आपकी कलम

तुम निकले थे किसको हराने ...

paliwalwani...✍️
तुम निकले थे किसको हराने ...
तुम निकले थे किसको हराने ...

तुम निकले थे किसको हराने ...
लहरें, बाढ कभी, कभी भूकंप के बहाने
नियति ने बिखेरे सब सपनों के आशियाने...

तिनका तिनका जोडा और नीड बनाया
हवाएं बेदर्द निकली लगाने लगी निशाने ...

पानी कहां,प्रलय था काल क्रूर कराल था
हर जीव ठगाया गया उजडे सब ठिकाने ...

सब निगाहें पूछती अंबर से क्या भूल हुई
त्राहि मची , तुम निकले थे किसको हराने ...

किसने तोडा,किसने लूटा, कौन गुनहगार
मौन क्यो थे तुम प्रभू आओ जरा समझाने ...

कमलेश जोशी
कांकरोली राजसमंद

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News
Trending News