दिल्ली
अटल जी ... जीवन परिचय...न भूतो...न भविष्यति...स्मृति शेष....भावपूर्ण श्रद्वांजलि-
sunil paliwal...✍️अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर में हुआ| उनके पिता का नाम कृष्णा बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था । उनके पिता कृष्णा बिहारी वाजपेयी अपने गाव के महान कवी और एक स्कूलमास्टर थे ।
अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ग्वालियर के बारा गोरखी के गोरखी ग्राम की गवर्नमेंट हायरसेकण्ड्री स्कूल से शिक्षा ग्रहण की थी । बाद में वे शिक्षा प्राप्त करने ग्वालियर विक्टोरिया कॉलेज जो कि वर्तमान में (लक्ष्मी बाई कॉलेज) गये और हिंदी, इंग्लिश और संस्कृत में डिस्टिंक्शन से पास हुए । उन्होंने कानपूर के दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज से पोलिटिकल साइंस में अपना पोस्ट ग्रेजुएशन एम.ए में पूरा किया । इसके लिये उन्हें फर्स्ट क्लास डिग्री से भी सम्मानित किया गया था । ग्वालियर के आर्य कुमार सभा से उन्होंने राजनैतिक काम करना शुरू किये, वे उस समय आर्य समाज की युवा शक्ति माने जाते थे, और 1944 में वे उसके जनरल सेक्रेटरी भी बने ।1939 में एक स्वयंसेवक की तरह वे राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गये । और वहा बाबासाहेब आप्टे से प्रभावित होकर, उन्होंने 1940-44 के दर्मियान आरएसएस प्रशिक्षण कैंप में प्रशिक्षण लिया और 1947 में आरएसएस के फुल टाइम वर्कर बन गये|विभाजन के बीज फैलने की वजह से उन्होंने लॉ की पढाई बीच में ही छोड़ दी । और प्रचारक के रूप में उन्हें उत्तर प्रदेश भेजा गया, और जल्द ही वे दीनदयाल उपाध्याय के साथ राष्ट्रधर्म (हिंदी मासिक ), पंचजन्य (हिंदी साप्ताहिक) और दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे अखबारों के लिये काम करने लगे ।वाजपेयी अजीवन अविवाहित रहे । अटल बिहारी वाजपेयी भारत के 10 वे पूर्व प्रधानमंत्री है । वे पहले 1996 में 13 दिन तक और फिर 1998 से 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री बने रहे । वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता है, भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस रहित भारत की 5 साल तक सेवा करने वाले वे पहले प्रधानमंत्री थे|लोकसभा चुनावो में वाजपेयी जी ने नौ बार जीत हासिल की है । जब उन्होंने स्वास्थ समस्या के चलते राजनीती से सन्यास ले लिया था । तब उन्होंने 2009 तक लखनऊ, उत्तर प्रदेश के संसद भवन की सदस्य बनकर भी सेवा की है । वाजपेयी भारतीय जन संघ के संस्थापक सदस्य भी है । वाजपेयी जी में भारतीय जन संघ का संचालन भी किया है । मोरारजी देसाई के कैबिनेट में वे एक्सटर्नल अफेयर (बाहरी घटना / विवाद) मंत्री भी रह चुके है । जिस समय जनता सरकार पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी थी । उस समय वाजपेयी जी ने जन संघ को भारतीय जनता पार्टी के नाम से 1980 में पुनर्स्थापित किया । और पूरा जीवन उसी के लिये समर्पीत किया । 25 दिसम्बर 2014 को राष्ट्रपति कार्यालय में अटल बिहारी वाजपेयी जी को भारत का सर्वोच्च पुरस्कार “भारत रत्न” दिया गया (घोषणा की गयी थी) । उन्हें सम्मान देते हुए भारत के राष्ट्रपति खुद 27 मार्च 2015 को उनके घर में उन्हें वह पुरस्कार देने गये थे । उनका जन्मदिन 25 दिसम्बर “गुड गवर्नेंस डे” के रूप में मनाया जाता है ।
*वाजपेयी कविताओ के बारे में कहते है*
“मेरी कविताये मतलब युद्ध की घोषणा करने जैसी है, जिसमे हारने का कोई डर न हो । मेरी कविताओ में सैनिक को हार का डर नही बल्कि जीत की चाह होगी । मेरी कविताओ में डर की आवाज नही बल्कि जीत की गूंज होगी ।”
*अटल बिहारी वाजपेयी के अवार्ड*
1992 : पद्म विभूषण
1993 : डी.लिट (डॉक्टरेट इन लिटरेचर), कानपूर यूनिवर्सिटी
1994 : लोकमान्य तिलक पुरस्कार
1994 : बेस्ट संसद व्यक्ति का पुरस्कार
1994 : भारत रत्न पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त अवार्ड
2015 : भारत रत्न
2015 : लिबरेशन वॉर अवार्ड (बांग्लादेश मुक्तिजुद्धो संमनोना)
*अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के अन्य प्रमुख कार्य*
11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया ।
19 फ़रवरी 1999 को पाकिस्तान से अच्छे संबंधों में सुधार की पहल करतें हुए सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस की सेवा शुरू की गई ।
*स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना*
कावेरी जल विवाद को सुलझाया, जो 100 साल से भी ज्यादा पुराना विवाद था|
संरचनात्मक ढाँचे के लिये बड़ा कार्यदल, विद्युतीकरण में प्रगति लाने के लिये केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग, सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, आदि का गठन किया।
देश के सभी हवाई अड्डों एवं राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास किया; कोकण रेलवे तथा नई टेलीकॉम नीति की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने जैसे कदम उठाये।
आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति, राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, भी गठित कीं । जिस वजह से काफी जल्दी काम होने लगे ।
अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त करके आवास निर्माण को प्रोत्साहन दिया ।
उन्होंने बीमा योजना की भी शुरवात की जिस वजह से ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगोंको (NRI) काफी फायदा हुआ ।
*अटल बिहारी वाजपेयी के पद*
1951 : संस्थापक सदस्य, भारतीय जन संघ (BJS)
1957 : दुसरे लोक सभा में नियुक्ती
1957-77 : नेता, भारतीय जन संघ संसदीय पार्टी
1962 : सदस्य, राज्य सभा
1966-67 : अध्यक्ष, गवर्नमेंट आश्वासन समिति
1967 : चौथे लोकसभा चुनाव में पुनर्नियुक्त (2 वी बार)
1967-70 : अध्यक्ष, पब्लिक अकाउंट समिति
1968-73 : अध्यक्ष, BJS
1971 : 5 वे लोकसभा चुनाव में पुनर्नियुक्त (3 वी बार)
1977 : 6 वे लोकसभा चुनाव में नियुक्त (4 वी बार)
1977-79 : यूनियन कैबिनेट मिनिस्टर, एक्सटर्नल अफेयर
1977-80 : संस्थापक सदस्य, जनता पार्टी
1980 : 7 वे लोकसभा चुनाव में नियुक्त (5 वी बार)
1980-86 : अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
1980-84, 1986 और 1993-96 : नेता, बीजेपी संसदीय पार्टी
1986 : सदस्य, राज्य सभा, सदस्य, जनरल पर्पस समिति
1988-90 : सदस्य, हाउस समिति, सदस्य, व्यापार सलाहकार समिति
1990-91 : अध्यक्ष, याचिका समिति
1991 : 10 वे लोकसभा चुनाव में नियुक्त (6 वी बार)
1991-93 : अध्यक्ष, पब्लिक अकाउंट समिति
1993-96 : चेयरमैन, एक्सटर्नल अफेयर समिति, लोकसभा विरोधी नेता
1996 : 11 वे लोक सभा चुनाव में नियुक्त (7 वी बार)
16 May 1966-31 May 1996 : भारत के प्रधानमंत्री
1966-97 : विरोधी नेता, लोकसभा
1997-98 : चेयरमैन, एक्सटर्नल अफेयर समिति
1998 : 12 वे लोकसभा चुनाव में पुनर्नियुक्त (8 वी बार)
1998-99 : भारत के प्रधानमंत्री, एक्सटर्नल अफेयर मंत्री
1999 : 13 वे लोकसभा चुनाव में पुनर्नियुक्त (9 वी बार)
13 Oct. 1999 to 13 May 2004 : भारत के प्रधानमंत्री
2004 : 14 वे लोकसभा चुनाव में पुनर्नियुक्त (10 वी बार)
अटल जी की कविताएं
पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को जितना एक राजनेता के तौर पर सराहा गया, उतना ही प्यार उनकी कविताओं को भी मिला। उनकी कविताएं उनके बेबाक व्यक्तित्व की पहचान बन गईं। आइये देखते हैं अटल बिहारी वाजपेयी की लिखी हुई कविताएं।
गीत नया गाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर ,
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर,
झरे सब पीले पात,
कोयल की कूक रात,
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं।
गीत नया गाता हूँ।
टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी?
अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी।
हार नहीं मानूँगा,
रार नहीं ठानूँगा,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ।
गीत नया गाता हूँ।
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मौत से ठन गई
मौत से ठन गई
ठन गई
मौत से ठन गई.
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?
तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा
मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई
मौत से ठन गई
Atal Bihari Vajpayee Passes Away: LAST JOURNEY Of Former PM BEGINS | ABP... https://youtu.be/4kwDixVD2vs via @YouTube
पालीवाल वाणी समाचार पत्र-sunil paliwal...✍️
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