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Ashadha Month 2023 : कब से शुरू हो रहा आषाढ़ माह? यहां जाने तिथि, महत्व और नियम
Paliwalwaniनई दिल्ली । हिंदू पंचांग का चौथा महीना आषाढ़ माह के नाम से जाना जाता है. आषाढ़ माह भगवान विष्णु, सूर्य देव और देवी दुर्गा को समर्पित है. आषाढ़ माह से ही वर्षा ऋतु की विधिवत शुरुआत मानी जाती है. कृषि के लिए ये मास बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, कहते हैं आषाढ़ कामना पूर्ति महीना कहलाता है, इस माह में किए गए तीर्थ, प्रार्थनाएं, जप, तप, साधना सिद्ध हो जाते है.
आषाढ़ माह में ही गुरु पूर्णिमा, देवशयनी एकादशी, जगन्नाथ यात्रा जैसे बड़े व्रत-त्योहार आते हैं. चतुर्मास का आरंभ भी आषाढ़ से ही होता है इसके बाद 4 महीने तक देव सो जाते हैं और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. आइए जानते हैं इस साल आषाढ़ माह कब से शुरू होगा और इसका महत्व.
आषाढ़ माह 2023 कब से शुरू होगा (Ashadha Month 2023 Date)
आषाढ़ माह की शुरुआत 5 जून 2023, सोमावर से होगी और इसका समापन 3 जुलाई 2023, सोमवार को होगी. इसके बाद सावन आरंभ हो जाएगा. आषाढ़ मास का नाम पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र ऊपर रखा गया है. आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्र इन दोनों नक्षत्रों के मध्य रहता है, जिसकी वजह से इस महीने को आषाढ़ कहा जाता है.
आषाढ़ माह का महत्व (Ashadha Month Significance)
आषाढ़ का महीना भगवान भगवान विष्णु की पूजा करना अति विशिष्ट माना जाता है. आषाढ़ मास में खड़ाऊं, छाता, नमक और आंवले का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. साल के इसी मास में अधिकांश यज्ञ करने का प्रावधान शास्त्रों में बताया गया है. आषाढ़ माह से वर्षा ऋतु शुरू हो जाती है, ऐसे में वातावरण में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है यही वजह है कि इस महीने में य या हवन करने से हानिकारक कीट, पतंगों का नाश होता है. इस महीने में गुरु पूर्णिमा पर गुरु की उपासना से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है. साथ ही तंत्र और शक्ति के लिए गुप्त नवरात्रि में देवी की उपासना शुभ फलदायी मानी जाती है. आषाढ़ माह में सूर्य और मंगल की पूज से ऊर्जा का स्तर बेहतर होता है.
आषाढ़ माह में पाचन क्रिया भी मंद पड़ जाती है अत: इस मास में सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए. आषाढ़ में बेल, तेल युक्त भोजन बिलकुल भी न खाए. जल की स्वच्छता बनाए रखें, नहीं तो ये हानिकारक हो सकता है.
आषाढ़ माह में जप, तप, मंत्र साधना करने से धन-धान्य में कभी कमी नहीं आती. इस पूरे महीने में खाट पर सोना उत्तम माना जाता है.
आषाढ़ की देवशयनी एकादशी से चार माह के लिए देवों का शयनकाल शुरु हो जाता है. इसके बाद मांगलिक कार्य शादी, मुंडन, ग्रह प्रवेश, सगाई नहीं करना चाहिए, ऐसा करने पर उसका फल प्राप्त नहीं होता और जीवन संघर्ष से भरा रहता है.