इंदौर
Jain wani : घर-घर मां जिनवाणी प्रतिष्ठा महोत्सव 28 को, नई पीढ़ी पूजास्थल मंदिर में प्रतिष्ठित जिनवाणी का वंदन नमन दर्शन करेगी
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राजेश जैन दद्दू
इंदौर.
एक सदी के बाद भारत वर्षीय दिगंबर जैन समाज को यह अवसर पर परम सौभाग्य प्राप्त हो रहा है कि परम पूज्य मुनि श्री अंतर्मुखी संत पूज्यसागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में मां जिनवाणी की प्राण प्रतिष्ठा महामहोत्सव तारीख कल 28 सितंबर 2025 रविवार को खेल प्रशाल इंदौर में संपूर्ण विधि-विधान के साथ विश्व में प्रथम बार संपन्न होने जा रहा है.
यह अवसर है, हर घर घर जिनवाणी मंदिर बनाएं और अपने अपने घरों के वास्तुदोष दूर करने का परिवार में प्रेम वात्सल्य धर्म संस्कृति संस्कारों से परिजनों को जुड़ने का. धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने कहा कि प्रतिष्ठित जिनवाणी को घर के मंदिर पूजास्थल पर विराजित कर धर्म ध्यान स्वाध्याय करने का यह पुण्य अवसर के प्रणेता परम पूज्य मुनि श्री पुज्यसागर जी महाराज गुरुवर का समाज को कहना है कि जब नई पीढ़ी पूजास्थल मंदिर में प्रतिष्ठित जिनवाणी का वंदन नमन दर्शन करेगी, तो जिनवाणी के महत्व को जानने की उत्सुकता जागेगी.
गुरु देव ने आगे कहा कि आज बच्चों को तीर्थंकर भगवान की मूर्तियों के दर्शन मंदिर में करने की जानकारी तो है, परंतु जिनवाणी के महत्व से वे अनभिज्ञ हैं. यही कारण है कि किसी कारण वश परिवार के बुजुर्गजन जो मंदिर नहीं जा पा रहे हैं, अपने घर में विराजित जिनवाणी दर्शन से धर्म पुण्य लाभ कमा सकते हैं.
जब नई युवा पीढ़ी वरिष्ठ जनों से जिनवाणी का महत्व जानेंगे, तब उन्हें कहा जाएगा कि जिस प्रकार सनातन धर्म में गीता, मुस्लिम धर्म में कुरान, ईसाई धर्म में बाइबल और सिख धर्म में गुरु ग्रंथ साहिब है, उसी प्रकार हमारे 24 तीर्थंकरों द्वारा दिए गए. उपदेशों का संकलन जिनवाणी कहलाता है, जो प्राचीन काल में ताड़पत्रों पर लिखित रूप में संरक्षित है.
जैन समाज को दीपावली महापर्व पर पूजन में जिनवाणी की पूजा करनी चाहिए, इसलिए गुरुदेव अंतर्मुखी मुनि पूज्यसागर जी महाराज ने हर घर जिनवाणी प्रतिष्ठा महोत्सव के महत्व को उजागर किया है. जैन धर्म की पहचान जिनवाणी आगम धर्मग्रंथों से है, जिनमें अनंत ज्ञान, करुणा और मोक्षमार्ग का अमूल्य भंडार निहित है.
धन्य है गुरु देव जो समाज के लिए धर्म संस्कृति संस्कारों की प्रेरणा देते हुए समाज में जैन धर्म का अलख जगाए हुए, परम पूज्य मुनि पूज्यसागर जी महाराज को मैं बारंबार नमन करता हूं, जो न केवल जैन धर्म की गौरवमयी परंपरा को सुरक्षित कर रहे हैं, बल्कि समाज को धर्म, ज्ञान और सेवा के लिए निरंतर प्रेरित भी कर रहे है. आयोजन समिति के प्रमुख संदीप जैन मोर्या, अमित कासलीवाल, नरेन्द्र वेद, भरत जैन, श्रीमती रेखा संजय जैन आदि ने समंग्र समाज से आह्वान करते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनकर अपने जीवन को धन्य करें.






