आपकी कलम
कांग्रेस की चुप्पी दर्शाती है कि वह अनुच्छेद 370 की बहाली और पाकिस्तान से वार्ता के पक्ष में...!
S.P.MITTAL BLOGGERजब भारत चारों ओर से घिरा है, तब सीमाओं के साथ साथ आंतरिक सुरक्षा भी जरूरी
जम्मू कश्मीर में सितंबर 2024 में विधानसभा के चुनाव होने है। चुनाव के मद्देनजर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 19 अगस्त को अपना घोषणा पत्र जारी किया। इस घोषणा पत्र में कहा गया कि बहुमत मिलने पर विधानसभा में अनुच्छेद 370 की बहाली का प्रस्ताव पास करवाया जाएगा। कश्मीर की समस्या के समाधान के लिए पाकिस्तान से वार्ता करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव डाला जाएगा। इतना ही नहीं पाकिस्तान के साथ फिर से कारोबार शुरू करने के प्रयास किए जाएंगे।
इस घोषणा पत्र के जारी होने के बाद 22 अगस्त को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने श्रीनगर में घोषणा की कि कांग्रेस जम्मू कश्मीर का चुनाव नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर लड़ेगी। इस घोषणा के बाद से ही सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस भी जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली और पाकिस्तान से वार्ता करने के पक्ष में है? देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भी कांग्रेस से अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा, लेकिन कांग्रेस ने अभी तक भी अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। कांग्रेस की यह चुप्पी दर्शाती है कि वह नेशनल कॉन्फ्रेंस के घोषणा पत्र से सहमत है।
यानी बहुमत मिलने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस जब विधानसभा में 370 की बहाली वाला प्रस्ताव लाएगी, तब कांग्रेस भी समर्थन करेगी। इतना ही नहीं लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता ही हैसियत से राहुल गांधी केंद्र सरकार पर पाकिस्तान से बातचीत करने का दबाव बनाएंगे। कांग्रेस जब नेशनल कॉन्फ्रेंस के देश विरोधी एजेंडे पर सहमत है तो फिर यह भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरा है। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे दलों को यह समझना चाहिए कि भारत चारों ओर से ऐसे देशों से घिरा हुआ है, जहां मुस्लिम कट्टरपंथी हावी है। बांग्लादेश के ताजा हालात किसी से भी छिपे नहीं है।
पाकिस्तान में रोजाना आतंकी बम विस्फोट कर रहे है। अफगानिस्तान पर पहले ही मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन तालिबान का कब्जा है। गंभीर बात तो यह है कि चीन भी मुस्लिम कट्टरपंथ को बढ़ावा देने में लगा हुआ हे। ऐसे में यदि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली के प्रयास होते हैं तो फिर पाकिस्तान में बैठे भारत विरोधी कट्टरपंथियों को मदद मिलेगी। हमारे जम्मू कश्मीर में एक बार फिर अराजकता का माहौल होगा।
आजादी के बाद से जम्मू कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार ही रही और तभी कश्मीर घाटी से चार लाख से भी ज्यादा हिंदुओं को प्रताड़ित कर भगा दिया गया। अच्छा होता है कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस घाटी में फिर से हिंदू परिवारों को बसाने का वादा करते। कांग्रेस को देश भर में हिंदू समुदाय के वोट तो चाहिए, लेकिन जम्मू कश्मीर में कांग्रेस उन दलों के साथ है, जिनकी पहचान हिंदू विरोधी है।
इससे कांग्रेस के राजनीतिक नजरिए को भी समझने की जरूरत है। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस माने या नहीं, लेकिन यह हकीकत है कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद कश्मीर घाटी में पर्यटन को बढ़ावा मिला। इसका सीधा फायदा कश्मीर की मुस्लिम आबादी को ही मिला। घाटी के दलित समुदाय के लोगों को भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलने लगा। यानी अनुच्छेद 370 हटने का फायदा कश्मीर के हर नागरिक को मिला है।
S.P.MITTAL BLOGGER