ज्योतिषी
शनि की साढ़ेसाती वाली राशियों के कैसे कटेंगे दिन : शनिदोष से बचने के उपाय...
Paliwalwaniज्योतिषशास्त्र में शनिदेव (Shanidev) का विशेष महत्व होता है. सभी ग्रहों में शनि को कर्मफलदाता और न्याय का देवता माना गया है. जातकों की कुंडली में शनि की स्थिति और दृष्टि बहुत अधिक मायने रखती है और जिन लोगों की कुंडली में शनि अशुभ होते हैं. उन्हें तमाम तरह की दिक्कतों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शनि एक ऐसे ग्रह हैं जो एक राशि में ढाई वर्ष तक भ्रमण करते हैं. वहीं जिन जातकों पर शनि शुभ भाव में होते हैं उनके ऊपर अगर साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही होती है तो भी शनि शुभ फल प्रदान करते हैं.
अगर आप मेहनत करते हैं और आपको मेहनत का फल नहीं मिलता है, तो ये कुछ ऐसे संकेत हैं जो आपके शनि की साढ़ेसाती की दशा की ओर इशारा करते हैं। आपके सामने आर्थिक और निजी समस्याएं अचानक से आकर खड़ी होने लगती हैं। शनि के वक्री यानी विपरीत दिशा में चलने पर शनि देव का असर शनि की साढ़ेसाती की राशियों पर भी पड़ेगा। न्यायधीश कहे जाने वाले शनिदेव 5 जून 2022 से वक्री हुए हैं। वक्री होने पर शनि की साढ़ेसाती वाली राशियों पर काफी कुछ प्रभाव होगा, जिससे इन राशियों की मुश्किलें और भी बढ़ जाएगीं।
शनि जयंती के दिन इनका उपाय किए जाने के बाद से काफी कुछ राशियों को राहत मिली होगी, लेकिन हर शनिवार शनि के उपाय किए जाने जरुरी है। इसके लिए हर शनिवार हनुमान चालीसा का पाठ कराना चाहिए। शनिवार के दिन तेल में अपनी परछाई देखकर दान करना चाहिए। गरीबों और जरुरतमंदों को खाना देना चाहिए। इस दिन शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। इन उपायों से भी बढ़कर है कि शनि के साढ़ेसाती वाली राशियों मकर, कुंभ और मीन राशियों को किसी का भी दिन नहीं दुखाना चाहिए। जितना हो सके दूसरों की मदद करो। अपने हमेशा गरीबों को खाना आदि देते रहें।
शनिदोष से बचने के उपाय
- शनिदोष से बचने के लिए हर शनिवार को उपवास रखें और शनि मंदिर जाकर शनिदेव को तेल चढ़ाएं.
- शनिवार की शाम को पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
- शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए नियमित रूप से हनुमानजी की पूजा और चालीसा का पाठ करें.
शनिदेव की पूजा विधि
- शनिदेव की पूजा करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखें कि उनकी आंखों में नहीं देखना है. बल्कि ध्यान शनिदेव के चरणों पर देना है.
- शनिदेव की शिलारूप में पूजा करने से विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और ऐसे ही मंदिर में पूजा करनी चाहिए जहां शनिदेव शिला के रूप में विराजमान होते हैं.
- अगर शमी और पीपड़ के वृक्ष की पूरी श्रद्धा के साथ आराधना की जाए तो शनिदेव जातकों के ऊपर से कष्ट को कम कर देते हैं,
- प्रत्येक शनिवार को तेल का दीपक जलाना चाहिए.