इंदौर
आजादी का अमृत महोत्सव : विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला में पद्मश्री श्यामसुंदर पालीवाल ने रखे अपने विचार
Anil bagora, Sunil paliwal-
तपस्या की बदौलत पर्यावरण को संतुलित करना होगा आसान : श्यामसुंदर पालीवाल
इंदौर : आवश्यकताएं पूरी करने के लिए लोग प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं. इससे पर्यावरण काफी अंसतुलित हो चुका है. जमीन, जंगल, पेड़, पानी, नदी, पहाड़ को जोड़कर काम करने का लक्ष्य रखकर ही काम करना आज की जरूरत हैं. केवल प्रयास से प्रकृति को बचाना संभव नहीं, एक तपस्या की तरह हमें काम करना होगा. तपस्या की बदौलत पर्यावरण को बदला जा सकता है. तभी आने वाली पीढ़ी शुद्ध हवा में जीवन व्यतित हो सकेगी.
हमारी यहां समस्या कई सालों से चली आ रही हैं. लेकिन वैसे यह तपस्या वर्षों तक चलेगी. विश्वास रखिए, एक न एक दिन आपको इसका फल अवश्य मिलेगा. ये बातें पद्मश्री अलंकरण प्राप्त एवं पालीवाल समाज के वरिष्ठ समाजसेवी श्री श्यामसुंदर पालीवाल ने कल सोमवार को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आयोजन में कही.
पिपलांत्री मॉडल आज देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी : प्रकृति, विकास और सामाजिक तंत्र को जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति आधारित व्यवस्था को जब तक हम स्थापित नहीं करेंगे. तब तक न तो विकास को प्राप्त कर पाएंगे और न ही तंत्र में स्थायी सुधार कर पाएंगे. प्राकृतिक तंत्र पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता हैं. इस कार्य में प्रत्येक व्यक्ति के जुड़ने के बाद ही विकास संभव होगा. उन्होंने आगे बताया कि पिपलांत्री के आसपास अनंत संगमरमर की पहाड़ियां हैं. खनन करने वालों ने जमीन खरीदकर संगमरमर निकाले. 15 साल पहले छोटा अभियान शुरू किया और धीरे-धीरे गांव की सूरत बदलने लगी. वर्तमान में पांच लाख से ज्यादा पेड़ नजर आने लगे हैं. पिपलांत्री मॉडल आज देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी खासियत के कारण दिनों-दिन नई इबारत लिख रहा हैं. आजादी का अमृत महोत्सव
● पालीवाल वाणी मीडिया ब्यूरो : Anil bagora, Sunil paliwal...✍️