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नारद जयंती आज : नारद जी की पूजा से होती है ज्ञान की प्राप्ति
Paliwalwani
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की प्रतिपदा तिथि को भगवान नारद की जयंती के रूप में मनाया जाता है. नारद मुनि ब्रह्मधा के मानस पुत्र माने जाते हैं. नारद मुनि जी को ब्रह्माण्ड के संदेशवाहक के रूप में भी जाना जाता है. नारद जी हमेशा ही भगवना विष्णु की भक्ति में लीन रहते है. नारद जी ब्रह्माण्ड के संदेशवाहक माने जाते थे. उन्हे तीनों लोकों में भ्रमण करने का वरदान मिला हुआ था. मान्यता है कि नारद जयंती पर नारद जी की पूजा करने से व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है. तो चलिए इस साल नारद जयंती की तारीख, जन्म कथा और पूजा के बारे में जानते हैं.
कौन हैं नारद मुनि ?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, नारद मुनि भगवान ब्रह्मा के मानसपुत्र हैं, जो तीन त्रिदेवों (ब्रह्मा निर्माता, विष्णु पोषणकर्ता, महेश संहारक हैं) में से एक हैं। कई हिंदू नारद मुनि को महर्षि कश्यप के पुत्र के रूप में भी मानते हैं। साथ ही, कई लोग यह भी मानते हैं संत त्यागराज और पुरंदरदास उनके अवतार थे। नारद मुनि भगवान नारायण या भगवान विष्णु के एक महान अनुयायी और भक्त हैं। देवर्षि ने किसी से विवाह नहीं किया, वह ब्रह्मचारी रहे।
विष्णु पुराण और अन्य पुराणों में यह उल्लेख है कि नारद मुनि तीन लोकों, स्वर्ग लोक, पाताल लोक और मृत्यु लोक (पृथ्वी) में घूम रहे हैं। हर जगह यात्रा करते हुए वे भगवान विष्णु का नाम जपते हैं और नारायण-नारायण कहते हैं। उनके पास एक महत्वपूर्ण काम है, वे जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाने के लिए सलाह देते हैं। यही वजह है कि हिंदू संस्कृति में नारद जयंती 2023 एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन लोग नारद मुनि के मार्गदर्शन और ज्ञान के लिए उनकी पूजा करते हैं।
नारद मुनि जन्म कथा
नारद मुनि का पिछला जन्म 'उपबर्हण' के नाम के गंधर्व के रूप में हुआ था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी स्वर्ग में अप्सराएं के गंधर्व गीत और नृत्य में लीन होकर उपासना कर रहे थे. तब नारद जी वहां पहुंच कर रासलीला में लीन हो गए थे. तभी ब्रह्मा जी ने गुस्से में उन्हें शुद्र योनी में जन्म लेने का श्राप दिया था. नारद जी का जन्म शुद्र दासी के यहां हुआ था लेकिन उन्होंने कड़ी तपस्या के बाद ब्रह्मा के मानस पुत्र होने का वरदान प्राप्त कर लिया था.
नारद जयंती 2023 पूजा
नारद जयंती पर सूर्य उदय से पहले स्नान आदि कर लें. स्नान के बाद उनकी पूजा का संकल्प लें और व्रत रखें. नारद मुनि जी को पूजा में चंदन, तुलसी के पत्ते, अगरबत्ती, कुमकुम, धूप पुष्प आदि चढ़ाएं. इस दिन आपको सामर्ध्य के अनुसार जरूरतमंद लोगों को दान कर उनकी मदद करनी चाहिए. इस दिन विधि-विधान से नारद मुनि की पूजा करने से करियर में सफलता मिलती है और हर मनोकामना पूरी होती है.