इंदौर
इंदौर व उज्जैन दूध विक्रेता संघों को भेजा गया कानूनी नोटिस
sunil paliwal-Anil paliwalइंदौर : इंदौर व उज्जैन के दूध विक्रेता संघों ने दूध के रेट बढ़ाने की सामूहिक घोषणा की है। यह अनुचित व्यापार प्रथा है और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के खिलाफ है। इस घोषणा से म प्र हाईकोर्ट के आदेश का घोर उल्लंघन हुआ है। अत: दूध के रेट बढ़ाने की घोषणा को तुरंत वापिस लिया जाना चाहिए।
इस आशय का लीगल नोटिस नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पी.जी. नाजपांडे और रजत भार्गव ने इंदौर दूध विक्रेता संघ तथा उज्जैन खेरची दूध विक्रेता संघ को अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय के माध्यम से दिनांक 06 सितम्बर को भेजा है।
लीगल नोटिस कलेक्टर इंदौर तथा कलेक्टर उज्जैन को भी भेजा गया है। इसकी प्रतिलिपि सेन्ट्रल उपभोक्त्ता प्राधिकरण नई दिल्ली को भी भेजी गई है। नोटिस में बताया गया है कि डॉ. पी .जी. नाजपांडे द्वारा पूर्व में दायर याचिका (डब्ल्य.पी. 4731/2006) में यह आपत्ति जताई गई थी कि जबलपुर दूध विक्रेता संघ ने सामूहिक रूप से दूध के रेट की घोषणा की है जो गैर कानूनी है। हाईकोर्ट ने इस दलील को स्वीकार किया। बाद में जबलपुर दूध विक्रेता संघ ने दूध मूल्य घोषणा निरस्त की और विज्ञापन जारी किया कि प्रत्येक दूध उत्पादक, दूध का मूल्य निर्धारित करने हेतु स्वतंत्र रहेगा। अब संघ द्वारा दूघ मूल्य निर्घारित नहीं किया जाएगा।
इसके बाद भी जब जबलपुर दूध विक्रेता संघ ने पुनः वर्ष 2009 में सामूहिक रेट की घोषणा की तब अवमानना यायिका न 524/2009 दायर की गई है, जिस पर हाईकोर्ट ने नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। यह याचिका अभी लंबित है।
इस संदर्भ में कलेक्टर उज्जैन और इंदौर को तत्काल कार्रवाई कर दूघ विक्रेता संघों की सामूहिक घोषणाओं को निरस्त करना चाहिए अन्यथा हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।