दिल्ली
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत बीजेपी की महिला सांसदों को पहलवानों का खुला पत्र, धरने पर बैठे 22 दिन हो गए
Paliwalwani
नई दिल्ली :
पहलवानों ने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा लगाने वाली ये महिला सांसद हमारे दुख में भी शामिल हों और हमारा साथ दें. इतना ही नहीं 16 मई 2023 को देशभर के जिला मुख्यालयों पर 1 दिन के सत्याग्रह करने की मांग भी की गई है. जंतर मंतर पर पिछले 22 दिनों से धरने पर बैठे पहलवानों ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत बीजेपी की महिला सांसदों को खुला पत्र लिखा है. इस पत्र के जरिए पहलवानों ने महिला सांसदों से समर्थन मांगा है, जिससे बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई हो सके.
जंतर मंतर पर प्रेस को संबोधित करते हुए विनेश फौगाट ने कहा कि यहां धरने पर बैठे हुए आज हमें 22 दिन हो गए हैं, लेकिन अब तक बीजेपी से कोई हमारे पास नहीं आया. कोई महिला सांसद नहीं आई. जो लोग बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देते हैं, वो लोग हमारे इस दुख में शामिल नहीं हुए हैं. कल यानी सोमवार को हम बीजेपी की महिला सांसदों को ओपन लेटर लिख कर उनसे मदद मांगेंगे. हमारे पहलवान उनके घर पर लेटर पहुंचाएंगे.
साक्षी मलिक ने कहा कि हम सभी समाज के लोगों से समर्थन मांगते हैं. हमारी लड़ाई में साथ दें. हम लोग जो आरोप लगा रहे हैं, वो सही कह रहे हैं. इसलिए आप सभी लोग हमारे समर्थन में आए. प्रतिदिन कुछ लोग यहां जंतरमंतर पर हमारे समर्थन में आया करें. इसके अलावा विनेश फौगाट ने अपील की है मंगलवार को सभी लोग हमारे समर्थन में 16 मई 2023 को एक दिन सत्याग्रह करें. अपने अपने जिला मुख्यालय में जाकर ज्ञापन दें.
पहलवानों ने अपने पत्र में लिखा, "भारत की हम महिला पहलवानों का भारत के पहलवान महासंघ के अध्यक्ष द्वारा यौन उत्पीड़न किया गया है. महासंघ के अपने लंबे समय तक अध्यक्ष रहने के दौरान उन्होंने कई बार पहलवानों का यौन शोषण किया. कई बार पहलवानों ने अपनी आवाज बुलंद करने की कोशिश की लेकिन उनकी ताकत ने पहलवानों का भविष्य बर्बाद कर दिया, न्याय की तो बात ही छोड़ दीजिए."
पत्र में आगे लिखा है, "अब जब पानी नाक से ऊपर जा चुका था तो हमारे पास महिला पहलवानों की इज्जत के लिए लड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था. हमने अपने जीवन और खेल को एक तरफ रख दिया है और अपनी गरिमा के लिए लड़ने का फैसला किया है. हम पिछले 20 दिनों से जंतर-मंतर पर न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हमारे अवलोकन के अनुसार उनकी शक्ति ने न केवल प्रशासन की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी बल्कि हमारी सरकार को बहरा और अंधा बना दिया."
महला पहलवानों ने पत्र में कहा कि सत्तारूढ़ दल की संसद की महिला सदस्य होने के नाते हमें आपसे बहुत उम्मीदें हैं और हम आपसे हमारी मदद करने का अनुरोध करते हैं. न्याय के लिए हमारी आवाज और हमारी गरिमा को बचाओ. हमारा मार्गदर्शन करने के लिए आप लोग जंतर मंतर पहुंचने के लिए कुछ समय जरूर निकाले.