इंदौर : शहर के युवा इंडोक्रायनोलॉजिस्ट डॉ. भरत साबू द्वारा डायबिटीज कंट्रोल में जरूरी ग्लूकोमीटर पर की गई रिसर्च को विश्व स्तर पर मान्यता और सराहना मिली है। डॉ. साबू ने डायबिटीज रोगियों में ग्लूकोमीटर के इस्तेमाल और तरीकों पर यह रिसर्च की है। स्पेन के बार्सिलोना में आयोजित एडवांस टेक्नोलॉजी एंड ट्रीटमेंट इन डायबिटीज की इंटरनेशनल कांफ्रेंस में उक्त रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया गया। इसमें मुख्य रूपसे पाया गया कि डायबिटीज में स्ट्रैस लेने पर ग्लूकोमीटर की रीडिंग प्रभावित होती है।
इंडोक्रायनोलॉजिस्ट डॉ. भरत साबू ने इंदौर की श्वेता साबू और ओमरगा (शोलापुर) के डॉ. अनिकेत इनामदार के साथ मिलकर की गई इस रिसर्च में पाया कि 26 प्रतिशत रोगी ग्लूकोमीटर का उपयोग नहीं कर पाते हैं। ग्लूकोमीटर के उपयोग में सबसे ज्यादा समस्याएं ग्रामीण क्षेत्रों में देखने में आती है तो महिलाएं इसके इस्तेमाल में कठिनाई महसूस करती है। साथ ही शिक्षा का कम स्तर भी ग्लूकोमीटर के उपयोग पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यह भी पाया गया कि बीमारी (डायबिटीज़) का तनाव भी ग्लूकोमीटर के इस्तेमाल को प्रभावित करता है।
इस रिसर्च से यह सामने आया है की मरीज़ों को ग्लूकोमीटर के इस्तेमाल को और बेहतर तरीक़े से समझाने की ज़रूरत है। इस शोध द्वारा चिन्हित वर्ग जैसे महिलाएं, ग्रामीण रोगी, शिक्षा के कम स्तर वाले रोगी और बीमारी का अधिक तनाव लेने वाले रोगियों पर ग्लूकोमीटर की ट्रेनिंग के दौरान अधिक ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है। इस तरह ग्लूकोमीटर के उपयोग को और सुलभ बनाया जा सकेगा और डायबिटीज़ की महामारी से हमारी लड़ाई को आसान बनाया जा सकेगा।