ज्योतिषी
ज्योतिष शास्त्र : धन और शोहरत दिलाता है यह योग, क्या आपकी कुंडली में भी है?, देखे
Paliwalwaniज्योतिष शास्त्र के अनुसार मनुष्य की कुंडली में कई प्रकार के शुभ योग और अशुभ योग विद्यमान होते हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं गजकेसरी योग की, जिसको ज्योतिष में अत्यंत शुभ योग माना गया है। मान्यता है जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली में इस योग का निर्माण होता है, ऐसा जातक विभिन्न क्षेत्रों से नाम और लोकप्रियता प्राप्त करता है. साथ ही साथ धन के मामले में भी ऐेसे लोग कभी परेशान नहीं रहते हैं।
कैसे बनता है कुंडली में गजकेसरी योग:
जन्मकुंडली में गजकेसरी योग का निर्माण गुरु और चंद्रमा की युति से होता है। यानि जब बृहस्पति ग्रह और चंद्रमा कुंडली में एक ही भाव में स्थित होते हैं, तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है। गुरु को ज्योतिष शास्त्र में शुभ ग्रह माना गया है। साथ ही इन्हें देवताओं का गुरु होने का भी गौरव प्राप्त है वहीं चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। यह मनुष्य को शीतलता प्रदान करते हैं।
राजसी सुख और मान-सम्मान दिलाता है गजकेसरी योग:
– व्यक्ति को करियर में काफी ऊचाईयां देखने को मिलती है।
– इस योग के होने से इंसान की सारी महत्वाकांक्षाएं पूरी होती है।
– धन-संपत्ति बढ़ती है, सन्तान का सुख, घर खरीदने का सुख, वाहन सुख इत्यादि सुख प्राप्त होते हैं।
– गजकेसरी योग से जातक को राजसी सुख और समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
गजकेसरी योग कब शुभ फल प्रदान करता है?
गजकेसरी योग जन्मकुंडली में होने के बाद भी कई बार ऐसी स्थितियां बन जाती है जब यह योग मनुष्य को पूर्ण फल प्रदान नहीं कर पाता। ऐसा तभी संभव होता है जब इस योग को राहु या किसी पाप ग्रह की नजर पड़ जाए। राहु की दृष्टि से इस योग का पूर्ण फल नहीं मिलता है। इसके साथ ही जब कुंडली में चंद्रमा और गुरु की स्थिति कमजोर होती है तो भी गजकेसरी योग का पूर्ण फल व्यक्ति को प्राप्त नहीं हो पाता।
चंद्रमा और गुरु ग्रह को मजबूत बनाएं:
गजकेसरी योग का लाभ प्राप्त करने के लिए चंद्रमा और गुरु का मजबूत होना अत्यंत आवश्यक है। चंद्रमा को मजबूत बनाने के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। वहीं पूर्णिमा की तिथि पर चंद्रमा को जल देने से भी चंद्रमा की अशुभता कम होती है। गुरु ग्रह को शुभ बनाने के लिए गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।