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Gupt Navratri 2022 : गुप्त नवरात्र आज से हो रहे शुरू, जानिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त, क्या है महत्व
Paliwalwaniइंदौर. माघ माह के गुप्त नवरात्र आज से शुरू हो रही हैं। जिसका समापन नौ फरवरी होगा। इस बार द्वितीया तिथि का क्षय होने से गुप्त नवरात्र आठ दिन के रहेंगे। इन दिनों में मातारानी की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। पहले दिन बुधवार को मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। मां चामुंडा दरबार के पुजारी पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि माघ मास की गुप्त नवरात्र दो फरवरी से शुरू होंगे। तिथि क्षय के कारण इस बार देवी आराधना का पर्व काल आठ दिवसीय रहेगा। त्रिग्रही योग बन रहा है। सालों बाद इस प्रकार की स्थिति बन रही है। बता दें कि प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ एक फरवरी को सुबह 11:16 बजे से हो गया है। यह तिथि बुधवार को सुबह 8:31 बजे तक रहेगी। प्रतिपदा तिथि सूर्योदय व्यापनी होने के कारण गुप्त नवरात्र का प्रारंभ दो फरवरी से माना जाएगा। इन नवरात्र में द्वितीय तिथि का क्षय होने के कारण प्रतिपदा एवं द्वितीया प्रथम दिन ही मनाई जाएगी।
नौ फरवरी को होगा नवमी पूजन
दो फरवरी को घट स्थापना, तीन फरवरी को गौरी तृतीया व्रत पूजन, चार फरवरी को वर्ग विनायक तिल चतुर्थी, पांच फरवरी वसंत पंचमी व सरस्वती जयंती, छह फरवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 5:09 बजे से प्रारंभ होकर दूसरे दिन सुबह 7:23 बजे तक रहेगा। सात फरवरी को नर्मदा जयंती, आठ फरवरी को भीमा अष्टमी पर्व व सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 9:26 बजे से प्रारंभ होकर दूसरे दिन 7:21 बजे तक रहेगा। नौ फरवरी को नवरात्र पूजन होगा।
यह हैं शुभ मुहूर्त
घटस्थापना का मुहूर्त बुधवार सुबह 7:04 से 8:25 तक शुभबेला, सुबह 8:26 से 9:40 तक अमृत बेला का रहेगा।
गुप्त नवरात्र का भी होता है विशेष महत्व
नवरात्र हिंदुओं के महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहारों में से एक है। यह हिंदू सभ्यता के अनुसार बहुत शुभ माना जाता है। लोगों को पौराणिक समय से इसमें आस्था और विश्वास है। मुख्य रूप से यह देवी मां शक्ति को प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता है ताकि जीवन में कोई तनाव न हो। यहां तक कि यदि आपकी कुछ समस्याएं हैं, तो आप किसी विशेष समस्या के लिए विशेष मंत्रों का जप करके उन समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। देवी भागवत के अनुसार वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं। देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्र के दौरान साधक मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी माता, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी की पूजा करते हैं। गुप्त नवरात्र विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है।