Tuesday, 09 September 2025

दिल्ली

सहारा ग्रुप पर ED का एक्‍शन, करोड़ों के घोटाले में चार्जशीट दर्ज : भगोड़े बेटे के खिलाफ NBW जारी कराने की तैयारी शुरू...

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सहारा ग्रुप पर ED का एक्‍शन, करोड़ों के घोटाले में चार्जशीट दर्ज : भगोड़े बेटे के खिलाफ NBW जारी कराने की तैयारी शुरू...
सहारा ग्रुप पर ED का एक्‍शन, करोड़ों के घोटाले में चार्जशीट दर्ज : भगोड़े बेटे के खिलाफ NBW जारी कराने की तैयारी शुरू...

नई दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सहारा इंडिया ग्रुप और इसके संस्थापक सुब्रतो रॉय के परिवार व अधिकारियों के खिलाफ बड़ा एक्‍शन लिया. आज अदालत में इस मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में चार्जशीट दाखिल की गई है. 

यह चार्जशीट कोलकाता की PMLA कोर्ट में पेश हुई है. जांच में सामने आया कि करीब 1.74 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हाई रिटर्न के नाम पर करोड़ों निवेशकों से पैसा लेकर किया गया. आरोपियों ने निवेशकों का पैसा वापस नहीं किया. चार्जशीट में सुब्रतो रॉय की पत्नी सपना, बेटा सुशांतो रॉय, जेपी वर्मा, अनिल अब्राहम समेत अन्य आरोपी हैं. ईडी ने भगोड़े बेटे के खिलाफ NBW जारी कराने की तैयारी शुरू कर दी है.

ईडी की तरफ से कहा गया कि सहारा इंडिया ग्रुप और इसके संस्थापक सुब्रतो रॉय लंबे समय तक देश की आम जनता के बीच “सुरक्षित निवेश” का चेहरा बने रहे. गांव-गांव तक फैले एजेंट और भरोसेमंद छवि के चलते करोड़ों लोग अपनी गाढ़ी कमाई सहारा की स्कीमों में लगाते रहे. कंपनी का दावा था कि यहां पैसा लगाने पर तय समय में “हाई रिटर्न” मिलेगा और भविष्य सुरक्षित रहेगा. लेकिन वक्त के साथ यह भरोसा सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में बदल गया.

ईडी की हालिया चार्जशीट ने इस घोटाले की परतों को फिर से खोल दिया है. कोलकाता की PMLA कोर्ट में दाखिल इस चार्जशीट में सुब्रतो रॉय की पत्नी सपना, उनका बेटा सुशांतो रॉय, जेपी वर्मा और अनिल अब्राहम समेत कई अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है. ईडी का आरोप है कि करीब 1.74 लाख करोड़ रुपये निवेशकों से इकट्ठा किए गए. यह रकम “हाई रिटर्न” और “सुरक्षित बचत” के नाम पर ली गई, लेकिन निवेशकों को उनका पैसा लौटाया ही नहीं गया.

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सुब्रतो रॉय का बेटा, जो इस पूरे नेटवर्क का हिस्सा था, भगोड़ा है. ईडी ने बताया कि वह पूछताछ में शामिल होने से लगातार बच रहा है. अब एजेंसी उसके खिलाफ कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट (NBW) जारी कराने की प्रक्रिया में है. यह स्थिति दिखाती है कि सहारा केस सिर्फ बीते वक्त की कहानी नहीं, बल्कि अभी भी जारी लड़ाई है.

दरअसल, सहारा ने छोटे कस्बों और गांवों में “एजेंट नेटवर्क” खड़ा किया था. ये एजेंट लोगों को यकीन दिलाते थे कि सहारा की स्कीमें सरकारी मान्यता प्राप्त हैं और यहां पैसा लगाना सबसे सुरक्षित है. जिन गरीब और मध्यमवर्गीय के लोगों के पास बैंकिंग सिस्‍टम तक पहुंच नहीं थी वो इनके जाल में आसानी से फंस गए. कोई अपनी बेटी की शादी के लिए, कोई घर बनाने के लिए और कोई बुढ़ापे की सुरक्षा के लिए सहारा में निवेश करता चला गया. धीरे-धीरे यह आंकड़ा लाखों निवेशकों से बढ़कर करोड़ों तक पहुंच गया.

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