Monday, 17 November 2025

आपकी कलम

डर लगे, तो डंडा चला...!

paliwalwani
डर लगे, तो डंडा चला...!
डर लगे, तो डंडा चला...!

व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा

ये लो कर लो बात। मोदी जी ने चुनाव से पहले केजरीवाल को जरा-सा जेल का क्या भिजवा दिया, विरोधियों ने "मोदी डर गया, मोदी डर गया" का ही शोर मचा दिया। राहुल गांधी ने तो बाकायदा डरा की तुक मरा से जोड़कर, तुकबंदी ही कर मारी -- डरा हुआ तानाशाह, मरा हुआ लोकतंत्र चाहता है!

  • ''इस बार तो मोदी जी के विरोधी एकदम ही गलत हैं। इस सब का चार सौ पार के भरोसे से तो कुछ लेना-देना ही नहीं है। कम-से-कम केजरीवाल या हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी या कांग्रेस के खाते जाम करने या ईडी-सीबीआइ-आइटी की छापामारी का तो, चार सौ पार से दूर-दूर तक कोई लेना-देना ही नहीं''

सच पूछिए तो कांग्रेस वाले तो अपने खाते जाम किए जाने के बाद से ही "मोदी डर गया, डर गया" के नारे लगा रहे थे ; बल्कि उससे भी पहले, हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के समय से। जिसको डराया जा रहा था, वह तो डरा नहीं, उल्टे विरोधियों ने डराने वाले के ही डरे हुए होने का शोर मचा रहा था। और ये सिलसिला भी कोई खाता जाम करने, छापे-वापे मारने, गिरफ्तारियां करने को मोदी का डरना बताने पर ही रुक नहीं गया।

उससे भी पहले, मोदी जी के बिहार में नितीश कुमार से पल्टी खिलवाने के टैम से ही भाई लोगों ने "मोदी डर गया, मोदी डर गया" की रट लगा रखी थी। महाराष्ट्र में अजीत पवार को गोद लेकर शरद पवार की पार्टी तुड़वाई तब भी। बल्कि उससे भी पहले, जब मोदी जी ने उद्धव ठाकरे की पार्टी और सरकार चुरायी, तब भीऔर चाचा को लात लगाकर, भतीजे चिराग के घर प्रेमपाती भिजवाई, चंद्रबाबू नायडू को एक बार फिर सुलह की पाती भिजवाई, नवीन बाबू से रिश्ते की हफ्तों बात चलायी, भले ही वह बात अंत में टूट गयी, तब भी। मुख्तसर ये कि मोदी जी कुछ भी करें या नहीं भी करें, विरोधियों को एक  ही शोर मचाना है -- मोदी डर गया। जब-जब मोदी डरता है, डैमोक्रेसी पर हमला करता है!

खैर! इस बार तो मोदी जी के विरोधी एकदम ही गलत हैं। इस सब का चार सौ पार के भरोसे से तो कुछ लेना-देना ही नहीं है। कम-से-कम केजरीवाल या हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी या कांग्रेस के खाते जाम करने या ईडी-सीबीआइ-आइटी की छापामारी का तो, चार सौ पार से दूर-दूर तक कोई लेना-देना ही नहीं है।

मोदी ने चार सौ पार तो पहले ही कर लिए हैं। उल्टे चूंकि चार सौ तो पहले ही पार हो चुके हैं, इसलिए मोदी जी इतने निश्चिंत हैं कि मौज-मस्ती के मूड में हैं। और क्यों न हों, ऐसा होगा ही कौन, जिसे होली पर भी मस्ती नहीं सूझे। मस्ती-मस्ती में मोदी जी ने केजरीवाल को अंदर कर दिया। मस्ती-मस्ती में कांग्रेस के खातों को जाम कर दिया। मस्ती-मस्ती में विरोधियों को पैसा देने वालों पर छापे डलवा कर, अपने सिवा बाकी सब को ठन-ठन गोपाल कर दिया।

जो कर रहे हैं, होली की मस्ती में कर रहे हैं। और आगे भी करेंगे, वो मस्ती में ही करेंगे। अब भारत वर्ष में होली की मस्ती का भी कोई बुरा मानता है जी? विरोधी बुरा मानेंगे तो, मोदी जी का क्या है, आप ही सनातन-विरोधी कहलाएंगे! मोदी जी तो उनकी आपदा में भी अवसर निकाल लेेंगे, जैसे सीएए में अवसर निकाल लेंगे और मजे में अब की बार सवा चार सौ, साढ़े चार सौ पार कर जाएंगे!

बहुत भोले हैं विरोधी, अगर यह सोचते हैं कि मोदी जी, चुनावी बांड की कालिख से डर जाएंगे। दिल से होली खेलने वाले, होली के बाद चेहरे पर दाग लगा रह जाने से डरते नहीं हैं। किसी ने पूछा तो कह देंगे, इस बार पक्की स्याही वाले बांड से होली खेली, डबल मजा आया -- होली की होली और झोली की झोली।  

  • व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक 'लोकलहर' के संपादक हैं.
whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News
Trending News