आपकी कलम

तिरछी वाणी....वर्ल्ड रिकार्ड स्थापित किजिए...लेकिन विश्वास में लिजिए...

Sunil paliwal
तिरछी वाणी....वर्ल्ड रिकार्ड स्थापित किजिए...लेकिन विश्वास में लिजिए...
तिरछी वाणी....वर्ल्ड रिकार्ड स्थापित किजिए...लेकिन विश्वास में लिजिए...

सुनील पालीवाल की कलम से...पालीवाल ब्राह्मण समाज 44 श्रेणी इंदौर की प्रबंध कार्यकारिणी की नीति ओर सोच शायद किसी दुसरे के इशारों पर चल रही है। कहने को तो प्रबंध कार्यकारिणी का नाम लिया जाता है...जब श्रेय लेना होतो एक...दो...ओर तीन नेतागिरी करते हुए दिखाई दे जाते हैं...बाकी की भूमिका लोगों के समाने विलेन की तरहा पेश की जा रही हैं...जबकि उन्हें भी समाज सदस्यों ने योग्यता के आधार पर चुना...ओर तुम्हें भी योग्यता के आधार पर काम करने की जिम्मेदारी दी...इसका मतलब यह नहीं होता कि जब इच्छा जागे...तब अपनी मनमानी पर उतार जाओ...एक पर्चा सदस्यों के द्वार-द्वार पहुंचा कर यहा दर्शाया गया है कि जिसमें गोविंद कालोनी स्थित धर्मशाला का कार्य लगभग पूर्ण चुका हैं...17 लाख के लगभग खर्चा कर चुके हैं, ओर लगभग रंग-रोगन फर्शी वगैरहा में करीब 2 लाख रूपए ओर व्यय होना शेष बतया गया...धर्मशाला बनी तब से लेकर अभी तक ना जाने कितना खर्चा कर दिया...नतीजा देखा जाए तो शून्य है...धर्मशाला के बनने से आस-पास के लोग भी काफी परेशान हो चुके हैं...लेकिन जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं...देवपुरी धर्मशाला का विस्तारीकरण प्रारंभ करना स्वागत योग्य है लेकिन आराध्य देव श्री चारभुजाननाथ मंदिर की जगह फिर वही पुरानी बांसूरी बजाई जा रही है...जिसका विरोध किया गया था...एक फिर पर्चा में श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर निर्माण की बात कहीं गई...जब जमीन खरीदी गई तब जमीन मालिक ने सस्ते दरों पर जमीन मुहैया कराई थी कि आप लोग श्री चारभुजानाथ जी का मंदिर निर्माण करोगे...इसी बात को लेकर समाज में काफी विवाद भी हुआ...ओर काले बोर्ड पर संघर्षशील समाजसेवियों को कुछ लोगों की मानमानी के चलते उन्हें समाज से बहिष्कार कर दिया था...ओर पुराने लोगों ने अपनी गलतियां सुधारते हुए ससम्मान फिर समाज की गतिविधियों में शामिल कर लिया...जिन्होंने इतना संघर्ष किया...उन्हें आज के जिम्मेदार लोग भूल गए...गढबोर से प्रभु श्री चारभुजानाथ जी का मंदिर बनाने की स्वीकृति मिलने के बाद उस समय मंदिर निर्माण कर श्री चारभुजानाथ का विधि विधान-पूजा अर्चना के साथ स्थापित किया गया...लेकिन तथाकथित लोगो ने फिर विरोध करते हुए बने हुए मंदिर से प्रभु की मुर्ति गायब कर दी...जिसके बारे में कई बार लिख चुके है कि आराध्य देव श्री चारभुजानाथ जी कहां विराजमान हैं...लेकिन मुर्ति कहां छीपा कर रखी गई...उसकी जानकारी किसी को नहीं हैं...एक बार फिर बना हुआ मंदिर को तोड़ा गया...दुसरी जगहा मंदिर बनाने की बात कहीं जा रहीं हैं...मंदिर बने आपकी इच्छा अनुसार प्रभु लक्ष्मीनारायण जी को भी स्थापित किया जाए...उसको लेकर किसी को कोई आपत्ती नहीं है...लेकिन जिसके नाम से जमीन मालिक ने सस्ते दरों पर जमीन दी...पूर्वी क्षेत्र के सदस्यों ने कड़ी मेहनत कर भूमि खरीदी...गढबोर से विराजमान होने की स्वीकृति मिली...प्रभु विराजमान होने के लिए आ भी गए...लेकिन ना जाने क्यों...प्रभु श्री चारभुजानाथ जी को देवपुरी धर्मशाला में बिठाना नहीं चाहते...आज धर्मशाला सबको प्यारी दिख रही है...जब पूर्वी क्षेत्र के लोगो ने समाज के पूर्व पदाधिकारियों से जमीन खरीने के लिए 1 लाख रूपए मांगे तो हाथ ऊँचे कर दिए...सदस्यों से चंदा लेने गए तो...उन्हें भी देने से मना कर दिया...काश उस समय सद्बृद्वि आ जाती तो आज देवपुरी में धर्मशाला नहीं समाज का एक गार्डन होता...बात गई...लेकिन टीस बनी रहती हैं...क्योंकि पूर्वी क्षेत्र के सदस्यों ने काफी संघर्ष कर उस समय नींव मजबूत की...लेकिन उन्हें भूला दिया गया...आज नेतागिरी हावी हो गई...क्योंकि एक रूपए दान देना वाला याद नहीं रहा...उसका त्याग को भूला दिया गया...उनकी इच्छाओं को जबरन मारा जा रहा हैं...क्योंकि आज विधायक निधि से काम जो करना हैं...! पूर्वी क्षेत्र में अगर प्रभु श्री चारभुजानाथ जी का मंदिर बन जाएगा तो कौन सी ऐसी आफत आ जाएगी...जिसको लेकर जिम्मेदार लोग हताश हो रहे है...वैसे भी समझदार लोग समाज से दुर होते जा रहे हैं...शेष बचे हुए भी गलत नितियों से जल्दी दुर नजर आएगे...चुनाव के समय पूर्वी क्षेत्र के लोगो ने एक बदलाव करके देखा था...आज अफसोस हो रहा है कि कम से कम पूराने जिम्मेदारों ने प्रभु श्री चारभुजानाथ मंदिर को ध्वस्त तो नहीं किया था...इन्होंने तो उनकी आत्मा को ही छन्नी कर दिया...ओर जख्म भरने के लिए...नया नारा लिख दिख कि शीघ्र ही श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर का निर्माण भी किया जाएगा...प्रभु के द्वारा दिए गए फुल को अगर नजर अंदाज करोगे तो यकिन समझे प्रभु तुमको भी नजर अंदाज करते देर नहीं करेगा...लिखने को इतिहास है...लेकिन शेष रहना भी जरूरी है...लेकिन आज जो हो रहा है...वो भी एक वर्ल्ड रिकार्ड है...अब भी समय हैं...विपक्ष की संख्या बल को नजर अंदाज मत किजिए...उनका कुनबा धीरे-धीरे भारी हो रहा हैं...ओर तुम्हारा कुनबा जमीनी हकीकत बयां कर रहा हैं...विपक्ष को भी विश्वास में लिजिए...वरना वर्ल्ड रिकार्ड तो तोड़ने के लिए बनाएं जाते है...समझो तो समझदारी ना समझो तो नादानी....फिर मत कहेना कि तिरछी वाणी पर ही क्यों घूमि...!!! 

खामोश हुं...इसका मतलब चुप नहीं हुं...

!! आओ चले बांध खुशियों की डोर...नही चाहिए अपनी तारीफो के शोर...बस आपका साथ चाहिए...समाज विकास की ओर !!

● पालीवाल वाणी ब्यूरो-Sunil Paliwal...✍

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