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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के राजस्थान आने पर आपत्ति जताई

S.P.MITTAL BLOGGER
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के राजस्थान आने पर आपत्ति जताई
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के राजस्थान आने पर आपत्ति जताई

आखिर राजनीति में इतना टेंशन क्यों लेते हैं सीएम गहलोत? तीन बार कोरोना संक्रमण और एंजियोप्लास्टी के बाद दिमाग को शांत और प्रसन्न रखने की जरुरत

यह सही है कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव कांग्रेस की ओर से संपूर्ण बागडोर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है। पीएम मोदी से लेकर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी तक के हमलों का जवाब कांग्रेस की ओर से गहलोत ही देते हैं। पिछले एक वर्ष में गहलोत कई बार प्रदेशभर का दौरा कर चुके हैं। 27 सितंबर 2023 से एक बार फिर प्रदेश के दौरे पर निकल गए हैं।

अब गहलोत को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के राजस्थान आने पर भी एतराज है। गहलोत का कहना है कि धनखड़ को बार बार राजस्थान नहीं आना चाहिए। सब जानते हैं कि धनखड़ राजस्थान के झुंझुनूं के रहने वाले हैं और राजस्थान उन की कर्मस्थली रही है। हो सकता है कि धनखड़ के कुछ दौरे विधानसभा चुनाव को देखते हुए भी हो रहे हैं। राजनीति में ऐसा होना आम बात है।

डॉ. सीपी जोशी विधानसभा के अध्यक्ष हैं, लेकिन फिर भी कांग्रेस की बैठकों और जनसभाओं में भाग लेते हैं। चुनाव को लेकर कांग्रेस की जो बैठकें होती हैं, उसमें भी डॉ. जोशी उपस्थित रहते हैं। कांग्रेस विधानसभा का चुनाव कैसे जीते, इसकी रणनीति भी डॉ. जोशी बना रहे हैं। गत वर्ष दिल्ली में जब भीड़ जुटाने की जरूरत थी, तब खुद अशोक गहलोत दिल्ली में डेरा डाले रहे और मंत्रियों की पूरी फौज उतार दी। यदि गांधी परिवार से संबंध खराब नहीं होते तो अब भी गहलोत का एक पैर दिल्ली में ही नजर आता।

गहलोत खुद अपना रिकॉर्ड निकाल कर देख ले कि 25 सितंबर 2022 (बगावत से पहले) एक माह में कितनी बार दिल्ली गए हैं। तब हालात इतने खराब थे कि राजस्थान के लोगों को जरूरी कार्यों के लिए गहलोत से मिलने के लिए दिल्ली जाना पड़ता था। गहलोत के दिल्ली अप डाउन करने पर तब किसी ने भी एजरात नहीं किया। असल में इस बार विधानसभा चुनाव जीतवाने की जिम्मेदारी खुद अशोक गहलोत ने ले ली है, इसलिए कुछ ज्यादा ही टेंशन ले रहे हैं।

लेकिन राजनीति का टेंशन लेने के बजाए गहलोत को अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए। गहलोत के स्वास्थ्य का पाया पहले से ही कमजोर है, क्योंकि अपने ही घर में टकराने से गहलोत के दोनों पैर के अंगूठों में फ्रैक्चर हो जाता है। एक साथ दोनों पैर के अंगूठों में फ्रैक्चर होने से चिकित्सा विज्ञान भी चकित हैं। यह बात अलग है कि फ्रैक्चर के बाद भी गहलोत ने जन सेवा का कार्य जारी रखा। गहलोत को यह भी समझना चाहिए कि वे एक बार नहीं बल्कि तीन-तीन बार कोरोना संक्रमित हुए हैं।

खुद गहलोत ने स्वीकारा है कि कोरोना संक्रमण  के कारण उनके शरीर में साइड इफेक्ट हैं। इसलिए उन्हें अपने हार्ट की एंजियोप्लास्टी भी करवानी पड़ी है। गहलोत की उम्र भी 72 के पार है, ऐसे में दिमाग को शांत और प्रसन्न रखने की जरूरत है। जहां तक राजनीति में सफलता का सवाल है तो गहलोत की सफलता का कोई मुकाबला नहीं है। तीन बार मुख्यमंत्री और कई बार केंद्रीय मंत्री का सुख प्राप्त कर चुके हैं गहलोत। मौजूदा समय में कांग्रेस में अपनी स्थिति का अंदाजा भी गहलोत को है। पहले तो टिकट बंटवारे का झंझट है और फिर यह भी तय नहीं है कि बहुमत मिलने पर उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। 

S.P.MITTAL BLOGGER 

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