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राष्ट्रीय चैंपियन को टीटीई ने ट्रेन से उतारा, जमीन पर फेंक दिए खिलाड़ियों के पोल, सेना के जवान संग भी हो चुकी है ऐसी घटना
Paliwalwani
कोल्लम रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन टिकट परीक्षक (टीटीई) द्वारा पोल वॉल्ट की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाली खिलाड़ी को ट्रेन से जबरदस्ती उतारे जाने का मामला सामने आया है। तमिलनाडु की पवित्रा वेंकटेश ने मंगलवार यानी एक मार्च 2022 को त्रिवेंद्रम में इंडियन ओपन जंप प्रतियोगिता में पोल वॉल्ट का स्वर्ण जीता था।
हालांकि, उनकी यह खुशी अल्पकालिक रही। दरअसल, यह युवा खिलाड़ी जब सलेम स्थित अपने घर लौट रही थी, तब अकादमी के 4 अन्य एथलीट्स के साथ उन्हें कोल्लम जंक्शन पर ट्रेन से उतरने के लिए मजबूर किया गया। पवित्रा वेंकटेश की सिर्फ इतनी गलती थी कि उन्होंने अपने पोल को ट्रेन की खिड़की की रेलिंग से बांध रखा था।
टीटीई को इसी बात पर आपत्ति थी। पांचों एथलीट तब तक स्टेशन पर फंसे रहे जब तक उन्हें रेलवे अधिकारियों ने मंजूरी नहीं दी। इसके बाद ही वे गृहनगर (सलेम) की यात्रा कर पाए। समस्या भले ही सुलझ गई हो, लेकिन जिन युवाओं को मदद के लिए बार-बार फोन करने पड़े, वे डरे हुए और निराश महसूस कर रहे हैं।
पवित्रा ने बताया, ‘रेलवे पुलिस कोल्लम में हमारा इंतजार कर रही थी। जिस तरह से उन्होंने हमारे साथ व्यवहार किया वह अपमानजनक था। ऐसा लग रहा था जैसे हम चोरी करते पकड़े गए हों। उन्होंने हमारे पोल खोल दिए और उन्हें जमीन पर फेंक दिए। हमें जिस तरह से ट्रेन से उतरने के लिए कहा गया, वह शर्मनाक था। लोग हमें घूर रहे थे। यह सब मेरे साथ मेरे राष्ट्रीय चैंपियन बनने के ठीक एक दिन बाद हुआ।’
बता दें कि राष्ट्रीय स्तर के एथलीट्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले फाइबर-ग्लास की लंबाई 3 से 5 मीटर तक हो सकती है। चूंकि हर एथलीट के पास लंबाई और लचीलेपन में उसके स्पेशीफिकेशन के अनुकूल पोल होता है। ऐसे में पोल वॉल्टर्स के पास उपकरण को खुद ही प्रतियोगिता स्थल तक ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है।
बुधवार की घटना के कारण राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारी सुब्रमणि शिवा समेत वरिष्ठ एथलीट्स नाराज हैं। सेना को अपनी सेवाएं देने वाले शिवा का कहना है कि यह कोई अकेली घटना नहीं थी। ट्रेनों में अपने उपकरण ले जाने के दौरान उन्हें भी इसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ चुका है।
शिवा ने बताया, ‘इस तरह की घटनाएं युवाओं को खेल में शामिल होने से रोकेंगी। उपकरण ले जाना पहले से ही एक बहुत बड़ा काम है और रेलवे अधिकारी अक्सर इसे कठिन बना देते हैं। मैं दुखी और असहाय महसूस करता हूं कि राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारी होने के बावजूद मैं कुछ नहीं कर सकता।’
पिछले साल, वारंगल से चेन्नई लौटते समय, शिवा को उनके उपकरणों के साथ जहाज से उतरने के लिए कहा गया था। बाद में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले को सुलझाया था। उन्होंने बताया, ‘मैं एक सेना का आदमी हूं और साहसपूर्वक बोल सकता हूं, लेकिन उन छोटे बच्चों का क्या जो अभी शुरुआत कर रहे हैं? इस तरह का व्यवहार अस्वीकार्य है। मैंने पवित्रा और बच्चों से बात की और मुझे बहुत बुरा लगा।’
इस घटना को वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाए जाने के बाद, रेलवे ने एक बयान जारी कर कहा कि टिकट कलेक्टर ने ‘संभावित’ जोखिम के कारण आपत्ति जताई थी, क्योंकि ट्रेन चलने के दौरान पोल, सिग्नलिंग पोस्ट या किसी अन्य वस्तु से टकरा सकते हैं।
बयान में कहा गया है, ‘दक्षिण रेलवे ने हमेशा और खेल विकास को बढ़ावा दिया है। हमारे कई पोल वॉल्टर अपने उपकरणों को टीटीई को उचित सूचना के साथ ठीक से सुरक्षित करके ट्रेन के अंदर ले जाते हैं। टीटीई ने हमेशा उनकी मदद की है।’
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी बी गुगनेसन की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘संबंधित टिकट कलेक्टर से बातचीत की गई है और ऐसी स्थितियों को अधिक संवेदनशील और चतुराई से संभालने के लिए कहा गया है। हमने टीटीई से कहा है कि उन्हें से अच्छी तरह से बात करनी चाहिए और स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।’