इंदौर

इंदौर ने पहली बार देखा : "सन्नाटे" के 48 घण्टे शेष...न मोदी आये, न योगी। न प्रियंका आई न राहुल बाबा के चरण पड़े

नितिनमोहन शर्मा
इंदौर ने पहली बार देखा :  "सन्नाटे" के 48 घण्टे शेष...न मोदी आये, न योगी। न प्रियंका आई न राहुल बाबा के चरण पड़े
इंदौर ने पहली बार देखा : "सन्नाटे" के 48 घण्टे शेष...न मोदी आये, न योगी। न प्रियंका आई न राहुल बाबा के चरण पड़े

 "सन्नाटे" के 48 घण्टे शेष...

  • इंदौर ने पहली बार देखा ऐसा नीरस, सुस्त, उत्साहविहीन चुनाव. 

  • देश की सबसे बड़ी पंचायत का चुनाव जिले में पंचायतों के चुनाव से भी गया गुजरा हुआ साबित. 
  • न कोई बड़ा नेता इंदौर आया, न कोई आमसभा हुई, दोनों दलों के एक जैसे रहे हाल. 
  • सत्ता सुंदरी का वरण करने से पहले ही कांग्रेस का उजड़ गया " सुहाग ", अब नोटा का टेका. 
  • भाजपा में उम्मीदवार की मौजूदगी के बावजूद कोई उत्साह नही, संगठन ने लड़ा पूरा चुनाव.
  • आज आखरी दिन सीएम का पुराने इंदौर में रोड शो, माहौल में चुनावी गर्मी भरने की अंतिम कोशिश.

न मोदी आये, न योगी। न प्रियंका आई न राहुल बाबा के चरण अहिल्या नगरी इंदौर में पड़े। मोटाभाई ने भी इस शहर से किनारा कर लिया। जबकि इस शहर के अगल बगल आकर सब निकल गए। लेकिन प्रदेश की राजनीतिक राजधानी इंदौर इस चुनाव में बड़े नेताओं की सभाओं को तरस गया।

सभा तो दूर, चुनावी माहौल को देखने को ही तरस गया। डीजे तो दूर, एक टुग्गल सी ऑटो रिक्शा तक नजर नही आई जो वोट मांग रही हो। देश की सबसे बड़ी पंचायत के हो रहे चुनाव के हाल इंदौर जैसे मस्ताने शहर में गांव में होने वाले पंचायत चुनाव से भी गए गुजरे हो गए। दोनों दल के ये ही हाल रहे। एक दल जीत के अतिउत्साह में वो कर बेठा कि चुनाव का बचा खुचा उत्साह ही रफूचक्कर हो गया। दूसरे दल का चलते चुनाव में मुंह काला हो गया। अब बगेर शोर शराबे के इस चुनाव का सन्नाटा 48 घण्टे और शेष हैं। 

नितिनमोहन शर्मा

बस अब 48 घण्टे शेष हैं, इंदौर के इतिहास के सबसे सुस्त, नीरस व उत्साहविहीन चुनाव के मुक्कमल होने में। उत्सवप्रिय इस शहर ने आज तक ऐसा चुनाव देखा ही नही। जबकि यर देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी लोकसभा का चुनाव था लेकिन ये गांव खेड़े में होने वाले पंचायत के चुनाव से भी गया गुजरा साबित हुआ। न डंडे, न झंडे। न बैनर, पोस्टर। न चिलम, न भोंगे। न बड़ा नेता, न कोई सभा। डीजे वाहन तो दूर, ऑटो रिक्शा तक से प्रचार नही।  न जमीन पर होड़-जोड़। न भोजन, न भंडारे। बस चुनाव के नाम पर जुबानी जंग, मुँहजोरी। न तर्क, न वितर्क। बस आरोप-प्रत्यारोप। ऐसे ही ये बचे 48 घण्टे भी गुज़र जाएंगे और मुक्कमल हो जाएगा प्रदेश की राजनीतिक राजधानी इंदौर का ये बड़ा चुनाव।

जिस शहर में सबसे ज्यादा राजनीतिक हलचल होती हैं, उस इंदौर में सांसद का चुनाव ऐसा होगा किसी ने कल्पना तक नही की थी। भाजपा तो 400 पार के नारे पर सवार होकर बड़ी बेसब्री से इस चुनाव का इंतजार कर रही थी। राम मंदिर, धारा 370, तीन तलाक, महिला आरक्षण जैसे तमगों के साथ कमलदल में तो उत्सव जैसा माहौल पसरा हुआ था।

"मोदी की हैट्रिक" और विधानसभा चुनावों में मिली प्रचंड जीत के बाद भाजपा का उत्साह तो कुलांचे मार रहा था। ऐसे में दूसरे दल के नेताओ का भाजपा में शुरू हुए प्रवेश के खट करम ने तो वक्त से पहले ही कमलदल को विजयी बना दिया। ऐसे में कमलदल खेमे में बड़ी शिद्दत से चुनाव का इंतजार था। कांग्रेस जरूर डरी सहमी थी। विधानसभा चुनाव की पड़ी मार ओर पार्टी नेताओं के एक के बाद एक भाजपा में प्रवेश ने उसका बचा मनोबल भी जमीदोंज कर दिया था। बावजूद इसके पार्टी कमजोर चुनोती के साथ ही, चुनाव मैदान में डटी हुई थी।

सत्ता सुंदरी के वरण के पहले उजड़ गया " सुहाग " 

कांग्रेस का हाल इस चुनाव में सबसे बुरा हुआ। पार्टी की जो दुर्गति इस बार हुई, ऐसी इस शहर में आजादी के बाद से आज तक नही हुई थी। पार्टी का हाल चलते चुनाव में ऐसा हो गया कि वह न सिर्फ प्रदेश बल्कि देशभर में सब जगह हंसी की पात्र बन गई। पार्टी सत्ता सुंदरी का वरण करने निकली थी। दूल्हा मिल नही रहा था।

बमुश्किल वर मिला और उसे नामांकन पर्चे के संग घोड़ी पर चढ़ाया गया। घोड़ी चढ़ा चुनावी दूल्हा बगेर चुनावी फेरे पड़े लोकसभा के मंडप से भाग खड़ा हो गया। सत्ता सुंदरी ठगी सी खड़ी रह गई और उसको वरण करने आ रहा दूल्हा " पड़ोसन" के साथ फरार हो गया। कांग्रेस के लिये चलते चुनाव में ये एक तरह से " सुहाग उजड़ने" की तरह था। पार्टी का मुंह काला हो गया, वैसे ही जेसे लग्न मंडप से दुल्हन के अचानक भाग जाने पर किसी परिजन, परिवार का होता हैं।

शर्मसार कांग्रेस अब नोटा की ओट लेकर मुंह छुपाने का असफल प्रयास कर रही है। नोटा के साथ का ये प्रयास भी एक तरह से " घर के पूत कुंवारे डोले, पड़ोसी के फेरे " की तरह ही है। 

"भाई" का "धोबी पछाड़", साँई की " कंगाली "

भाजपाई खेमें के हाल तो बड़े ही विचित्र रहे इस बार। जीत की 100 फीसदी ग्यारंटी के साथ चुनाव की शुरुआत हुई लेकिन उम्मीदवार की घोषणा होते ही पार्टी में एक तरह से नाउम्मीदी छा गई। पार्टी के नेता तो दूर कार्यकर्ता भी नही चाहते थे कि " साईं " रिपीट हो। न मातृसंस्था की मंशा थी, तभी तो भाई ने आत्मविश्वास के साथ एक मंच से साईं का टिकट ही काट दिया था। वैसे भी साँई का न कोई बेहतरीन ट्रेक रिकार्ड था कि वे दूसरी बार के टिकट के हक़दार बने।

लेकिन जोड़-तोड़, जमावट में माहिर हो चले साँई को पूर्व में की गई " साधना" काम आ गई और वे दोनों जेब मे हाथ डाल शान से टिकट ले आये। कमजोर चुनोती के चलते जीत के दांवे 8 लाख तक जाने लगे ही थे कि " भाई " ने चुनावी अखाड़े में ऐसा " धोबी पछाड़" दांव मारा कि कांग्रेस तो चारो खाने चित्त हुई ही, साँई को भी दिन में तारे नजर आ गए। कहा तो वे बड़ी जीत के बाद " पोमाने" के सपने देख रहे थे और बिरादरी के दम पर मंत्री बनने की उम्मीदें लगाए हुए थे और कहा अब उनकी जीत ही गिनती में नही आने की परिस्थिति।

" भाई " ने तो शीर्ष नेतृत्व की मंशा को पूर्ण कर दिया लेकिन " साँई" उसी दिन से " कोप भवन" में प्रवेश कर गए और स्वयम को पार्टी की एक बड़ी बैठक में " कंगाल " घोषित कर दिया। अब भाजपाई खेमे में इस चुनाव में दो ही चर्चे शेष रह गए है। एक भाई का धोबी पछाड़ और दूसरी " साँई" की कंगाली"। 

रोड शो के जरिये गर्मी भरने की आखरी कोशिश आज 

सुस्त व नीरस चुनाव में प्रचार के आखरी दिन सीएम के रोड शो के जरिये चुनावी गर्मी भरने की आखरी कोशिश इंदौर में हो रही हैं। ये रोड शो आज यानी 11 मई को दोपहर बाद शुरू होगा। केंद्र होगा पुराना इंदौर का वो हिस्सा जो भाजपाई हलकों में "अयोध्या" कहलाता हैं। शहर के मध्य क्षेत्र में सीएम डॉ मोहन यादव जीप में सवार हो वोटों की गुहार लगाने निकलेंगे। प्रचार के आखरी दिन इस हिस्से में पार्टी का दमखम दिखाने का ये "पुराना "टोटका है।

पार्टी का ऐसा मानना रहा है कि अंतिम दिन प्रचार शहर के उन बाजारो में हो, जो शहर ही नही देश की शान है। लिहाजा मुख्यमंत्री आज सराफा, सीतलामाता बाजार, नरसिंह बाजार, राजबाड़ा, मारोठिया बाजार जैसे बाजार इलाके में रोड शो करेंगे। जवाहर मार्ग व एमजी रोड का खजूरी बाजार गोरकुण्ड वाला हिस्सा भी इसका गवाह बनेगा। दोपहर बाद मध्य क्षेत्र में भाजपाई माहौल बनाने की इस आखरी कोशिश को कितना बल मिलता है, शाम 5 बजे तक साफ हो जाएगा।

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