुरानी पार्टी को पीछे छोड़ दिया। वैसे इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अपना दम दिखा दिया, जो बड़ी संख्या में जीतकर परिषद में पहुंचे हैं। प्रमुखों के चुनाव में उनकी काफी अहम भूमिका होगी।

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