आपकी कलम

मिट्टी : रेशमा त्रिपाठी

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मिट्टी :  रेशमा त्रिपाठी
मिट्टी : रेशमा त्रिपाठी

मैं मिट्टी में पला बड़ा, 

मैं मिट्टी का जन्मा हूॅ॑ ।

मैं मर कर भी मिट्टी में जाऊं, 

इसलिए मुझे हैं मिट्टी प्यारी ।।

● ● ● ●!!..... !!● ● ● ● 

यह मिट्टी मेरी माॅ॑ हैं ,

यह मिट्टी ही मेरी गोदी ।

इस मिट्टी में मैं सोता हूॅ॑,

इस मिट्टी में मैं रोता हूॅ॑ ।।

● ● ● ●!!..... !!● ● ● ● 

धूल चटाऊं तो मिट्टी का, 

खून बहाऊं तो मिट्टी पर ।

करूं प्राण न्योछावर मिट्टी पर,

 इसलिए पूछता हूॅ॑ मिट्टी को ।।

● ● ● ●!!..... !!● ● ● ● 

यह मिट्टी वही धरा हैं, 

जहां पर लक्ष्मीबाई हुई ।

और तात्या, सुखदेव, वीर शिवाजी की गाथा का

 डंका यहां पर बजता हैं।। 

● ● ● ●!!..... !!● ● ● ● 

चंद आतंकी आते हैं, मिट्टी में मुझे मिलाने को 

कसम मुझे हैं धरती माॅ॑ की और तिरंगे की अपने ।

मिट्टी उन्हें खिलाऊंगा, मिट्टी मैं उन्हें बनाऊंगा,

और जरूरत अगर पड़ी तो, पूरे ‘पाक' में मिट्टी की कब्र बनाऊंगा।।

● ● ● ●!!..... !!● ● ● ● 

  वंदे मातरम जय हिंद जय भारत

● रेशमा त्रिपाठी : प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश

● पालीवाल वाणी ब्यूरो...✍️

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