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देव गुरु बृहस्पति का शुक्र की वृष राशि में आगमन 1 मई 2024 से

paliwalwani
देव गुरु बृहस्पति का शुक्र की वृष राशि में आगमन 1 मई 2024 से
देव गुरु बृहस्पति का शुक्र की वृष राशि में आगमन 1 मई 2024 से

टोंक. देवगुरू बृहस्पति का गोचर मे मेष राशि से वृषभ राशि में शुभ आगमन 1 मई 2024 बुधवार को दोपहर 13.02 बजे हो रहा है. बृहस्पति जो देवगुरु हैं. आशावाद के प्रतीक हैं और देवताओं के मुख्य सलाहकार हैं. गुरु उपदेश हैं, प्रवाचक हैं तथा सन्मार्ग पर चलने की सदैव सलाह देते हैं, ऋग्वेद में उनके स्वरूप का बड़ा उत्तम वर्णन आता है. उनके हाथ में धनुष बाण है इन्हें बुद्धि और वाक्य कौशल का देवता माना गया है. 

सूर्य से औसत दूरी 77.83 करोड़ किलोमीटर है कक्षा की उत्केंद्रता 0.0484 तथा परिक्रमण गति 13.007 किलोमीटर प्रति सेकंड है, विषुव वृत्तीय त्रिज्या 71492 किलोमीटर है. इसका चुंबकीय  क्षेत्र हमारे सौरमंडल में सूर्य के धब्बों को छोडक़र सर्वाधिक शक्तिशाली है तथा पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से 14 गुना अधिक शक्तिशाली है. 

इसी कारण प्रकृति तथा प्राणीमात्र के साथ साथमानव जीवनपर बृहस्पति का प्रभाव अधिक होना पाया गया है और बृहस्पति का दूसरा नाम जीव भी कहा गया है. कर्क राशि के 5 वें अंश पर परम उच्च और मकर राशि के 5 वें अंश पर परम नीच होता है. स्पष्ट है कि गुरु का प्रभाव ज्ञान बौद्धिकता और हृदय की विशालता से सम्बध रखता है. 

सौभाग्य और वैवाहिक सुख के लिए कन्या के विवाह निर्धारण में गुरुबल आवश्यक माना गया है. मनु ज्योतिष एव वास्तु शोध सस्थान टोंक के निदेशक महर्षि बाबू लाल शास्त्री ने बताया की गुरु बृहस्पति कृतिका  नक्षत्र के द्वितीय चरण से वृषभ राशि में नक्षत्र स्वामी सुर्य राशि स्वामी शुक्र में आगमन ये स्थाईत्व और पारिवारिक सुख समृद्धि कोबढ़ाने वाला रहेगा.  

काल पुरुष की द्वितीय राशि में स्थिर राशि वृषभ गुरु का योग वाणी और धन की वृद्धि करेगा. जिन बालकों को विद्या प्राप्त करने मेंअरुचि हो उन्हेंबृहस्पति की आराधना करना ज्ञान की वृद्धि में नि:संदेह सहायक होगा. शुक्र की राशि में गुरु का आगमन कलात्मक कार्य करने वाले य डिजाईनर और वैभव सम्पन्नता के कार्य व्यापार य लक्जरी होटल य वाहन/ ट्यूरिंग के व्यापार आदि करने वाले अधिक मन लगाकर करेंगे तो अपनी आर्थिक स्थिति को अधिक बेहत्तर बना सकने में सफल हो सकेंगे. 

कालपुरुष की छठवी राशि कन्या भाव पर गुरु की पूर्ण पंचम दृष्टि रोग और शत्रुता पर नियंत्रण करा देगी यदि पुराना किसी से शत्रुता मतभेद अथवा मनभेद है, तो बृहस्पति देव इसकी सुलह कराने में मदद गार साबित होगी. अच्छी चिकित्सा कराना पुराने रोगों को दूर करा सकेगा. कालपुरुष की दशम भाव मकर राशि पर गुरु की नवम दृष्टि कर्मपक्ष पर स्थाईत्व देगी, जिन्हें भी स्थाई प्रोफेशन की चिन्ता है, वे कृपया गुरु की उपासना और आराधना करेंगे तो इस एक वर्ष में स्थाईत्व प्राप्त हो सकेगा.

रोजगार के कार्यां में गतिशीलता प्राप्त होगी. राजकीय कार्यो में सफलता एवं गतिशीलता मिलेगी. जिनकी कुण्डली में गुरु दशा अंतरदशा आदि वर्तमान में चल रहे हो, वे कृपया पीपल का वृक्ष यकेले का पौधा को नित्य जल चढ़ाएं. यदि गुरु की वृषभ राशि त्रिक राशि  में आरही होगी तो भी भगवान देवगुरू अपनी धनात्मकता ही प्रदान करेंगे. 

वृश्चिक राशि पर सातवीं दृष्टि से विदया मे सफलता विवाह संतान संबंधि सुख धर्म आध्यात्मिक रुचि शुभ फल प्राप्त होगें. महर्षि बाबू लाल शास्त्री ने राशि अनुसार फल बताया कि मेष-उन्नति उत्थान, वृष-मन अशांत चिंता मुक्त, मिथुन-पिडा चिंता, धनागम, कर्क-मनोबल वृद्धि, सिह-धनागमन व्यय, तुला- तनाव मुक्ति, धनु-सुख समृद्धि, कुम्भ-आर्थिक स्थिति मजबूत, मीन-आर्थिक विकास,  देव गुरु में बड़प्पन है. 

अत: उनकी सदैव दृष्टि शुभ मानी गई है और उनका आदर सत्कार करेगें तो वे जिस राशि में जिसभाव में भी बैठे होगें. अपना आशीर्वाद ही प्रदान करेगें. उन्हें कुपित करने से ही बाधा संभव है, क्योंकि प्राचीन काल परम्परा है, जिन भी शिष्यो या साधकों ने गुरु की सेवा से मुंह मोड़ा उन्हें ही शापित होना पड़ा. 

अत: देवगुरु बृहस्पति की सेवा अर्थात सुसंस्कारित बना रहकर जीवन में समाज से जुड़े रहना वृद्धों और बड़ों को सम्मान देना ही गुरु की उपासना है. उन पर गुरु की कृपा से प्रगति सुस्वास्थ्य और सुख वृद्धि होगी इसमें संशय नही है. 

महर्षि बाबूलाल शास्त्री टोंक राजस्थान मो. 8233129502

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