आपकी कलम
मिट्टी : रेशमा त्रिपाठी
paliwalwani.com● मैं मिट्टी में पला बड़ा,
मैं मिट्टी का जन्मा हूॅ॑ ।
मैं मर कर भी मिट्टी में जाऊं,
इसलिए मुझे हैं मिट्टी प्यारी ।।
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● यह मिट्टी मेरी माॅ॑ हैं ,
यह मिट्टी ही मेरी गोदी ।
इस मिट्टी में मैं सोता हूॅ॑,
इस मिट्टी में मैं रोता हूॅ॑ ।।
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● धूल चटाऊं तो मिट्टी का,
खून बहाऊं तो मिट्टी पर ।
करूं प्राण न्योछावर मिट्टी पर,
इसलिए पूछता हूॅ॑ मिट्टी को ।।
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● यह मिट्टी वही धरा हैं,
जहां पर लक्ष्मीबाई हुई ।
और तात्या, सुखदेव, वीर शिवाजी की गाथा का
डंका यहां पर बजता हैं।।
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● चंद आतंकी आते हैं, मिट्टी में मुझे मिलाने को
कसम मुझे हैं धरती माॅ॑ की और तिरंगे की अपने ।
मिट्टी उन्हें खिलाऊंगा, मिट्टी मैं उन्हें बनाऊंगा,
और जरूरत अगर पड़ी तो, पूरे ‘पाक' में मिट्टी की कब्र बनाऊंगा।।
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वंदे मातरम जय हिंद जय भारत
● रेशमा त्रिपाठी : प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश
● पालीवाल वाणी ब्यूरो...✍️
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