इंदौर
indoremeripehchan : इंदौर में नोटरी पर जमीनों की खरीदी बिक्री बंद, धारा 144 में जारी होंगे आदेश
sunil paliwal-Anil Bagora
इंदौर.
इंदौर में प्रशासन लगातार होने वाली नोटरियों पर रोक लगाने जा रहा है। जमीन, भूखंड या अन्य कोई भी अचल संपत्ति अब नोटरी के जरिए खरीदी-बेची नहीं जा सकेगी और नोटरी करने वालों के खिलाफ भी कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसके लिए धारा 144 में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए जाएंगे।
कानूनी जानकारों का कहना है कि 100 रुपए से अधिक की कोई भी अचल संपत्ति बिना रजिस्ट्रेशन के मान्य नहीं होती है। अभी प्रशासन ने जिन अवैध कॉलोनियों में एफआईआर दर्ज करवाई, उनमें भी नोटरी के जरिए कई भूखंड बेचे गए।
कलेक्टर आशीष सिंह ने अभी अवैध कॉलोनाइजेशन रोकने के लिए कई कड़े कदम उठाए हैं। उन्होंने जहां पंचायत क्षेत्र में विकसित हुई 100 कॉलोनियों की जांच शुरू करवाई और आधे से अधिक मामलों में एफआईआर दर्ज हुई है, वहीं अब इन कॉलोनियों में हुई रजिस्ट्रियों को शून्य कराने की कार्रवाई भी कोर्ट से शुरू की जाएगी।
शहर के जाने-माने अभिभाषक अभिनव धनोतकर का भी कहना है कि नोटरी को कोर्ट किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करता है और वैसे भी रजिस्ट्री एक्ट के मुताबिक 100 रुपए से अधिक की किसी भी अचल संपत्ति के लिए रजिस्ट्री करवाना ही अनिवार्य है। कोर्ट नोटरी वाले दस्तावेज साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं करती है। हां, अगर पूरी स्टाम्पिंग की गई हो तो उसे साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, लेकिन शासन-प्रशासन चाहे तो नोटरी पर प्रतिबंध लगा सकता है।
इस बारे में कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है कि इंदौर जिले में अब नोटरी के जरिए किसी भी तरह की अचल संपत्ति की खरीदी-बिक्री प्रतिबंधित की जाएगी और वे इस संबंध में धारा 144 के तहत जल्द ही आदेश जारी करेंगे, जिसमें नोटरी करने वालों को भी यह चेतावनी दी जाएगी कि इस तरह की किसी भी जमीन, भूखंड या अन्य अचल संपत्तियों की नोटरी हरगिज न करें, अन्यथा उनके खिलाफ भी कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उनके लाइसेंस के साथ मान्यता भी समाप्त की जाएगी। यानी वे किसी भी तरह का काम भविष्य में नहीं कर सकेंगे।
दरअसल, इन कॉलोनियों में बगीचों के साथ खुली पड़ी जमीनों की बिक्री की जा रही है और रजिस्ट्रियों के साथ-साथ नोटरियों के जरिए भी इस तरह की खरीद-फरोख्त लगातार होती रही है। इंदौर में भी कई जमीन, भूखंड और अचल संपत्तियां खासकर अवैध कॉलोनियों में नोटरी के जरिए ही बेची गईं, जिसकी किसी भी तरह से कानूनी मान्यता नहीं है।