इंदौर

अक्षय बम...राजनीति के इस दौर में युवा अक्षय के साहस को दाद तो देना पड़ेगी...!

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अक्षय बम...राजनीति के इस दौर में युवा अक्षय के साहस को दाद तो देना पड़ेगी...!
अक्षय बम...राजनीति के इस दौर में युवा अक्षय के साहस को दाद तो देना पड़ेगी...!

@री डिसकवर इंडिया न्यू्‍ज इंदौर

देश मे लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए इंदौर लोकसभा में कांग्रेस के युवा उम्मीदवार अक्षय बम की चुनावी लड़ाई दिया और तूफान की है! हार और जीत तो जनता के हाथ मे है, लेकिन जनता के हक, अधिकार, शोषण और न्याय की आवाज और लड़ाई लड़ने के लिए सशक्त विपक्ष यानी जनता की तरफ से बोलने और लड़ने वाला व्यक्तित्व जरूरी है! जो सरकार के सामने जनता की बात रख सके!

अक्षय बम भारत की गौरव शाली लोकतांत्रिक परंपरा का एक नया, साहसी, शिक्षित, सामाजिक और जोश से भरपूर नेतृत्व है! वो लाखो युवा, छात्र, शोषित, वंचित, दलित, मेहनती, ईमानदार लोग जो किसी भी धर्म, संप्रदाय, जाति के हो या किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता हो जिन्हें अपना हक, अधिकार, विकास और न्याय नहीं मिला हो या लड़ रहे हो! वो सभी अक्षय बम के साहसी नेतृत्व के साथ अपने को जोड़ सकते हैं!

ऐसे दौर में डेली कॉलेज से पढ़े और इंदौर के सबसे प्रतिष्ठित लॉ कालेज के फाउंडर युवा चेयरमैन अक्षय बम का इंदौर जैसे मध्य भारत के सबसे बड़े व्‍यवसायिक शहर से कांग्रेस पार्टी की तरफ से लोकसभा का चुनाव लड़ना! उनके न सिर्फ अदम्य साहस वरन व्यक्तिगत, सार्वजनिक और व्‍यवसायिक जीवन में ईमानदारी को दर्शाता है!

अक्षय के लिए सत्ता से कमाने या बचाने का कोई स्वार्थ, लालच या डर नहीं है! न बाहूबली है न अपराधी है पर स्वाभिमान और हक के लिए लड़ना जानते हैं फिर सामने कोई भी हो! धर्म, जात – पात और परिवारवाद की राजनीति नहीं करते हैं! हक और अधिकार के लिए साहस इतना है कि अपनी ही पार्टी का विरोध करने से गुरेज नहीं करते हैं!

देश के इस राजनैतिक माहौल को जहां सत्ताधारी दल का मुख्य लक्ष्य देश के विपक्ष को और उनके नेताओ को येन – केन – प्रकारेण! साम – दाम – दंड – भेद! के अलावा ED – CBI – इंकम टैक्स जैसी सरकारी जांच एजेंसिया आदि का डर बताकर या तो राजनीति से पूरी तरह समाप्त करने का दौर कहां जाए! या चुपचाप आत्मसमर्पण कर भाजपा की शरण में चले आए!

राजनैतिक वर्चस्व की लड़ाई के युद्ध काल में जहां मुख्य विपक्षी दल कॉंग्रेस के देश, प्रदेश, और जिलों के कद्दावर, बाहूबली, धनाढ्य और अति धनाढ्य कहे जाने वाले तथाकथित कद्दावर नेता, पूर्व और वर्तमान विधायक, सांसद और पार्टी कार्यकर्ता या तो अपने व्यक्तिगत स्वार्थ! कायरता! लालच! सरकार का डर!.व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए सुविधा और सत्ता के करीब रहने की स्वभाविक प्रव्रती! की वजह से कांग्रेस से पलायन कर चुके हैं और कर रहे हैं!

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