Thursday, 03 July 2025

ज्योतिषी

इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री का वास्तु–पंचतत्व, दिशाएं और ऊर्जा संतुलन पर आधारित साधारण वास्तु निर्देश

paliwalwani
इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री का वास्तु–पंचतत्व, दिशाएं और ऊर्जा संतुलन पर आधारित साधारण वास्तु निर्देश
इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री का वास्तु–पंचतत्व, दिशाएं और ऊर्जा संतुलन पर आधारित साधारण वास्तु निर्देश

इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद जैसे टीवी, ऑडियो सिस्टम, स्पीकर आदि के निर्माण में अत्यंत संवेदनशील और ऊर्जा-आधारित उपकरणों का उपयोग होता है। इसलिए ऐसी फैक्ट्रियों में यदि वास्तु के सिद्धांतों का ध्यान रखा जाए तो न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ती है बल्कि उत्पाद की गुणवत्ता, कार्यस्थल का वातावरण और यंत्रों की आयु में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

1. एसएमडी / पीसीबी असेंबली - पूर्व या आग्नेय दिशा (East / Southeast)

यह विभाग अति सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिक कार्यों से संबंधित होता है जहाँ चिप्स और सर्किट बोर्ड्स की असेंबली होती है। चूंकि यह अग्नि तत्त्व से जुड़ा कार्य है, अतः आग्नेय दिशा उपयुक्त मानी जाती है। यहाँ अग्नि ऊर्जा से सूक्ष्म गतिविधियाँ सक्रिय रहती हैं और उच्च दक्षता मिलती है। साथ ही पूर्व दिशा नवाचार, तकनीक और यांत्रिक संचालन से जुड़ी होने से पूर्व या आग्नेय कोण इस विभाग हेतु श्रेष्ठ है।

2. थ्रू होल असेंबली - पूर्व दिशा (East)

थ्रू होल में थोड़े भारी कंपोनेंट्स की सोल्डरिंग होती है, जिसमें तकनीकी सटीकता व अनुशासन जरूरी होता है। पूर्व दिशा, बुद्धि, विश्लेषण और इलेक्ट्रॉनिक गतिविधियों की दिशा मानी जाती है। यह विभाग वहीं हो तो कर्मचारियों में एकाग्रता एवं तकनीकी दक्षता बनी रहती है।

3. मदरबोर्ड / सिस्टम बोर्ड टेस्टिंग - उत्तर-पूर्व (ईशान कोण)

यह सबसे संवेदनशील परीक्षण विभाग होता है जहाँ कंपनियों की प्रतिष्ठा का निर्धारण होता है। यह स्थान ईशान कोण में होना आदर्श है क्योंकि यह जल तत्त्व की दिशा है, जो शुद्धता, पारदर्शिता और मानसिक स्पष्टता से जुड़ी होती है। इससे टेस्टिंग में त्रुटियाँ कम होती हैं और सटीकता बनी रहती है।

4. बॉडी / कैबिनेट मोल्डिंग - दक्षिण दिशा (South)

यह विभाग जहाँ बॉडी या कवर बनाए जाते हैं, भारी मशीनों वाला क्षेत्र होता है। दक्षिण दिशा, पृथ्वी तत्त्व की दिशा है जो स्थिरता व मजबूती से जुड़ी होती है। भारी वजन, ताकत और संरचना से जुड़े सभी कार्य दक्षिण या नैऋत्य कोण (South-West) में हों तो उत्तम होता है।

5. स्पीकर असेंबली - पश्चिम दिशा (West)

स्पीकर निर्माण श्रव्य तरंगों व ध्वनि की गुणवत्ता से जुड़ा है। पश्चिम दिशा, रचनात्मकता और आउटपुट की दिशा है। यहाँ यह कार्य होने से ध्वनि की क्वालिटी उत्तम रहती है, और मनोवैज्ञानिक रूप से श्रमिकों का मनोबल भी ऊँचा बना रहता है।

6. एलसीडी / एलईडी स्क्रीन असेंबली - उत्तर दिशा (North)

यह विभाग अत्यंत सावधानी, स्थिर हाथों और साफ वातावरण की माँग करता है। उत्तर दिशा वायु तत्त्व से जुड़ी होती है, जो सौम्यता, विस्तार और दृश्यता की द्योतक है। यहाँ स्क्रीन की सेटिंग से जुड़े कार्य शांति और स्पष्टता के साथ हो पाते हैं।

7. अंतिम असेंबली - केंद्र भाग (Brahmasthan) के पास या पूर्व-दक्षिण में

फाइनल असेंबली में सभी कंपोनेंट्स को जोड़कर उत्पाद को अंतिम रूप दिया जाता है। यह क्रिया आग्नेय या पूर्व-दक्षिण दिशा में होनी चाहिए जिससे फोकस, स्पष्टता और उत्पादन तीव्रता बढ़ती है। ब्रह्मस्थान (केंद्र) हमेशा खाली, साफ और ऊर्जा प्रवाह हेतु मुक्त रखा जाना चाहिए।

8. पेंटिंग / प्रिंटिंग - दक्षिण-पूर्व दिशा (Southeast)

यह अग्नि तत्त्व से जुड़ी प्रक्रिया है जहाँ हीट और फिनिशिंग कार्य होता है। आग्नेय दिशा, पेंटिंग और कोटिंग जैसे ताप-आधारित कार्यों के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इससे रंग स्थायित्व और सटीकता बनी रहती है।

9. गुणवत्ता परीक्षण - उत्तर-पूर्व या उत्तर दिशा (NE/N)

जैसे-जैसे उत्पाद फाइनल रूप लेता है, उसकी गुणवत्ता जांचना आवश्यक है। यह कार्य उत्तर-पूर्व (ईशान) में सबसे श्रेष्ठ रहता है जिससे निर्णयों में पारदर्शिता और मूल्यांकन में सटीकता मिलती है। प्रकाश और स्पष्टता इस दिशा की शक्ति है।

10. पैकिंग - पश्चिम या वायव्य दिशा (West / Northwest)

फाइनल पैकिंग और लेबलिंग की क्रिया को पश्चिम दिशा में रखना उत्पाद की सुरक्षा और वितरण प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। वायव्य दिशा का उपयोग भी किया जा सकता है जहाँ हल्का काम और संचार से जुड़ी गतिविधियाँ हों।

11. वेयरहाउस / डिस्पैच -  वायव्य दिशा (West / Northwest)

भारी माल और तैयार स्टॉक को रखने हेतु नैऋत्य दिशा आदर्श मानी जाती है। यह दिशा स्थिरता, भार वहन और संरक्षित भंडारण के लिए श्रेष्ठ होती है। इससे स्टॉक का नुकसान कम होता है और स्थायित्व बना रहता है।

टीवी और ऑडियो सिस्टम निर्माण जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स कारखानों में वास्तुशास्त्र का सटीक पालन न केवल उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है बल्कि फैक्ट्री में सकारात्मक ऊर्जा, कर्मचारी संतुलन और यंत्रों की सुचारु कार्यप्रणाली सुनिश्चित करता है। पंचतत्वों (अग्नि, जल, पृथ्वी, वायु, आकाश) के अनुसार दिशा निर्धारण, ऊर्जा संतुलन और डिजाइन प्लानिंग फैक्ट्री को सफल व समृद्ध बनाते हैं।

तेजस गुरूजी 

ऊँकार लब्धि साधना केंद्र : जैन ज्योतिष वास्तु 

M. 8401564646

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● Disclaimer :इस लेख में दी गई ज्योतिष जानकारियां और सूचनाएं लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं. इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं. पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. पालीवाल वाणी इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले इससे संबंधित पंडित ज्योतिषी से संपर्क करें तथा चिकित्सा अथवा अन्य नीजि संबंधित जानकारी के लिए अपने नीजि डॉक्टरों से परार्मश जरूर लीजिए. पालीवाल वाणी तथा पालीवाल वाणी मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है.
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