Wednesday, 11 June 2025

दिल्ली

न्यायमूर्ति कौल ने कहा दुनिया बदल गई है, सीबीआई को भी बदलना चाहिए

Paliwalwani
न्यायमूर्ति कौल ने कहा दुनिया बदल गई है, सीबीआई को भी बदलना चाहिए
न्यायमूर्ति कौल ने कहा दुनिया बदल गई है, सीबीआई को भी बदलना चाहिए

उच्चतम न्यायालय ने निजी डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जब्ती, पड़ताल और उन्हें सुरक्षित रखने पर जांच एजेंसियों के लिए दिशानिर्देश जारी करने का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को कहा कि दुनिया बदल गई है तथा सीबीआई को भी बदलना चाहिए।याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि निजता के मुद्दे पर दुनिया भर में जांच एजेंसियों के लिए नियमावली को अद्यतन किया जा रहा है.

न्यायमूर्ति एस.के. कौल और न्यायमूर्ति ए.एस. ओका की पीठ ने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की नियमावली को अद्यतन करने की जरूरत है, जो जांच के दौरान अपनाई जाने वाली प्रक्रिया निर्धारित करती है. न्यायमूर्ति कौल ने कहा दुनिया बदल गई है. सीबीआई को भी बदलना चाहिए. 

न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि उन्होंने सीबीआई की नियमावली देखी है और इसे अद्यतन करने की जरूरत है. केंद्र ने इस विषय पर पिछले महीने दाखिल किये गये अपने हलफनामे में कहा था कि कानून लागू करने और अपराध की जांच से जुड़े मुद्दों पर सभी वर्गों से सुझाव/आपत्तियां लेना उपयुक्त होगा, क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य सूची का विषय है. 

हलफनामे में कहा गया है कि जहां तक याचिकाकर्ताओं की आशंकाओं का सवाल है, उनमें से ज्यादातर का समाधान सीबीआई नियमावली 2020 के अनुपालन से किया जा सकता है.

केंद्र ने कहा है यह दलील दी जाती है कि सीबीआई नियमावली के महत्व को पूर्व में इस न्यायालय ने स्वीकार किया है और इस आलोक में नियमावली नये सिरे से तैयार की गई और 2020 में प्रकाशित की गई. केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू ने सोमवार को पीठ से कहा कि उन्होंने एक हलफनामा दाखिल किया है और विषय को सुनवाई के लिए मंगलवार, बुधवार या बृहस्पतिवार में से किसी दिन निर्धारित किया जा सकता है.

पीठ ने विषय की सुनवाई अगले साल 7 फरवरी 2023 से शुरू हो रहे सप्ताह में निर्धारित कर दी. इससे जुड़े एक अलग विषय में याचिकाकर्ता संगठन की ओर से पेश हुए एक वकील ने पीठ से कहा कि उनकी याचिका में उठाये गये मुद्दे व्यापक महत्व के हैं और केंद्र को उस पर अपना जवाब दाखिल करना चाहिए पीठ ने संगठन की याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र को 8 हफ्तों का वक्त दिया और इसे 12 हफ्तों के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

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