म्हारी घरवाळी बोली, आल्तक उमर वी अठावन,माखा ई पड़वा लागी ग्यां,आप रे मुंडा पे भना- भन। •┄┅═══❁✿✿❁═══┅┄•जवानी मा कस्या रेवता,आप एकदम ऐ- वन, म्हूँ आप पे फिदा वैईगी, म्हने आद हैं आज भी वो दन। •┄┅═══❁✿✿❁═══┅┄•क ई बाल हा आप रा, म्हारे घणा हा मन-भावन, ज्यूँई म्हूँ वणा ने छूवती,काया मा वैतों झन्न-झन्न। •┄┅═══❁✿✿❁═══┅┄•अजय देवगन जसी चाल ही, गोविन्दा जस्या हा नयन, जूँई नजरा मलती आपाणी,म्हूँ वेई जाती पूरी हन- बन। •┄┅═══❁✿✿❁═══┅┄•कतरा बढ़्या लागता हा, रेता आप हमेसा बंण-ठंण, अबे मर्या उन्दरा जूँ आप मु,वाना आई री हैं छंण-छंण। •┄┅═══❁✿✿❁═══┅┄•अबाणु ई क ई आपो नाक्यों,फरो नोळ्या जूँ घन- मन, काया बुढ़ी वी तो क ई, राजन बुढ़ो थौड़ी व्यो मन। राजन बुढ़ो थौड़ी व्यो मन।। •┄┅═══❁✿✿❁═══┅┄•राजेन्द्र सनाढ्य राजनव्याख्याता- रा उ मा वि नमाना नि-कोठारिया, जि-राजसमंद(राजस्थान) 99829807774