इंदौर
श्री चंद्रकांत दीक्षित के दोहा : गीत संग्रह "बहुत दिनों के बाद” का विमोचन संपन्न
Paliwalwaniदोहों में भी शेरों की तरह हर विषय पर असरकारक बात कहने और अपार लोकप्रियता की सम्भावना : संजय पटेल
(आलोक बाजपेयी-9826015554)
इंदौर :
दोहों एवं गीतों से सजी वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं साहित्यकार श्री चंद्रकांत दीक्षित पुस्तक "बहुत दिनों के बाद" का विमोचन अनेक वरिष्ठ साहित्यकारों की उपस्थिति में आत्मीय समारोह में सम्पन्न हुआ. समारोह में पुस्तक चर्चा के साथ दोहा विधा की वर्तमान स्थिति एवं संभावनाओं पर भी गंभीर चर्चा हुई. विमोचन समारोह में सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री सूर्यकांत नागर, आकाशवाणी पुणे के सेवानिवृत्त सहायक निदेशक एवं उद्घोषक श्री सुनील देवधर, सुप्रसिद्ध दोहाकार श्री प्रभु त्रिवेदी एवं संस्कृतिकर्मी श्री संजय पटेल वक्ता के रूप में उपस्थित थे.
कार्यक्रम के प्रारम्भ में जानी-मानी उद्घोषक एवं श्री दीक्षित की सुपुत्री श्रीमती सुगंधा बेहरे ने श्री चंद्रकांत दीक्षित की सुदीर्घ साहित्य साधना, संगीत प्रेम एवं पुस्तक के बारे में बताते हुए उन्हें आदर्श एवं संवेदनशील शिक्षक भी बताया। गायिका श्रीमती समिधा केन्दूरकर ने श्री दीक्षित जी द्वारा रचित सरस्वती वंदना एवं दो अन्य गीतों का सस्वर पाठ किया। संस्कृतिकर्मी श्री संजय पटेल ने अपने प्रभावी उद्बोधन में कहा कि उर्दू शायरी के शेरों की तरह सभी विषयों पर गहरा असर छोड़ने वाले दोहे रचे जा सकते हैं और यह बात श्री चंद्रकांत दीक्षित जी के दोहों से स्पष्ट है.
उर्दू के शेरों को लोकप्रियता और असरकारिता के मामले में टक्कर देने की क्षमता दोहा विधा में है, लेकिन फिर भी इस विधा को आज के साहित्यजगत में उसका वांछित स्थान प्राप्त नहीं है. श्री सुनील देवधर ने आकाशवाणी के उद्घोषक बतौर अपने सुदीर्घ अनुभव से शुद्ध एवं प्रभावी उच्चारण की बातें भी कहीं एवं श्री दीक्षित को किसी भी विषय पर रचने में सक्षम साहित्यकार भी बताया। सुप्रसिद्ध दोहाकार श्री प्रभु त्रिवेदी ने श्री दीक्षित की पुस्तक को बहुत विशिष्ट बताते हुए, उन्हें साहित्य का विनम्र साधक एवं भाषागत त्रुटियों को रोकने के प्रति बेहद सजग साहित्यकार बताया। उन्होंने श्री दीक्षित एवं अपनी स्वयं की कुछ रचनाओं का पाठ भी किया।
उत्सवमूर्ति श्री चंद्रकांत दीक्षित ने अपने दोहा एवं गीत विधा में अपने प्रयोगों की विनम्र जानकारी देते हुए दर्शकों के अनुरोध पर अपनी रचनाओं का पाठ भी किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार श्री सूर्यकांत नागर ने श्री दीक्षित की सुदीर्घ साहित्य साधना एवं शिक्षक बतौर आदर्श भूमिका की प्रशंसा करते हुए उन्हें युवा पीढ़ी के लिए अनुकरणीय बताया।
आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरेराम बाजपेयी, श्री प्रदीप काले, श्री सदाशिव कौतुक, संस्कृतिकर्मी श्री आलोक बाजपेयी, पत्रकार श्री अनिल धड़वईवाले, पार्षद श्रीमती सोनिला भाटिया, गायक श्री पवन भाटिया इत्यादि सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी एवं संगीत प्रेमी उपस्थित थे. अतिथियों का स्वागत सर्वश्री विजय कानसकर, निखिल बेहेरे एवं समीर दीक्षित ने किया। कार्यक्रम में सुश्री राधिका बेहेरे ने सुन्दर नृत्य की प्रस्तुति दी. श्रीमती सुगंधा बेहेरे ने सरस संचालन ने कार्यक्रम को आत्मीय ऊर्जा से भर दिया। कार्यक्रम का संयोजन बांसुरी वादक श्री हर्षवर्धन लिखिते ने किया जबकि सुश्री जयति बेहेरे ने आभार प्रदर्शित किया।