इंदौर

लॉ कॉलेज में इंदौर की विवादित लेखिका की एक और किताब पर बवाल

Paliwalwani
लॉ कॉलेज में इंदौर की विवादित लेखिका की एक और किताब पर बवाल
लॉ कॉलेज में इंदौर की विवादित लेखिका की एक और किताब पर बवाल

'अबला स्त्री के लिए न कृष्ण है, न राम...': कॉलेज के स्टूडेंट ने जांच कमेटी को ये किताब सौंपी

इंदौर : महाभारत में उल्लेख है कि पुत्री आपत्ति थी और वह अपने माता-पिता और पति तीनों के कुलों के लिए संकट थी। ये डॉ. फरहत खान की एक किताब का अंश है। ये किताब इंदौर के सरकारी लॉ कॉलेज की लाइब्रेरी में रखी थी। पिछले दिनों विवादों में आए इस कॉलेज के स्टूडेंट ने जांच कमेटी को ये किताब सौंपी है। किताब में अन्य विवादास्पद कंटेंट होने का आरोप भी स्टूडेंट ने लगाया है। किताब में लिखा है...

'एक पारंपरिक भारतीय परिवार का पक्षपातपूर्ण रवैया सदैव से पुत्र के पक्ष में जुनून की तरह रहा है। यह सब कुछ धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक तथा आर्थिक कारकों पर ही आधारित था। धारणा यह थी कि एक स्त्री जिसे पुत्र न हो वह स्वर्ग की भागी नहीं होगी। एक पुरुष को भी इसी तरह का अभिशाप प्राप्त था। पुत्र को पितरों का उद्धार करने वाला माना गया था और पुत्री को संकट का मूल समझा जाता था।

दूसरी किताब 2018-19 में खरीदने का दावा

जांच कमेटी में शामिल अतिरिक्त संचालक भोपाल डॉ. मथुरा प्रसाद को छात्र नेता लक्की आदिवाल ने ‘महिलाएं एवं आपराधिक विधि’ किताब सौंपी है। ये किताब भी डॉ. फरहत खान ने ही लिखी है। लक्की ने कहा कि किताब में भी विवादास्पद कंटेंट है। कॉलेज में 2018-19 में ये किताब खरीदी गई है। इस किताब को भी स्टूडेंट के पढ़ने के लिए लाइब्रेरी में रखा गया है।

अबला स्त्री के लिए न कृष्ण है, न राम...

डॉ. फरहत खान ने दूसरी विवादित किताब में लिखा है कि ‘नारी पर अत्याचारों का सिलसिला थमने का नाम नहीं लेता, स्थिति के नाम पर 21वीं सदी भी बहुत ज्यादा बेहतर परिणाम देने में सफल नहीं रही है। आज भी द्रौपदी का चीर हरण, सीता का अपहरण, इस युग में देखने को मिलते हैं, परन्तु अबला स्त्री के लिए न कृष्ण है, न राम। कुरान शरीफ में कहा गया है कि आदमी औरत का संरक्षक है, क्योंकि अल्लाह ने एक को दूसरे से अधिक बलशाली बनाया है और चूंकि वह औरत का रखरखाव अपनी कमाई से करता है, अत: अच्छी औरतें आज्ञा कारिणी होती है।

हिंदू समाज में स्त्री: ‘दासी’ अथवा ‘वस्तु’

किताब में लिखा है कि ‘एक ओर इस्लाम के अतिरिक्त सभी धर्म तथा सामाजिक कानून स्त्रियों की प्रतिष्ठा और सम्मान को सबसे अधिक महत्व देते हैं, तो दूसरी ओर, व्यवहार में अधिकांश समाजों द्वारा स्त्रियों को सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक अधिकारों से वंचित किया जाता रहा है। भारत में हिंदुओं के वैदिक धर्म में जहां स्त्रियों को संपत्ति, ज्ञान और शक्ति का प्रतीक मानकर उन्हें लक्ष्मी सरस्वती और दुर्गा के रूप में मान्यता दी गई। वहीं स्मृति कालीन धर्म शास्त्रों में स्त्रियों को ‘दासी’ अथवा ‘वस्तु’ का रूप दे दिया गया।

राजस्थान की स्त्रियों का प्रत्येक चरण मृत्यु से टकराने वाला

डॉ. फरहत खान ने अपनी किताब में लिखा है कि 'राजस्थान की स्त्रियों का भाग्य अन्य देशों की स्त्रियों को भयभीत करने वाला तथा उनकी सहानुभूति प्राप्त करने वाला प्रतीत होता है। उनका जीवन शुरू से ही लोहे की गर्म सलाखों अथवा सुलगते अंगारों पर चलने के समान था। जीवन का प्रत्येक चरण मृत्यु से टकराने वाला था। जन्म के समय विष तथा युवा होने पर अग्नि की लपटों का सामना करने के लिए उन्हें तैयार रहना पड़ता था जो कि पूर्णतया असुरक्षित था।

मंत्री के निर्देश पर नई कमेटी गठित

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर शासकीय लॉ कॉलेज मामले में 7 सदस्यीय जांच समिति गठित की गई। समिति में डॉ. मधुरा प्रसाद अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा भोपाल, डॉ. किरण सलूजा प्रभारी अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा इंदौर, डॉ. अनूप कुमार व्यास प्राचार्य श्री अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर, डॉ. कुंभल खंडेलवाल प्राध्यापक श्री अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर, डॉ. आरसी दीक्षित प्राध्यापक शासकीय होलकर विज्ञान स्व-शासी महाविद्यालय इन्दौर और डॉ. संजय कुमार जैन प्राध्यापक शासकीय बाबूलाल गौर शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय भेल भोपाल को शामिल किया। साभार : दैनिक भास्कर

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