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फरीदाबाद : स्कूल में तबीयत खराब होने पर भी टीचर ने परीक्षा देने के लिए किया मजबूर, घर जाने की नहीं दी परमिशन, छात्रा की मौत
Pushplataगुड़गांव के फरीदाबाद में एक सीबीएसई स्कूल की टीचर की लापरवाही के कारण 11 साल की छात्रा की जान चली गई। टीचर पर आरोप है कि छात्रा की तबीयत खराब होने के बावजूद उन्होंने उसे घर नहीं जाने दिया और जबरदस्ती उससे मैथ टेस्ट कंप्लीट करवाए। छात्रा बीमारी की हालत में पेपर सॉल्व करती रही। वह पसीने से भीग गई। उसे उल्टियां आ रही थीं। अगले ही दिन उसकी मौत हो गई। छात्रा के माता-पिता ने स्कूल पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि स्कूल ने उन्हें उनकी बेटी की बीमारी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी और स्कूल खत्म होने तक उसे रोके रखा। अगर समय रहते उन्होंने छात्रा की हालत के बारे में उन्हें सूचना दी होती तो उसका समय रहे इलाज हुआ होता और आज वह जिंदा होती। फिलहाल पुलिस इस मामले में जांच कर रही है।
दरअसल, फ़रीदाबाद के एक सीबीएसई स्कूल की कक्षा सातवीं की छात्रा की स्कूल से घर लौटने के अगले दिन गुरुवार सुबह मौत हो गई। उसकी स्कूल में तबीयत खराब हो गई थी। उसने स्कूल में और बस में उल्टी की थी। लड़की के माता-पिता ने स्कूल पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि स्कूल ने उन्हें छात्रा की तबीयत के बारे में अंधेरे में रखा। जबकि उसने अपने क्लास टीचर को बताया था कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है। माता-पिता ने आगे कहा कि हमारी बेटी आराध्या खंडेलवाल को गणित की परीक्षा पूरी होने तक कक्षा में बैठाया गया और फिर उसे अस्पताल में जाने की अनुमति दी गई।
अराध्या की सहेली की मां ने खोली स्कूल की पोल
इस मामले में आराध्या की दोस्त की मां ने कहा कि मेरी बेटी आराध्या की सबसे अच्छी दोस्त थी। मेरी बेटी ने मुझे बताया कि वह सुबह से ही ठीक महसूस नहीं कर रही थी। जब आराध्या ने क्लास टीचर को बताया कि उसे मिचली आ रही है तो उसे वॉशरूम में जाने के लिए कहा गया। आराध्या ठीक महसूस नहीं कर रही थी फिर भी उसे परीक्षा में बैठाया गया। टेस्ट देते समय उसे बहुत पसीना आ रहा था। एक समय पर आराध्या अपने आप चलने में सक्षम नहीं थी। वह बहोशी हालत में थी। वह अपनी आंखें खुली नहीं रख सकती थी।
उन्होंने आगे कहा कि जब छात्रा की तबीयत खराब हुई तो स्कूल वालों ने उसके माता-पिता को सूचना क्यों नहीं दी? स्कूल वालों को सबसे पहले छात्रा के माता-पिता को जानकारी देनी चाहिए थी। क्लास टीचर को छात्रा की तबीयत के बारे में पता था। टीचर ने आराध्या को सिक रूम में भे दिया और कई घंटों तक उसकी तबीयत के लक्षणों के बारे में इग्नोर किया। छात्रा को कक्षाएं खत्म होने तक स्कूल में ही रोक कर रखा गया। घर आते समय में उसे बस में फिर से उल्टी हुई। सीट गंदी करने के लिए ड्राइवर ने उसे डांटा भी।
इस मामले में आराध्या के पिता अभिलाष खंडेलवाल ने कहा कि उसने घर लौटने के बाद सिर्फ नींबू पानी मांगा था। एक घंटे बाद करीब 3.30 बजे वह वॉशरूम गई और फिर से उल्टी की। तब हमें एहसास हुआ कि वह ठीक नहीं थी लेकिन हमें लगा कि वह पहली बार उल्टी कर रही है। हमें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी स्कूल में क्या हुआ था। इसके बाद हमने फैमिली डॉक्टर को आराध्या की तबीयत के बारे में सूचना दी। उन्होने कुछ दवाएं और एक ओआरएस लेने की सलाह दी।
समय रहते माता-पिता को मिलती सूचना तो बच जाती छात्रा
रिपोर्ट्स के अनुसार, शाम को आराध्या ने अपने माता-पिता को बताया कि वह बेहतर महसूस कर रही है और सोने चली गई। गुरुवार सुबह करीब 6 बजे आराध्या को फिर से उल्टियां होने लगीं। उसके माता-पिता उसे पास के अस्पताल में ले गए, जहां ईसीजी किया गया फिर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। आराध्या के माता-पिता ने कहा कि अगर स्कूल ने उन्हें सुबह ही उसके स्वास्थ्य के बारे में सूचित किया होता तो उनकी बेटी का समय पर इलाज हो सकता था।
पिता ने रोते हुए कहा, “हमें नहीं पता था कि हमारी बच्ची बुधवार को कक्षा में इतनी बीमार थी। जब वह सुबह स्कूल के लिए निकली तो वह ठीक थी।” इस मामले में स्कूल प्रिंसिपल ने टीओआई को बताया कि वे सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करेंगे और जांच में सहयोग करेंगे।
प्रिंसिपल ने कहा कि ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन यह आराध्या के स्कूल छोड़ने के काफी समय बाद हुई। हमसे जो हो पाएगा हम करेंगे। वहीं डॉक्टर ने कहा कि उन्होंने आराध्या के पिता द्वारा फ़ोन पर बताई गई बातों के आधार पर ही दवाइयां दी थीं। उन्होंने आगे कहा कि सभी लक्षण डिहाइड्रेशन के लग रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, लड़की के माता-पिता ने पोस्टमार्टम से इनकार कर दिया। रविवार देर शाम तक आराध्या के माता-पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई थी। हालांकि, उन्होंने स्कूल अधिकारियों के खिलाफ ट्विटर पर कई आरोप लगाए हैं।