आपकी कलम

प्रतिशोध कविता : डॉ. श्याम सुन्दर पलोड

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प्रतिशोध कविता : डॉ. श्याम सुन्दर पलोड
प्रतिशोध कविता : डॉ. श्याम सुन्दर पलोड

चुन-चुन कर बदला लेने,

अब बाप तुम्हारे आएंगे ।

कायर,निकृष्ट,भौं भौं कुत्तों,

औकात तुम्हारी क्या जानें,

लश्कर नाली के सड़े कीड़ों,

जो डाल रहा तुमको दाने।

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धर्म तुम्हारा सुनो विधर्मी,

सबक गहरा सिखलायेंगे,

चुन-चुन कर बदला लेने,

अब बाप तुम्हारे आएंगे ।

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कलमा पढ़ने का बोलकर

निहत्थे हिन्दु की जान ली,

कलम कर देंगे सर धड़ से,

शेरों ने ये बात ठान ली ।

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आयत कयामत बन बैठी है,

धर्म अधर्म बताते हो,

पाक परस्तों मंजर घिनौना,

तुम हमको दिखलाते हो ।

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याद रखो भूत लातों के,

बातों से मानते हो नहीं,

सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं हम,

तेज हमारा जानते हो नहीं ।

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हथियार हमने उठा लिए तो,

सीना छलनी कर मानेंगे,

तुम क्या तुम्हारी परछाई तक,

गोली की भाषा जानेंगे ।

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हिन्दू सिंधु पार गया तो,

लाहौर में तिरंगा होगा,

कह दो तुम आकाओं से,

हर शख्स वहां पर नंगा होगा ।

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नवविवाहित जोड़े ने,

देखे ना अरमान सुनहरे,

पल भर में बंदूकों से,

खेत उजाड़ दिए हरे भरे ।

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अब फसल तुम्हारी नष्ट करेंगे,

मोदी - शाह का वायदा है,

ईंट का जवाब पत्थर से देना,

यही हमारा कायदा है ।

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● कवि : प्रो (डॉ.) श्याम सुन्दर पलोड

लेखक, कवि एवं वक्ता

4 , श्रीराम मंदिर परिसर, सुदामा नगर, D. सेक्टर, इंदौर (म.प्र.)

स्वरदूत M. 9893307800

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