आपकी कलम

नई सुबह...

paliwalwani
नई सुबह...
नई सुबह...

0====पंकज पाराशर...✍️

तृप्ति खिड़की पर बैठी बाहर हो रही बारिश देख रही थी। पानी का बहाव इतना तेज था कि सारे कचरे को अपने साथ बहाकर ले जा रहा था। एक पल के लिए उसको ऐसा लगा कि अगर उसकी आँखों में जो आँसुओं का सैलाब उसने बांधकर रखा है अगर एक दिन खुलकर बह जाने दे तो मन की सारी गंदगीं दूर हो जायेगी...उसको दोबारा जीने की बजह मिल सकती है। 

"तृप्ति नीना आंटी आई हैं...बाहर आजा बेटा। " बाहर से मम्मी की तेज आवाज सुनकर उसकी तंद्रा भंग हुई । उसने कोई जवाब नहीं दिया, एक गहरी साँस ली और लड़खडाती सी दूसरे कमरे की ओर चल दी।

"मम्मा होमवर्क कराओ न। " बैड पर बैठी पांच वर्षीय बेटी सितारा ने तोतलाते हुए कहा तो बरबस ही उसके होठों पर मुस्कान आ गई।

"नीना नानी आई हैं...उनसे मिलकर आती हूँ...फिर अपनी बिट्टो से खूब सारी बातें करूँगी। " तृप्ति ने प्यार से बेटी को गले लगाकर समझाते हुए कहा तो सितारा खुश हो गई और "ओके मम्मी " कहकर रंगों से कुछ बाल चित्रकारी करने लगी।

"नमस्ते आंटी।"

"खुश रहो बेटा...और सब ठीक हैं ससुराल में?...दामाद जी तो अच्छे हैं?" एक बार में ही नीना आंटी ने आदतन एक बार में ही न जाने कितने सवाल पूछ डाले।

"हाँ हाँ....दामाद जी तो बहुत अच्छे हैं...बहुत ध्यान रखते हैं तृप्ति का...और सितारा को तो हाथों हाथ रखते हैं...मैंने तो सोचा भी नहीं था कि हमको इतना नेकदिल दामाद मिलेगा। "मम्मी ने आदतन दामाद की प्रसंशा करते हुए कहा तो तृप्ति मुस्करा भर दी।

" भगवान के यहाँ देर है अंधेर नहीं...कितने दुख झेले तृप्ति बिटिया ने...और अब कहीं जाकर उसकी जिंदगी में खुशहाली आई है...नजर न लेगे किसी की...ईश्वर इसकी खुशियों में दिन दूनी और रात चौगुनी बढोत्तरी करें। "नीना आंटी ने स्नेह से तृप्ति के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।

" जी आंटी जी। "कहते हुए तृप्ति फिर से फीकी हंसी हंस गई।

नीना आंटी तो चली गई लेकिन उसकी दुखती रग को फिर से छु गई। हर बार की तरह आज फिर उसकी झूठी प्रसंशा करने को लेकर मम्मी से बहस हुई तो मम्मी चिढ़कर बोलीं।

" तो क्या यह कहती कि हमारी बेटी दूसरे पति के साथ भी खुश नहीं है?"

सुनकर तृप्ति ने आँखें बंद कर ली और धम्म से बैड पर बैठ गई।

सात साल पहले बड़ी धूमधाम से उसका विवाह पापा मम्मी ने अनिकेत के साथ किया था लेकिन शादी की पहली ही रात को जब कोई लड़की हजारों अरमाँ लिए सुहाग सेज पर बैठती है,पता चला अनिकेत शराब पिये नीचे कमरे में पड़े थे।

अगले दिन जब उसने अनिकेत से इस बात को लेकर बात करनी चाही तो उसको पीटने को भिड गए और घर के सभी सदस्य अनिकेत को ही सपोर्ट करते।

जब मायके आकर उसने घर पर अनिकेत के बारे में बताया तो मम्मी पापा ने भी समाज की दुहाई देकर उसको चुप करा दिया और अपना नसीब समझकर वापस अनिकेत के साथ ही भेज दिया।

एक साल बाद सितारा का जन्म हुआ अब उसको लगा अनिकेत में कुछ तो बदलाव होगा लेकिन अब तो उसके उपर बेटी हो गई बेटा क्यों नहीं हुआ इस बात को लेकर परेशान किया जाने लगा दो साल तक उसने सब कुछ सहा लेकिन जब उससे नहीं सहा गया तो बेटी को लेकर वापस मायके आ गई न वह कभी ससुराल गई न ही अनिकेत लेने आये।

कुछ दिनों बाद उसका तलाक़ हो गया। मम्मी को फिर से समाज की चिंता सताने लगी और एक बार फिर से उसका विवाह मौसी के रिश्ते के ननद के बेटे कुणाल से कर दिया जोकि विधुर थे।

उनके पहली पत्नी से दो बच्चे थे। कुछ दिनों तक तो सब ठीक रहा लेकिन कुछ दिनों से कुणाल का व्यवहार उसकी बेटी सितारा और उसके प्रति बिल्कुल ही बदल गया।

बात बात पर कुणाल उसके साथ मार पीट करने लगे। उसकी बेटी सितारा के साथ दुर्व्यवहार किया जाने लगा। अब वह असमंजस में पड़ गई...घर वापस जाऊँ या फिर मर जाऊँ लेकिन बेटी का चेहरा उसको मरने भी नहीं देता।

अब उसने फैसला किया है कि वह अब किसी से सहारे की उम्मीद नहीं रखेगी न पति से न मम्मी पापा से अपना सहारा खुद बनेगी।

अपनी बेटी को पढ़ायेगी लिखायेगी और जिंदगी में खुद भी कुछ बनकर दिखाएगी। हालांकि सब कुछ इतना सरल नहीं होगा। बहुत मुश्किलों का सामना करना होगा।

उसको अच्छे से समझ आ गया अगर उसको प्यार मिलता तो पहले विवाह से ही मिल जाता। शायद प्रेम उसकी जिंदगी में है ही नहीं।

"मम्मी मैं जॉब करूँगी। तृप्ति ने दृढ़ स्वर में कहा।

" तुम्हारी जो मर्जी हो वह करो।

 "कहती हुई मम्मी अपने काम में लग गई और तृप्ति सितारा के साथ खेलने लगी।

आज मन थोड़ा हल्का सा लग रहा था। लेकिन अभी उसको कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

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