इंदौर
इन्दौर के साथ, फिर मज़ाक..!! : गोलू के चुनावी मंसूबो को मिली ताकत : सरकार' ने लम्बे इंतजार के बाद फिर शहर को थमाया झुनझुना
नितिनमोहन शर्मा
नितिनमोहन शर्मा...✍️
- भोपाल विकास प्राधिकरण को मिले 2 उपाध्यक्ष, इन्दौर को महज 1
- सरकार ' ने फिर इन्दौर को 'टूंगाया', आईडीए संचालक मंडल फिर रोका
- गोलू को सीएम ने दे दी राजनीतिक ताकत, विधानसभा की दावेदारी हुई मजबूत
- कैलाश-रमेश कैम्प को मिली मजबूती, आईडीए की पहली नियुक्ति केम्प के खाते में सुदर्शन ठगाए
इन्दौर के स्थानीय नेतृत्व को तरसाने का खेल बदस्तूर जारी
राजनीतिक नियुक्तियों के मामले में 'सरकार' का इन्दौर के स्थानीय नेतृत्व को तरसाने का खेल बदस्तूर जारी हैं। सालभर से जिस 3 उपाध्यक्ष और 5 संचालकों वाले आईडीए संचालक मंडल की बाट जोही जा रही थी, उसमे सरकार ने बड़ी मेहरबानी करते हुए 8 में से महज एक उपाध्यक्ष पद पर नियुक्ति की घोषणा की। बनाने थे 3 उपाध्यक्ष। बनाया एक। जबकि भोपाल में 2 उपाध्यक्ष बनाये गए। इन्दौर के साथ भोपाल का ये "खेल" तब भी जारी है, जबकि मिशन 2023 की उलटी गिनती शुरू हो चुकी हैं। ख़ुलासा फर्स्ट ने राजनीतिक नियुक्तियों के मामले में शिवराज सरकार को आगाह भी किया था कि सरकार... अब भी नही तो कब? सोमवार का फैसला बता रहा है कि इन्दौर के नेताओ की उम्मीदों पर पानी फेरने में ही उसे असली आनंद आ रहा है। पहले आईडीए अध्यक्ष पद पर बाहर के नेता को पदस्थ कर भोपाल ये कारनामा कर चुका हैं। अब शेष संचालक मंडल कब तक सामने आएगा? इसका जवाब किसी के पास नहीं।
चावड़ा संगठन के दायित्व से मुक्त होकर लाभ के पद पर पदस्थ : सत्ता ने स्थानीय नेताओं को जो टूंगाने का खेल शुरू
"सरकार" अब भी नही तो कब? ख़ुलासा फर्स्ट ने इस शीर्षक के साथ शिवराज सरकार को आगाह किया था कि निगम, मंडलों, आयोग और प्राधिकरणों में नियुकि कब तक टाली जाएंगी? ये नियुक्तियां चुनाव वाले साल तक टालना कब तक जारी रहेगा? शिवराज सरकार का बीता कार्यकाल भी इस बात का गवाह बना था। अंतिम समय मे नियुक्तियां हुई थी। ख़ुलासा ने बताया था विधानसभा चुनाव में अब गिनती के दिन शेष है। बावजूद सरकार राजनीतिक नियुक्तियां रोककर बैठी हैं। इन्दौर के साथ ये खेल अब स्थाई हो चला है। सत्ता ने स्थानीय नेताओं को जो टूंगाने का खेल शुरू किया है , वो बदस्तूर जारी हैं। सोमवार को सरकार ने एक बार फिर इसका मुज़ाहिरा किया। इन्दौर विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष पद पर एक नियुक्ति कर।
प्राधिकरण का अध्यक्ष करीब सालभर पहले से बना दिया। लेकिन उपाध्यक्ष सहित संचालक मंडल रोक लिया गया। अध्यक्ष पद पर भी 'सरकार' ने इन्दौर के स्वभाविक दावेदार नेताओ को दरकिनार कर देवास में रहने वाले जयपालसिंह चावड़ा को अध्यक्ष बना दिया। चावड़ा संगठन के दायित्व से मुक्त होकर लाभ के पद पर पदस्थ हो गए। समूची पार्टी सन्न रह गई। बेमन से ही सही, स्थानीय भाजपा ने चावड़ा की ताजपोशी को पचा लिया। इस आस में की, संचालक मंडल में सरकार अपनी गलती सुधार लेगी। लेकिन "सरकार" का इन्दौर के राजनीतिक नेतृत्व को हाशिये पर रखने का खेल थमा नही। न आईडीए में उपाध्यक्ष की तैनाती हुई। न संचालक मंडल बनाया गया। पार्टी चुनावी साल में प्रवेश कर गई। उसके बाद भी सरकार को कोई फर्क नही पड़ा। इसका उदाहरण सोमवार को फिर देखने मे आया।
गोलू के नाम की घोषणा ने फिर एक बार इन्दौर की भाजपा को चौकाया
इन्दौर के खाते में आना थे आईडीए के 3 उपाध्यक्ष और 5 संचालक। लेकिन सरकार ने एकमात्र उपाध्यक्ष आगे किया। गोलू शुक्ला को उपाध्यक्ष बनाया गया। गोलू के नाम की घोषणा ने फिर एक बार इन्दौर की भाजपा को चौकाया। क्योकि भोपाल से जारी आदेश में आईडीए संचालक मंडल में एकमात्र नाम गोलू शुक्ला का ही था। जबकि यहां 3 उपाध्यक्ष नियुक्त किया जाना था। लेकिन इन्दौर फिर ठगाया। जबकि भोपाल विकास प्राधिकरण में सरकार ने 2 उपाध्यक्ष नियुक्त किये। उस इन्दौर को फिर तरसाया गया, जिसकी शान के कशीदे प्रदेश के मुखिया गाहे बगाहे पढ़ते रहते हैं। अपने सपनों के शहर के प्रति सरकार के मुखिया की ये " दुश्मनी " अब सबके समझ से परे होती जा रही हैं। स्थानीय नेताओं को बहुत उम्मीद थी कि जल्द प्राधिकरण का संचालक मंडल सामने आ जायेगा। लेकिन घोषणा हुई तो एकमात्र नियुक्ति सामने आई।
गोलू के चुनावी मंसूबो को मिली ताकत
युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष गोलू शुक्ला की आईडीए उपाध्यक्ष पद पर ताजपोशी ने स्थानीय भाजपा को उत्साहित किया। अरसे बाद भोपाल ने जमीनी नेता को उपकृत क़ियाम अन्यथा नगर भाजपा में अब पैराशूट इंट्री का चलन बढ़ चला हैं। गोलू पार्टी के ज़मीनी नेता हैं और पार्टी की स्थानीय गुटबाजी के कारण लम्बे समय से हाशिये पर थे। एक दशक से वे अपने गृह क्षेत्र विधानसभा 1 से दावेदारी भी कर रहे हैं। मिशन 2023 में भी वे स्वाभाविक दावेदार के रूप में मैदान पकड़ चुके हैं। ऐसे में ताजा नियुक्ति ने उनके अरमानों को पंख दे दिए। राजनीति का गुणा भाग करने वाले उपाध्यक्ष के पद पर गोलू की नियुक्ति को विधानसभा की दावेदारी से दूर करार दे रहे हैं। जबकि हकीकत ये है कि नए दायित्व के साथ वे ताकतवर बनकर उभरे हैं। क्योंकि इन्दौर जैसे शहर में दर्जनों दावेदारो के बीच उनकी एकमात्र नियुक्ति हुई हैं। ये सरकार और संगठन में उनकी स्वीकार्यता बताता हैं।
सीएम की पसंद, कैलाश-रमेश केम्प को मिली मजबूती
गोलू शुक्ला की ताजपोशी ने शहर में काबिज़ ' कैलाश-रमेश केम्प ' को मजबूती दे दी। गोलू शुक्ला सीएम शिवराजसिंह की भी निजी पसंद हो चले हैं। स्थानीय राजनीति में उनका झुकाव शुरू से ही भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और विधायक रमेश मेंदोला की तरफ ही रहा हैं। स्थानीय भाजपा के संस्थापक नेताओ में से एक स्व विष्णुप्रसाद शुक्ला 'बड़े भैय्या' परिवार के सदस्य के रूप में गोलू की इस ताजपोशी से पार्टी के प्रतिबद्ध नेताओ और जमीनी कार्यकर्ताओं में उत्साह पसरा है.
उपाध्यक्ष में मालानी का नाम, संघ-संगठन की पसंद
आईडीए में 3 उपाध्यक्ष और 5 संचालको की नियुक्ति होती हैं। सरकार ने केवल एक उपाध्यक्ष ही उजागर किया। शेष दो उपाध्यक्ष के नामो की घोषणा भी जल्द होने की संभावना अब तेज हो गई हैं। ख़ुलासा फर्स्ट के सूत्र बताते है कि उपाध्यक्ष के लिए विजय मालानी का नाम लगभग तय माना जा रहा हैं। वे दो बार आईडीए में संचालक रह चुके हैं। बेदाग कार्यकाल और अनुभव के आधार पर उनका दावा मजबूत है। मालानी आरएसएस पृष्टभूमि के है। नतीजतन उन्हें संघ का भी समर्थन मिला हुआ हैं। सीएम की निजी पसन्द भी वे बताए जा रहे हैं। सूत्रों की माने तो मालानी का नाम नगर भाजपा के अध्यक्ष के रूप में भी चल रहा हैं। सिंधी समुदाय से होने के नाते मालानी की नजर विधानसभा 4 पर भी हैं। विधानसभा 4 सिंधी मतदाता बहुत सीट होने के कारण मालानी ने इस आधार पर अपना दावा किया है। भाजपा के सामने यहां से किसी सिंधी नेता को चुनाव लड़वाने की मांग तब से चल रही है, जब स्व लक्ष्मणसिंह गोड़ ने यहाँ पर पहला चुनाव लड़ा था। सांसद के रूप में शंकर लालवानी का टिकट इसी दबाव का हिस्सा था।
सुदर्शन ठगाये, मनोज को राहत
गोलू की ताजपोशी ने विधानसभा 1 के समीकरणों को उलझा दिया है। गोलू इस क्षेत्र से स्वयम को दावेदार बताकर मैदान पकड़ चुके हैं। हालिया क्रिकेट टूर्नामेंट और उसमें सीएम का जाना इसी रणनीति का हिस्सा था। यहाँ से पूर्व पार्षद ओर वर्तमान पार्षद भावना मिश्रा के पति मनोज मिश्रा भी विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते है। मनोज राहत महसूस कर रहे है कि एक दावेदार तो कम हुआ और वो भी ब्राह्मण कोटे का। मिश्रा की दावेदारी ब्राह्मण कोटे में ही चल रही है क्योंकि सामने कांग्रेस से संजय शुक्ला है। उधर हारे हुए विधायक सुदर्शन गुप्ता इस सबके बीच स्वयम को ठगाया हुआ महसूस कर रहे हैं। गोलू शुक्ला से उनकी पटरी कभी नही बैठी। हालांकि गुप्ता ने भी दांवा नही छोड़ा है। वे भी उम्मीद से है कि टिकट मुझे मिलेगा। ये बात और है कि विधानसभा क्षेत्र में उनको लेकर पार्टी के अंदर गुस्सा कम नही हुआ है और स्थानीय क्षत्रप उनकी दावेदारी को सिरे से नकार रहे हैं।