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भूपेश बघेल के काले कारनामों को लेकर सामने आई चिठ्ठी ने उड़ाई कांग्रेस आलाकमान की रातों की नींद

विजया पाठक
भूपेश बघेल के काले कारनामों को लेकर सामने आई चिठ्ठी ने उड़ाई कांग्रेस आलाकमान की रातों की नींद
भूपेश बघेल के काले कारनामों को लेकर सामने आई चिठ्ठी ने उड़ाई कांग्रेस आलाकमान की रातों की नींद

चिठ्ठी में लिखे गए शब्दों की जांचकर पार्टी कर सकती है बघेल को निष्कासित

जनता की साय सरकार से उम्मीद, लोकहित और प्रदेश को विकसित बनाने में लगाए ध्यान, वरना हो सकता है बघेल सरकार जैसा हाल

विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन

छत्तीसगढ में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त पर इन दिनों नई दिल्ली में मंथन चल रहा है। इस मंथन में इस बात का पता लगाए जाने का प्रयास किया जा रहा है कि आखिर वह कौन से कारण थे जिससे जनता ने रुष्ठ होकर दोनों प्रमुख चुनावों में कांग्रेस पार्टी से किनारा कर भाजपा को जबरदस्त समर्थन दिया।

वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के इस समूह ने हार के तुरंत बाद एक फैक्ट फाइंडिंग समिति का गठन किया था। इस समिति का कार्य इस बात का पता लगाना था कि आखिर वह कौन से कारण रहे जिसमें बघेल सरकार से जनता इस तरह से रुष्ठ रही। जब समिति ने अपनी रिपोर्ट पार्टी आलाकमान को सौंपी तो उसमें इस बात का जिक्र प्रमुखता से आया राज्य की जनता ही नहीं पार्टी के कार्यकर्ता भी भूपेश बघेल की कार्यशैली से बेहद नाराज थे।

कार्यकर्ता से न मिलना, राज्य से भ्रष्टाचार का जाल बुनना, जनता के कार्य न करना आदि प्रमुख कारण थे। यही नहीं एक कारण पर और भी जोर देकर बताया गया कि बघेल केबिनेट में मंत्रियों से अधिक बात तो डिप्टी सेक्रेटरी रेंक की अफसर सौम्या चौरसिया और कुछ चुनिंदा अफसरों की सुनी जाती थी। इन्हीं अफसरों की बात मानकर बघेल ने पूरे पांच साल राज्य में केवल भ्रष्टाचार के बीज रोपे थे।

यह बात भी समिति के सामने आई

समिति के सामने कांग्रेस नेताओं ने शिकायत करते हुए कहा कि भूपेश सरकार में पूरे पांच साल एक सिंडिकेट की तरह चलाई गई। बिलासपुर के एक नेता ने तो यहां तक कहा कि  रायपुर जेल में जाकर देखिए, सरकार में किसकी चलती थी। लोकसभा चुनाव में एक जिले से तीन प्रत्याशी बना दिया, जबकि स्थानीय को मौका मिलता तो रिजल्ट बेहतर आते।

उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं के जमीन पर मेहनत से सरकार बनी थी, पर सरकार आने पर उसे ही किनारे कर दिया गया। इस बीच नेताओं का ये भी कहना है कि प्रदेश के नेताओं ने तो फैक्ट फाइंडिंग समिति के सामने हार के कारण तो बता रहे हैं, लेकिन कांग्रेस नेताओं के मन में सवाल तो ये है, क्या उनकी शिकायत पर कोई अमल होगा या सिर्फ़ खानापूर्ति रहेगी।

भाजपा ने समिति के निर्णयों पर ली चुटकी

फैक्ट फाइंडिंग समिति के सामने नेताओं की कथित शिकायत पर भाजपा ने चुटकी ली। बीजेपी प्रवक्ता राजीव चक्रवर्ती ने कांग्रेस की अंदरूनी कलह पर बीजेपी का कहना है कि ये कांग्रेस जब सत्ता में रहती है, तब कार्यकर्ता को भूल जाती गई। इसलिए सिर फुटव्वल तो होगा ही।

भूपेश बघेल के कारण लोकसभा चुनाव हारी

यही नहीं पार्टी के नेताओं की नींद और भूपेश बघेल की बेचैनी उस एक चिट्ठी ने भी बढ़ा दी है जिसमें बघेल सरकार के काले कार्यकाल का विस्तृत ब्यौरा दिया गया है। यह एक गुमनाम पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस पत्र में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जिम्मेदार ठहराया गया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को संबोधित इस पत्र में कहा गया है कि भूपेश बघेल के अहंकार की वजह से हार हुई है। पत्र में यह भी कहा गया है कि प्रदेश में हुए घोटालों में जेल जाने के डर से कांग्रेस को हराने का षड़यंत्र रचा गया।

बड़े नेताओं के अहंकार से डूबी कांग्रेस

गुमनाम पत्र में लिखा गया है कि बड़े नेताओं के अहंकार की वजह से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार हुई है। पत्र में कहा गया है कि चुनाव परिणामों पर समीक्षा करने नेता दिल्ली से रायपुर पहुंचे और विधानसभा, लोकसभा में हार के कारणों पर चर्चा की, जबकि राहुल गांधी, कुमारी सैलजा, चन्दन यादव, प्रदेश का हर शख्स जानता है कि हार के मात्र दो कारण हैं। पत्र में हार का पहला कारण पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की रणनीति को बताया है। जबकि दूसरा कारण सौम्या, रामगोपाल, गिरीश देवांगन, अनिल टुटेजा, सूर्यकांत तिवारी, विनोद वर्मा, प्रदीप शर्मा, राजेश तिवारी, ढेबर जैसे लोग और सट्टा, शराब, कोयला, डीएमएफ, जीएसटी, पीएससी जैसे कई घोटाले हैं।

लोकसभा में पुराने चेहरे को टिकट दिया

पत्र में यह भी कहा गया है कि लोकसभा में फिर हारे हुए पुराने चेहरों को टिकट दिया गया। दुर्ग से पांच मंत्री थे सब हारे थे, फिर दुर्ग से चार लोगों को दूसरे क्षेत्रों से टिकट दे दिया। परिणाम ये हुआ कि सब हार गए। ज्योत्सना महंत जीतीं तो उसमें कांग्रेस का कोई रोल नहीं है।

कांग्रेस नेताओं ने दी सफाई

इस गुमनाम पत्र के सामने आने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने सफाई देते हुए इस पूरे मसले को ढकने का प्रयास किया। लेकिन फिलहाल कांग्रेस आलाकमान इस चिठ्ठी को संजीदा बताते हुए इसमें शामिल सभी विषयों की समीक्षा कर रही है। उन्‍होंने कहा कि सुनने में जो आया है, उसके अनुसार उसमें शिकायतकर्ता का कोई नाम नहीं है। इसलिए यह पत्र निराधार है। कांग्रेस के बड़े नेताओं को बदनाम करने की साजिश है।

आखिर सरकार कब देगी दोषियों को सजा

राज्य में सत्ता पलट होने के बाद भी लगभग 06 महीने से अधिक समय निकल गया है। राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से प्रदेश की जनता व भाजपा नेता उम्मीद लगाए बैठे हैं कि वे जल्द ही भूपेश बघेल, अनिल टुटेजा, सौम्या चौरसिया, आनंद छाबड़ा सहित उन अधिकारियों पर कार्यवाही और उन्हें जेल के पीछे भेजे जिन्होंने राज्य में भ्रष्टाचार का आतंक मचाया और राज्य के विकास में रोक लगा दी। अगर साय सरकार इन दोषियों पर कार्यवाही नहीं करने का मन बना रही है तो इसका मतलब सीधा है कि सरकार की इच्छा में अब परिवर्तन हो गया है। सरकार अब बिल्कुल नहीं चाहती कि इस तरह की कोई कार्यवाही हो।

भाजपा नेताओं को लेना चाहिए सीख

राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व ने कांग्रेस पार्टी में जो कुछ भी घटा वह इस बात का सूचक है कि आगामी चार वर्षों में विष्णुदेव साय को भी इससे सीख लेते हुए अपना पूरा ध्यान जनता के हित और प्रदेश के विकास में लगाना चाहिए। सबको साथ लेकर चलने की भाजपा की जो परंपरा रही है उस परंपरा को साधते हुए उन्हें राज्य को आगे ले जाने की आवश्यकता है।

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