आपकी कलम

प्रखर-वाणी : पुलिस को लव जिहादी फरहान का था जवाब...हिन्दू युवतियों से दुष्कर्म होता है सवाब...

प्रो. (डॉ.) श्याम सुन्दर पलोड
प्रखर-वाणी : पुलिस को लव जिहादी फरहान का था जवाब...हिन्दू युवतियों से दुष्कर्म होता है सवाब...
प्रखर-वाणी : पुलिस को लव जिहादी फरहान का था जवाब...हिन्दू युवतियों से दुष्कर्म होता है सवाब...

जब पुलिस ने पूछा तो लव जिहादी फरहान ने दिया जवाब...हिन्दू युवतियों से दुष्कर्म करना हमारे लिए होता है सवाब...ये जो 'सवाब' है ना इसका हिन्दी अर्थ होता है पूण्य , नेकी या भला...वा रे शैतान फरहान तूने ये कौन सा भद्दा कार्ड चला...लव जिहाद के लिए तुमने गैंग बना ली फिर करते रहे खेल...

तुम्हारे लिए तो फांसी ही मुकम्मल होनी चाहिए न कि जेल...सिर्फ हिन्दू लड़कियों को निशाना बनाने वालों...सनातनी राष्ट्र की छत के कोने पर चिपके मकडजालों...तुमको शर्म नहीं आई जिस्मानी तमाशे में...तुम अंग का रंग अपने ढंग से तौल रहे थे तौला और माशे में...तुम्हारे रूह की हवस मुकद्दस इबादत नहीं शरारत है...

तुमको तो खुद ही डूब मरना चाहिए चुल्लू भर पानी में कहां बची शराफत है...फरहान का मतलब आनन्दित होता है...मगर तुम्हारे कारनामे से मानव तक लज्जित होता है...तुम घिनौनी हरकतों का महल खड़ा करना चाहते हो...हिन्दू लड़कियों तक साजिशों का घड़ा भरना चाहते हो...मगर तुम्हारी ये नापाक हरकत कामयाब नहीं होगी...

तुम्हारे जैसे लोग वास्तव में होते हैं सिर्फ मनोरोगी...वहशियाना हरकत करके अकड़ दिखाने वाले भेड़ियों...मत लजाओ अपने इंसान होने को दिमाग पर जकड़ी बेड़ियों...तुम महज धार्मिक कट्टरता का वैमनस्यकारी बिगुल बजा रहे हो...हिन्दू - मुस्लिम खाई बढ़ाने वाली सोच तश्तरी में सजा रहे हो...इस हरकत से तुम कौम का हित नहीं अहित ही कर रहे हो...

अनेक बेगुनाहों के विरुध्द कई धर्मावलम्बियों की निगाहों में जहर भर रहे हो...अपनी कुंठित दृष्टि के दरवाजों से जिहादी गिचोड़े हटा दो...यदि यही धर्मान्धता पसंद है तो भारत के राशन कार्ड से नाम कटा दो...नासमझ और भोली लड़कियों के साथ जिस्मानी तमाशा मत करो...इतना ही फ़क्र यौवन पर है तो सीमा पर आतंक के खिलाफ जोश भरो...

याद रखो चंद मिनटों के सुख से जिंदगी सफल नहीं होती...कीड़े पड़ने लग जाए न तो वो फसल फसल नहीं होती...और सुनो हिन्दू लड़कियों तुम भी आपा खोकर मत भागो...इंसान के रूप में हैवान पीछा कर रहे हैं खुद जागो...जिन माता - पिता ने जन्म देकर पोषित किया उनका तो विचार करो...जिनसे खुद की व धर्म की रक्षा का सप्त वचन मिले उन्हीं से आंखें चार करो...

केवल हुस्न की नुमाइश ही जिंदगी का मकसद नहीं है...तुमको पतंग की डोर की तरह उलझाए रखे फितरत वही है...अपनी खुली आँखों से पहचानकर हित अहित जानो...लव जिहादी तो घुम रहे हैं पैगाम लेकर उनको पहचानो...वो तुमको थोड़े दिन लुभावने लगेंगे...फिर देखना हथियारों की नोंक पर ठगेंगे...कब तक तुम अपने शरीर की नुमाइश कर बर्बाद होती रहोगी...जो बेटा बाप का और बाप बेटे का नहीं हुआ उनकी पीड़ा सहोगी...वफ़ा की परवरिश को बेवफा बनकर मत ठुकराओ...

खुले आसमान की चहल पहल त्यागकर बंदिशों की तरफ मत जाओ...सुख , सुकून और संतुष्टि चंद पलों की उत्तेजना में नहीं होती...अपनी नादानियों के इतिहास जान लो उनसे जो बाकी सारी जिंदगी आंखे भिगोती...विश्व का संस्कृति गुरु सनातन तुम्हारा धर्म है उसका सम्मान करो...अपना सर्वस्व समर्पण कर तुम्हारा जीवन संचालित करने वाले माँ बाप का मत अपमान करो...

प्रो. (डॉ.) श्याम सुन्दर पलोड : लेखक, कवि एवं वक्ता

4, श्रीराम मंदिर परिसर,  सुदामा नगर, डी-सेक्टर, इंदौर ( म.प्र.)

स्वरदूत : 9893307800

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