एप डाउनलोड करें

आगरा का "जेम्स वाट" : 5वीं पास ने 14 साल की मेहनत से बनाया हवा से चलने वाला इंजन, जुनून के चलते 50 लाख का एक प्लाट और खेत बिक गया

राज्य Published by: Paliwalwani Updated Mon, 08 Nov 2021 11:47 AM
विज्ञापन
आगरा का 'जेम्स वाट' : 5वीं पास ने 14 साल की मेहनत से बनाया हवा से चलने वाला इंजन, जुनून के चलते 50 लाख का एक प्लाट और खेत बिक गया
Follow Us
विज्ञापन

वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

आगरा में एक 5वीं पास व्यक्ति ने अनोखा आविष्कार किया है। उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर हवा से चलने वाला इंजन तैयार किया है। इसे बनाने में उन्हें 14 साल लगे। उनका कहना है कि अगर यह इंजन बाजार में आ जाए, तो वायु प्रदूषण खत्म हो जाएगा। इस टेक्निक से ट्रेन से लेकर बाइक को चलाया जा सकेगा। हालांकि, इस इंजन को बनाने में उन्होंने अपना सारा पैसा खर्च कर दिया। उन्हें अब सरकार से मदद की उम्मीद बची है।

यह भी पढ़े : 30 की उम्र में कैसे बनें करोड़पति : हर दिन सिर्फ इतने रुपये बचाकर बन जाएंगे करोड़पति, जानिए

थाना फतेहपुर सीकरी निवासी त्रिलोकी (50) चाय की दुकान चलाते थे। साथ ही साइकिल मरम्मत का भी काम करते थे। उन्हें ट्यूबवेल के इंजन बनाने का भी काम आता था। उन्होंने बताया कि एक दिन ट्यूब में हवा भरते समय टैंक का वाल्व लीक हो गया। हवा के प्रेशर से टैंक का इंजन उल्टा चलने लगा। हवा की पावर देखकर वह हैरान रह गए। उनके मन में विचार आया कि हवा से अगर मशीन चले, तो खर्च काफी कम हो जाएगा। वह तभी से इसी धुन में लग गए। इसके लिए वह 14 साल तक अपने परिवार से अलग रहे। हाईवे किनारे टोल प्लाजा के पास उन्होंने झोपड़ी को अपना घर बना लिया था।

यह भी पढ़े : Stock Market : 6 रुपये वाला स्टॉक हुआ ₹254 का, निवेशकों के एक साल में 1 लाख के बन गए ₹42 लाख

इंसान के शरीर की तरह काम करता है इंजन

त्रिलोकी की टीम में संतोष चाहर भी शामिल हैं। पूरी टीम में सिर्फ वही ग्रेजुएट हैं। बाकी सब 5वीं तक ही पढ़े हैं। संतोष ने कहा कि कोई भी इंजन इंसान के शरीर की तरह काम करता है। हमने इस मशीन में इंसान के फेफड़ों के जैसे दो पंप लगाए हैं। इंजन को हाथ से घुमाकर हवा का प्रेशर बनाया जाता है। इससे इंजन स्टार्ट हो जाता है।

यह भी पढ़े : SBI दे रहा है शानदार मौका : हर महीने होगी 60 हजार रुपए की कमाई, जानें कैसे?

फिर यह फेफड़ों की तरह हवा खींचता और फेंकता है। हवा के प्रेशर से इंजन चलता है। हमने लिस्टर इंजन की बॉडी और व्हील से बनाया है। इसमें पुर्जों को काम करने के लिए मोबिल ऑयल की जरूरत होती है। हालांकि इसमें मोबिल ऑयल गरम नहीं होता। इसके ऑयल में डीजल-पेट्रोल गाड़ियों के इंजन से 3 गुना ज्यादा समय तक चिकनाई रहती है। इसे स्टार्ट करने के लिए बैटरी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। त्रिलोकी बताते हैं कि इंजन बनाने में उनका 50 लाख का एक प्लाट और खेत बिक गया। दूसरे साथियों का भी पैसा लगा। बिना किसी सरकारी मदद के उन्होंने यह इंजन बनाया है।

यह भी पढ़े : LIC Superhit Policy : 4 प्रीमियम भरे और घर बैठे पाएं 1 करोड़ रूपए, जानिए कैसे?

दो साल से नहीं हुआ पेटेंट

संतोष चाहर ने बताया कि दिल्ली में बौद्ध विकास विभाग में सितंबर 2019 को इंजन पेटेंट कराने का आवेदन किया गया था। तब हमारा इंजन तैयार नहीं था। बिना चालू इंजन दिखाएं पेटेंट नहीं हो पा रहा था। इसके लिए पुर्जे कहीं मिलते नहीं थे। हमने खुद वेल्डिंग की। साथ ही खराद मशीनों पर काम करवाकर पुर्जे तैयार किए। इस दीपावली हमारा इंजन स्टार्ट हो गया और काम भी कर रहा है। हमारे पास अब कुछ बचा नहीं है। अब सरकार से उम्मीद है कि हमारी मदद करे। क्योंकि अब अगर इंजन पेटेंट हो भी गया, तो फैक्ट्री लगाने के हमारे पास पैसे नहीं हैं।

यह भी पढ़े : Jan Dhan Bank Account Balance Check : इस नंबर पर मिसकॉल दे कर जान सकते है अपने अकाउंट का बैलेंस

बाजार में आया इंजन, तो खत्म होगा प्रदूषण

यह भी पढ़े : मालामाल बना सकता है ये 2 रुपये का खास सिक्का, अगर आपके पास भी है ऐसा सिक्का तो जानिए कैसे कमा सकते है पैसे

त्रिलोकी का कहना है कि उनके इंजन में हवा का कोई रूप नहीं बदलता। यह सिर्फ प्रेशर के जरिए काम करता है। बाजार में इस इंजन के इस्तेमाल होने से वायु प्रदूषण बिल्कुल खत्म हो सकता है। उनका कहना है कि यह इंजन जेम्स वाट के स्टीम व जर्मन के रेडॉल्स के डीजल इंजन की बराबर ही ताकत रखता है। अगर यह इंजन चलाया जाए, डीजल-पेट्रोल से छुटकारा मिल सकता है।

और पढ़ें...
विज्ञापन
Next