भोपाल
Big Breaking : कोरोना के सभी प्रतिबंध खत्म, स्कूल-कॉलेज पूरी क्षमता से खुलेंगे, नाइट कर्फ्यू जारी रहेगा
Paliwalwaniमध्यप्रदेश. कोरोना पाबंदियों को लेकर शिवराज सिंह ने ट्वीट कर बड़ी घोषणा की है। मध्यप्रदेश में नाइट कर्फ्यू को छोड़कर कोरोना को काबू में करने के लिए लगाए गए सभी प्रतिबंध हटा लिए गए है। अब स्कूल कॉलेज पूरी क्षमता से खुल सकेंगे। साथ ही सभी सामाजिक, व्यावसायिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, धार्मिक, मनोरंजन, खेलकूद और मेले जैसे आयोजन पूरी क्षमता से हो सकेंगे। कोरोना के वर्तमान हालात को देखते हुए सरकार इसके आदेश जारी कर दिए है। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में कोरोना पॉजिटिविटी रेट और एक्टिव केस लगातार कम हो रहे हैं। जिसे देखते हुए पूर्व में महामारी नियंत्रण के लिए लगाए गए समस्त प्रतिबंध समाप्त किए जाते हैं। सभी स्कूल, कॉलेज और छात्रावास पूर्ण क्षमता से चल सकेंगे। विवाह और अंतिम संस्कार के लिए संख्या का प्रतिबंध भी नहीं रहेगा। आदेश के मुताबिक कलेक्टर ऐसे क्षेत्रों को जहां संक्रमण रोकने के लिए आवश्यक हो, माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित कर आवश्यक प्रतिबंध लगा सकते हैं। हालांकि रात 11 बजे से 5 बजे तक नाइट कर्फ्यू जारी रहेगा। तीसरी लहर में कोरोना पर काबू पर के लिए ये प्रतिबंध सबसे पहले लगाया गया था।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि ध्यान रखें महामारी का संक्रमण पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, इसलिए रात्रिकालीन कर्फ्यू 11 बजे से सुबह 5 बजे तक लागू रहेगा। नागरिकों से अपील है कि मास्क का उपयोग और कोविड अनुकूल व्यवहार का पालन अवश्य करें।
प्रदेश में कोरोना की स्थिति
मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार घटने के बाद अब मौतों का आंकड़ा भी कम होने लगा है। हफ्ते भर पहले तक रोजाना 7 से 9 मरीजों की मौत हो रही थी, लेकिन यह आंकड़ा भी कम होता दिख रहा है। बीते 24 घंटे में प्रदेश में 2612 नए पॉजिटिव आए और 3 मरीजों की मौत हुई। राजधानी भोपाल के लिए भी राहत की खबर है। 11 दिनों के बाद भोपाल में कोरोना से एक भी मौत दर्ज नहीं हुई है। अभी प्रदेश में 637 मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं।
रिकवरी रेट बढ़ा, संक्रमण दर घटी
पिछले हफ्ते की तुलना में संक्रमण दर घटी है। वहीं रिकवरी रेट यानी स्वस्थ होने वाले मरीजों की तादाद बढ़ी है। अच्छी बात यह भी है कि मौतों की संख्या भी घटी है। पिछले हफ्ते के दौरान औसतन 6 मौतें रोज हो रही थीं। वहीं अब औसतन 4 मरीजों की मौत हो रही है।