ज्योतिषी
पुष्प नक्षत्र 2021 : 677 साल बाद बना ऐसा शुभ संयोग, जाने महूर्त - क्या क्या खरीदना रहेगा आपके लिए शुभ
Paliwalwaniजिस तरह शुभ मुहूर्त में की गई पूजा ही पूरा फल देती है, उसी तरह शुभ मुहूर्त में की गई खरीदारी सुख-समृद्धि लाती है. धर्म और ज्योतिष में गुरु-पुष्य नक्षत्र को खरीदारी के लिए सबसे ज्यादा शुभ माना गया है. इस बार दिवाली और धनतेरस से पहले ही खरीदारी का यह शुभ मुहूर्त पड़ रहा है. इस दिन खरीदी करने और निवेश करने से बहुत लाभ होता है.
पुष्प नक्षत्र शुभ महूर्त
इस बार 28 अक्टूबर 2021 गुरुवार को गुरु पुष्य का योग सुबह 09:41 से प्रारंभ होकर दूसरे दिन यानी 29 अक्टूबर, शुक्रवार की सुबह 11:38 तक रहेगा। इसी दिन सर्वार्थसिद्धि योग और रवि योग भी है। इसी दिन अभिजीत मुहूर्त– सुबह 11:42 से दोहपर 12:26 तक रहेगा। विजयी मुहूर्त दोहपर 01:34 से 02:19 तक रहेगा।
677 साल बाद बना ऐसा शुभ संयोग
कमाल की बात यह है कि कल न केवल गुरु-पुष्य नक्षत्र (Guru Pushya Nakshatra 2021) रहेगा बल्कि गुरु और शनि ग्रह एक ही राशि मकर में रहेंगे. ऐसा शुभ संयोग 677 साल बाद बना है. इसके अलावा कल गुरुवार भी है. गुरुवार के दिन का गुरु-पुष्य नक्षत्र रहना सबसे ज्यादा उत्तम होता है. इसके चलते 2 नंवबर को धनतेरस और 4 नवंबर को दिवाली से पहले ही खरीदी का बेहद शुभ मौका मिलेगा. इस दिन खरीदी करने के अलावा निवेश करना भी बहुत शुभ साबित होगा.
इसलिए बेहद शुभ होता है गुरु-पुष्य नक्षत्र
ज्योतिष में सभी 27 नक्षत्रों में से पुष्य नक्षत्र को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. पुष्य सभी अरिष्टों या संकटों का नाश करता है. इसलिए शुभ काम करने के लिए पुष्य नक्षत्र को सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है. इस मुहूर्त में किए गए काम अन्य शुभ मुहूर्तों की तुलना में कई गुना ज्यादा फल देते हैं. हालांकि इस मुहूर्त में विवाह नहीं किया जाता है. बृहस्पति देव और प्रभु राम भी इसी नक्षत्र में पैदा हुए थे.
मान्यता है कि इस नक्षत्र में जन्मे लोग महान काम करते हैं और स्वभाव से बेहद दयालु, धार्मिक, धनी और कई कलाओं को जानने वाले होते हैं. वहीं इस पुष्य नक्षत्र में जन्मी लड़कियां अपने खानदान का नाम रोशन करती हैं. ऐसी लड़कियां बेहद सौभाग्यशाली, दयालु, धार्मिक, साहसी और बुद्धिमान होती हैं.
क्या ख़रीदे पुष्पनक्षत्र में
- पुष्य नक्षत्र पर गुरु, शनि और चंद्र का प्रभाव होता है तो ऐसे में स्वर्ण, लोह (वाहन आदि) और चांदी की वस्तुएं खरीदी जा सकती है। मान्यता अनुसार इस दौरान की गई खरीदारी अक्षय रहेगी। अक्षय अर्थात जिसका कभी क्षय नहीं होता है।
- इस नक्षत्र में शिल्प, चित्रकला, पढ़ाई प्रारंभ करना उत्तम माना जाता है। इसमें मंदिर निर्माण, घर निर्माण आदि काम भी शुभ माने गए हैं।
- गुरु-पुष्य या शनि-पुष्य योग के समय छोटे बालकों के उपनयन संस्कार और उसके बाद सबसे पहली बार विद्याभ्यास के लिए गुरुकुल में भेजा जाता है।
- इस दिन बहीखातों की पूजा करना और लेखा-जोखा कार्य भी शुरू कर सकते हैं। इस दिन से नए कार्यों की शुरुआत करें, जैसे दुकान खोलना, व्यापार करना या अन्य कोई कार्य।
- इस दिन धन का निवेश लंबी अवधि के लिए करने पर भविष्य में उसका अच्छा फल प्राप्त होता है। इस शुभदायी दिन पर महालक्ष्मी की साधना करने, पीपल या शमी के पेड़ की पूजा करने से उसका विशेष व मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
- चंद्रमा का राशि के चौथे, आठवें एवं 12वें भाव में उपस्थित होना अशुभ माना जाता है। परंतु इस पुष्य नक्षत्र के कारण अशुभ घड़ी भी शुभ घड़ी में परिवर्तित हो जाती है। ग्रहों की विपरीत दशा से बावजूद भी यह योग बेहद शक्तिशाली है, परंतु एक श्राप के चलते इस योग में विवाह नहीं करना चाहिए। इसके प्रभाव में आकर सभी बुरे प्रभाव दूर हो जाते हैं। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार एवं रविवार के दिन पड़ता है तो क्रमशः इसे गुरु पुष्यामृत योग और रवि पुष्यामृत योग कहते हैं। ये दोनों योग धनतेरस, चैत्र प्रतिपदा के समान ही शुभ हैं।